कार्य तथा ऊर्जा


कार्य – बल और बल की दिशा में हुए विस्थापन के गुणनफल को कार्य कहते है।


एक नियत बल द्वारा किया गया कार्य (WORK DONE BY A CONSTANT FORCE)-

कार्य (Work) = बल (Force) × विस्थापन(Displacement)
W = f × s

कार्य  अदिश राशि (Scalar quantity) है

S.I. मात्रक (Unit)- न्यूटन मीटर या जूल (Newton Meter or Joule) [Nm or J]


जूल (Joule) –

1 जूल = 1 न्यूटन × 1 मीटर
1J = 1 Nm


धनात्मक, ऋणात्मक तथा शून्य कार्य (Positive,Negative And Zero work)-

  • जब बल वस्तु की गति की दिशा की ओर लगया जाता है तो कार्य धनात्मक होता है
  • जब बल वस्तु की गति की विपरीत दिशा की ओर लगया जाता है तो कार्य ऋणात्मक होता है
  • जब लगाए गए बल और गति की दिशा में 90० का कोण बनता है तो कार्य शून्य होता है
  • पृथ्वी के गुरुत्व बल की दिशा में किया गया कार्य होता है तो वह धनात्मक कार्य होता है
  • पृथ्वी के गुरुत्व बल के विपरीत यदि कार्य  होता है तो उसके आगे ऋणात्मक चिन्ह लगया जाता है

ऊर्जा (Energy)-

किसी भी कार्य को करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं

ऊर्जा एक अदिश राशि (Scalar quantity) है।

S.I. मात्रक (Unit)- जूल (Joule) [J]

ऊर्जा का एक  मात्रक किलो जूल (Kilo Joule) भी है

1 KJ = 1000 J


ऊर्जा के रूप (FORMS OF ENERGY)-

गतिज ऊर्जा (kinetic energy)-

किसी वस्तु में गति के कारण कार्य करने से जो ऊर्जा उत्पन्न होती है , उसे उस वस्तु की गतिज ऊर्जा कहा जाता हैं।

उदहारण-  बहता हुआ पानी, हवा में उड़ता हुआ हवाई जहाज

गतिज ऊर्जा का सूत्र (Formula for kinetic energy)-

माना कोई वस्तु v वेग से गति कर रहा है।जिसका द्रव्यमान m है।तो उस वस्तु के कारण जो गतिज उर्जा का मान होगा वो इसके द्रव्मान का आधा और वेग के वर्ग के गुणनफल के बराबर होता है।

K=1/2 mv²

व्युत्पत्ति (Derivation)-

किया गया कार्य (W) = f×s … (i)
तथा, f = ma … (ii)

गति के तीसरे समीकरण के अनुसार u, v, s तथा a में निम्न सम्बन्ध है:

v2– u2 = 2as

यदि वस्तु विराम अवस्था से चलना शुरू करती है, u = 0
W = ½ mv2
Ek = ½ mv2

स्थितिज ऊर्जा (Potential energy)-

एक वस्तु अपनी स्थिति के परिणामस्वरूप ऊर्जा को संग्रहीत कर सकती है।


किसी ऊँचाई पर वस्तु की स्थितिज ऊर्जा (POTENTIAL ENERGY OF AN OBJECT AT A HEIGHT)-

माना किसी वस्तु का द्रव्यमान (mass)m है,तथा उस वस्तु को h ऊँचाई तक उठाया जाता है।तो पृथ्वी का गुरुत्वकर्षण बल (m×g) नीचे की दिशा में कार्य करता है।
 कार्य  = बल × विस्थापन (work done, W = force × displacement)
= mg × h
= mgh

Ep = mgh


ऊर्जा का रूपांतरण (CONSERVATION OF ENERGY)-

ऊर्जा के एक रूप से ऊर्जा के दूसरे रूप में परिवर्तन को ऊर्जा रूपांतरण कहते हैं।

उदाहरण

लाऊडस्पीकर,यांत्रिक ऊर्जा, गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा


ऊर्जा संरक्षण के नियम (LAW OF CONSERVATION OF ENERGY)-

ऊर्जा की न तो उत्पत्ति हो सकती है और न ही विनाश किया जा सकता है।इसे सिर्फ एक रूप से दुसरे रूप में बदला जा सकता है।

माना की वस्तु का द्रव्यमान (m) तथा  ऊँचाई (h) पर स्थितिज ऊर्जा = mgh

जैसे -जैसे वस्तु नीचे की तरफ गिरती है।वैसे-वैसे ऊँचाई h घटती है, और स्थितिज ऊर्जा भी घटती है।

ऊँचाई h पर गतिज ऊर्जा (kinetic energy)शून्य थी, लेकिन वस्तु के नीचे गिरने के समय यह बढ़ती जाती है।

स्थितिज ऊर्जा(potential energy) +गतिज ऊर्जा (kinetic energy) =अचर (constant)

mgh + ½ mv2 = अचर (constant)


कार्य करने की दर (Rate of Doing Work)-

किसी भी कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं। या ऊर्जा रूपांतरण की दर को शक्ति कहते हैं।


विद्युत साधुत्रों की शक्ति (Power of electric instruments)-

यदि किसी विद्युत् उपकरण द्वारा विद्युत उर्जा का उपयोग किया जाता है तो उसकी दर को विद्युत उपकरण की शक्ति कहते हैं।
S.I. मात्रक (Unit)-  किलोवाट (kilowatt) [KW]
1 KW = 1000 W = 1000 J/S
1 kW h एक घंटे में उपयोग की जाने वाली ऊर्जा है 1000 J/s (या 1 kW) की दर से।

1 kW h = 1 kW ×1 h
= 1000 W × 3600 s
= 3600000 J
1 kW h = 3.6 × 106 J.


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