उत्तराखंड का उत्तरकाशी जनपद
Uttarkashi district of Uttarakhand
उत्तरकाशी का इतिहास-
- उत्तरकाशी वरुणावत पर्वत की गोद में बसा हुआ एक सुंदर नगर है।
- उत्तरकाशी का प्राचीन नाम बड़ाहाट व सोम्यकाशी है।
- अस्सी गंगा व वरुणा नदी के बीच बसे होने के कारण उत्तरकाशी को सोम्यकाशी कहा जाता है।
- प्राचीन में यहां पर 12 गॉव हुआ करते थे व यहाँ पर मंडी लगने के कारण इसका नाम बड़ाहाट पड़ा।
- उत्तरकाशी जनपद की स्थापना 24 फरवरी 1960 को हुई।
- इसे टिहरी जनपद से पृथक करके बनाया गया।
उत्तरकाशी की सीमओं से लगे पड़ोसी देश/राज्य/जिले –
उत्तरकाशी की सीमओं से लगे जिले –
पूर्व में – चमोली
पश्चिम में – देहरादून
उत्तर में – हिमाचल प्रदेश
दक्षिण में – टिहरी
उत्तरकाशी की सीमओं से लगे पड़ोसी देश –
- चीन – तिब्बत
उत्तरकाशी की सीमओं से लगे पड़ोसी राज्य –
- हिमांचल प्रदेश
उत्तरकाशी का क्षेत्रफल –
- उत्तरकाशी का क्षेत्रफल – 8016 वर्ग km (8,016 km²)
- उत्तरकाशी उत्तराखंड राज्य का सबसे उत्तरी जिला है।
उत्तरकाशी जनपद में स्थित प्रमुख दर्रे –
उत्तरकाशी- तिब्बत को जोड़ने वाले दर्रे-
1.थांगला
2.मुलिंग ला
3.नेलंग ला
4.सांगचोककला
उत्तरकाशी – चमोली को जोड़ने वाले दर्रे-
1.कालिंदी दर्रा
हर की दून व यमुनोत्री को जोड़ने वाला दर्रा –
1. बाली पास दर्रा
उत्तरकाशी जनपद में स्थित बुग्याल –
1.केदार काँठा
2.केदार खर्क
3.दयारा बुग्याल
4.तपोवन बुग्याल
5.कुश कल्याण
6.देवदामिनी
7.सोन गाड़
8.हर की दून
9.मानेग बुग्याल
10.पंवाली काँठा
उत्तरकाशी जनपद में राष्ट्रीय राजमार्ग(National Highway) –
- NH 34- धराशु से गंगोत्री
- NH 134 – धराशु, बड़कोट, फूलचट्टी, यमुनोत्री
- NH 507- विकासनगर,कालसी,बड़कोट
उत्तरकाशी का प्रशासनिक ढांचा –
उत्तरकाशी का विधानसभा क्षेत्र –
- उत्तरकाशी जनपद में कुल 3 विधनसभा सीट हैं –
- गंगोत्री
- पुरोला(SC)
- यमुनोत्री
उत्तरकाशी के विकासखंड –
- चिन्यालीसौड़
- पुरोला
- नोगांव
- डुंडा
- भटवाड़ी
- मोरी
उत्तरकाशी की कुल जनसंख्या/लिंगानुपात/कुल साक्षरतादर/पुरुष साक्षरता/महिला साक्षरता –
- उत्तरकाशी की कुल जनसंख्या – 3,30,086
- उत्तरकाशी का जनसंख्या घनत्व – 41(प्रति वर्ग km में निवास करने वाले व्यक्ति)
- उत्तरकाशी का लिंगानुपात – 95
- उत्तरकाशी की कुल साक्षरतादर – 75.81
- उत्तरकाशी का पुरुष साक्षरता – 88.79
- उत्तरकाशी की महिला साक्षरता – 62.35%
उत्तराखंड की जनसंख्या,लिंगानुपात,साक्षरता दर (Uttarakhand Population, Sex Ratio, Literacy Rate)
उत्तरकाशी जनपद के प्रमुख पर्यटक स्थल –
1.हर की दून –
- हर की दून उत्तरकाशी में सूपिन नदी रेंज में स्थिर है।
- पुरोला को हर की दून का प्रवेश द्वार कहा जाता है।
- हर की दून के निकट दुर्योधन मंदिर है लेकिन कुछ सालों पहले इसका नाम बदलकर सोमेश्वर मंदिर कर दिया गया है।
- इस मंदिर में सोने के परत वाली एक कुल्हाड़ी है जिसे दुर्योधन की कुल्हाड़ी माना जाता है।
2.हर्षिल –
- उत्तरकाशी-गंगोत्री मार्ग पर भगीरथ नदी के तट पर स्थित हर्षिल एक पर्यटक स्थल है।
- हर्षिल सेब की खेती के लिये प्रसिद्ध है यहाँ पर सेब के बागान लगाने का श्रेय फ्रेडरिक विल्सन को जाता है।
- फ्रेडरिक विल्सन को स्थानीय लोग राजा विल्सन या पहाड़ी विल्सन भी कहते हैं।
- हर्षिल में विल्सन नाम की सेब की प्रजाति भी है।
3.तपोवन –
- तपोवन भागीरथी नदी के उद्गम स्थल गोमुख के निकट स्थित है।
उत्तरकाशी जनपद के प्रमुख मंदिर (Major temples of Uttarkashi district) –
1.विश्वनाथ मंदिर –
- यह मंदिर उत्तरकाशी में स्थित है।
- 1857 में गढ़वाल नरेश सुदर्शन शाह की पत्नी खनेटी रानी ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था।
- विश्वनाथ मंदिर में एक त्रिशूल लेख जिसकी लंबाई 8 फूट 9 इंच है जिसमें लिखे लेख के अनुसार इस मंदिर का निर्माण राजा गणेश्वर ने कराया था।
- विश्वनाथ मंदिर के निकट कुछ अन्य मंदिर- कालेश्वर महादेव, कोटेश्वर महादेव,गोपेश्वर मंदिर।
2.शक्ति मंदिर-
- शक्ति मंदिर विश्वनाथ मंदिर के सामने स्थित है।
- शक्ति मंदिर में 6 मीटर ऊंचा एक त्रिशूल लेख प्राप्त हुआ।
- इस त्रिशूल लेख में ब्राह्मी व शंख लिपि में लेख प्राप्त हुए।
3.गंगोत्री मंदिर-
- उत्तरकाशी जनपद में गंगा(भागीरथी) माता का मंदिर गंगोत्री उत्तराखंड के चार धामों में से एक है।
- इस मंदिर का निर्माण गोरख सेनापति अमरसिंह थापा ने कराया।
- वर्तमान मंदिर का पुनरुद्धार जयपुर के राजा माधो सिंह ने कराया।
- इस मंदिर के निकट भागीरथी शिला है जिस पर भगीरथ ने शिव की घोर तपस्या की थी।
4.यमुनोत्री मंदिर –
- यमुनोत्री मंदिर उत्तरकाशी जनपद में स्थित है यह उत्तराखंड के चार धामों में से एक है।
- यमुनोत्री मंदिर का पंवार वंश के राजा प्रताप शाह ने कराया व पुनर्निर्माण जयपुर की महारानी गुलेरिया रानी ने 19वीं सदी में कराया।
- इस मंदिर के निकट एक गर्म कुंड सूर्य कुंड है।
5.कल्पकेदार मंदिर –
- यह मंदिर उत्तरकाशी-गंगोत्री राजमार्ग पर स्थित धराली गांव में हैं।
- यहाँ पर 240 मंदिरों का समूह था।
- यह मंदिर कत्यूर शैली का बना हुआ है।
6.मंजियाली का सूर्य मंदिर –
- उत्तरकाशी के नोगांव, मंजियाली गांव में यह मंदिर स्थित है।
7.लक्षेश्वर महादेव मंदिर-
- यह मंदिर उत्तरकाशी में भागीरथी नदी के तट पर स्थित है।
8.विमलेश्वर मंदिर –
- यह मंदिर उत्तरकाशी के वरुणावत पर्वत पर स्थित है।
- मान्यता है कि भगवान परशुराम ने यहाँ पर शिव की तपस्या की थी।
9.कुटेटी देवी मंदिर –
- यह मंदिर उत्तरकाशी में ऐरावत पर्वत की चोटी पर स्थित है।
10.दुर्योधन मंदिर-
- यह मंदिर हर की दुन रेंज में ओसला गांव में स्थित है।
- इस मंदिर का नाम अब सोमेश्वर मंदिर कर दिया गया है।
उत्तरकाशी जनपद के प्रमुख मेले (Major fairs of Uttarkashi district) –
1.लोसर मेला –
- यह मेला उत्तरकाशी जनपद के जाड़ भोटिया समुदाय का प्रसिद्ध मेला है।
- लोसर मेले में आटे की होली खेल मनाया जाता है।
- यह मेला तीन दिन तक आयोजित किया जाता है।
2.माघ मेला-
- यह मेला उत्तरकाशी में प्रतिवर्ष जनवरी माह मकर सक्रांति से शुरू होता है।
- यह मेला 8 दिन तक चलता है।
- इस मेले में कँडार देवता की डोली के साथ-साथ अन्य देवी देवताओं की डोली पहुंचती है।
3.बिस्सू मेला-
- यह मेला प्रतिवर्ष उत्तरकाशी के भुटाणु, टिकोची, किरोलो व देहरादून के चकराता , जौनसार-बाबर क्षेत्र में आयोजित किया जाता है।
- यह मेला प्रतिवर्ष विषुवत संक्राति के दिन लगता है इसलिए इसे बिस्सू मेला कहा जाता है।
- इस युद्ध में ठोटा युद्ध(धनुष बाणों का युद्ध) खेला जाता है। व ठोटा युद्ध में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को ‘ठोटेरी’.कहा जाता है।
4.गेंदुआ मेला-
- उत्तरकाशी की मोरी ब्लॉक की सिंगतुर पट्टी में यह मेला लगता है जिसमें दो धड़ पानसाई व साठी के बीच गेंदुआ खेल होता है।
5.अठोड़ मेला-
- यह मेला उत्तरकाशी के नोगांव में लगता है।
- इस मेले में जाख व सोमेश्वर देवता की पूजा अर्चना होती है।
6.समसू मेला-
- यह मेला हर की दून रेंज में लगने वाला मेला यह दुर्योधन की पूजा से सम्बंद्धित है
7.खरसाली मेला –
- यमुनोत्री मार्ग में खरसाली गांव में यह मेला लगता है।
- खरसाली गांव में यमुना के भाई शनि देव का एक प्राचीन मंदिर भी है।
8.हरदूध मेला
9.बाड़ाहाट मेला
उत्तराखंड के प्रमुख मेले एवं महोत्सव(Major Fairs and Festivals of Uttarakhand)
उत्तरकाशी में होने वाली यात्रा-
1.पंचकोशी वारुणी यात्रा-
- यह यात्रा चैत्र मास में होती है।
- यात्रा की शुरुआत भागीरथी – वारुणी के संगम से शुरू होती है व वरुणावत पर्वत की परिक्रमा कर भागीरथी-अस्सी गंगा संगम स्थल पर समाप्त होती है।
- यह 15 KM की पैदल यात्रा है।
उत्तरकाशी की प्रमुख नदियां (Major rivers of Uttarkashi) –
1.भागीरथी नदी –
उद्गम – गोमुख(गंगोत्री हिमनद)
सहायक नदी-
1.रुद्रगंगा-
- उद्गम – रुद्रगेरा ग्लेशियर
- संगम – गंगोरी धाम के ऊपर भागीरथी से संगम
2.केदारगंगा –
- उद्गम – केदार ताल
- संगम – गंगोत्री धाम के निकट
3.जाद गंगा(जाड़गंगा)-
- उद्गम – थांगला दर्रा
- संगम – भैरोघाटी
4.सियागंगा– झाला नामक स्थान पर भागीरथी में मिलती है।
5.अस्सी गंगा – इसका उद्गम डोंडीताल से होता है व गंगोरी नामक स्थान पर भागीरथी से संगम करती है।
6.वरुणा नदी – उत्तरकाशी में भागीरथी में मिलती है।
यमुना नदी-
- यमुना नदी को कालिंदी नदी भी कहा जाता है।
- असित मुनि ने यमुना नदी की खोज की इसलिए इसका एक नाम आसिता नदी भी है।
- उद्गम- बंदरपूंछ पर्वत शिखर के यमुनोत्री काँठा हिमनद से।
सहायक नदी –
1.,ऋषिगंगा-
- उद्गम- बन्दरपूँछ ग्लेशियर
- संगम- जानकी चट्टी में यमुना नदी से
2.हनुमान गंगा-
- उद्गम- बन्दरपूँछ पर्वत से
- संगम – हनुमान चट्टी के पास यमुना नदी से
3.कमलगाड़– कमलगाड़ नोगांव में यमुना नदी में मिल जाती है।
टोंस नदी –
- टोंस नदी यमुना नदी की प्रमुख सहायक नदी है।
- टोंस नदी को उद्गम से सूपिन नदी भी कहते हैं।
- उद्गम – बन्दरपूँछ पर्वत के उत्तरी ढाल से
सहायक नदी-
रूपिन नदी– इसका उद्गम हिमाचल प्रदेश के डोडरा क्वार से होता है।
संगम – सूपिन व रूपिन(टोंस) नदी का संगम नैटवाड़ा(उत्तरकाशी) में होता है व आगे टोंस नदी के रूप में आगे बढ़ती है।
टोंस नदी देहरादून के कालसी में यमुना नदी से मिल जाती है।
उत्तरकाशी की प्रमुख परियोजनाएँ –
परियोजन नदी
1.मनेरी-भाली परियोजना – भागीरथी नदी
2.हनुमान गंगा परियोजना – हनुमान गंगा
3.करमोली परियोजना – जाद गंगा
4.जाड़गंगा परियोजना – जाद गंगा
4.सोनगढ़ परियोजना – यमुना
5.तालुका सांकरी परियोजना – टोंस नदी
6.मोरी हनोल परियोजना – टोंस
7.लोहारी नाग परियोजना – भागीरथी
उत्तरकाशी के प्रमुख कुंड (Major reservoirs of Uttarkashi) –
ठंडे कुंड –
1.सप्तऋषि कुंड –
- यह कुंड यमुनोत्री से 14 KM दूर है।
- यह एक ठंडा कुंड है।
- इसे यमुनोत्री का उद्गम भी माना जाता है।
2.सूर्य कुंड –
- यह कुंड गंगोत्री में स्थित है।
3.ब्रह्म कुंड व विष्णु कुंड –
- ये कुंड भी भगीरथ शिला के पास गंगोत्री में स्थित हैं।
गर्म कुंड-
1.सूर्य कुंड –
- यमुनोत्री मंदिर के निकट यह एक गर्म कुंड है।
2.गंगनानी कुंड-
- यह भी एक गर्म कुंड है।
प्रमुख झील व ताल –
1.नचिकेता ताल-
- यह ताल उत्तरकाशी से 32Km दूर व चौरंगीखाल से 3 Km दूर स्थित है।
- माना जाता है कि इस स्थान पर नचिकेता व यमराज का सवांद हुआ था जिससे इस ताल का नाम नचिकेता ताल पड़ा।
2.डोंडीताल-
- यह ताल उत्तरकाशी जनपद के 30km दूर स्थित है।
- इस ताल के 6 कोने है।
- इस ताल से असीमगंगा(भागीरथी की सहायक नदी) का उद्गम होता है।
3.केदारताल-
- यह ताल उत्तरकाशी जनपद में गंगोत्री से 20Km दूरी पर स्थित है।
- यह ताल थालैयासागर पर्वत श्रखंला पर स्थित है।
- इस ताल से भागीरथी नदी की सहायक नदी केदारगंगा का उद्गम होता है
4.फाचकंडी ताल-
- उत्तरकाशी जनपद में स्थित इस ताल का जल उबलता रहता है।
5.देवताल
6.खिड़ा ताल
7.लामाताल
8.भराड़सरताल
9.बयाँ ताल
10.रोहिसाड़ा ताल
उत्तराखंड की प्रमुख ताल एवं झीलें ( Major pools and lakes of Uttarakhand)
उत्तरकाशी के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान (Major National Parks of Uttarkashi) –
1.गोविंद राष्ट्रीय उद्यान (Govind National Park) –
- गोविंद राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1955 में हुई थी।
- यह उद्यान उत्तरकाशी जनपद में स्थित है।
- उद्यान का क्षेत्रफल 472 वर्ग किलोमीटर है।
- हर-की-दून घाटी जो की उद्यान के भीतर है, यह ट्रेकिंग के लिए एक प्रसिद्ध स्थान है।
- रुइंसियारा झील भी एक पर्यटन स्थल के रूप में लोकप्रिय है।
2.गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान (Gangotri National Park)-
- गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1989 में हुई थी।
- यह उद्यान उत्तरकाशी जनपद में स्थित है।
- उद्यान का क्षेत्रफल 2390 वर्ग किलोमीटर है।
- गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान में हिम तेंदुआ, हिमालयन भालू, कस्तूरी मृग, भरल और प्रमुख पक्षियों में मोनाल, कोकलास, ट्रेगोपान आदि वन्य-जीव है।
उत्तरकाशी की तहसीलें (Tehsils of Uttarkashi) –
1. भटवारी (Bhatwari)
2. चिन्यालीसौड़ (Chiniyalisaur)
3. डंडा (Dunda)
4. मोरी (Mori)
5. पुराला (Puraula)
6. राजगढ़ी (Rajgarhi)