
उत्तराखंड- टिहरी रियासत (भाग -2)
Uttarakhand – Tehri Princely State (Part -2)
2. भवानी शाह (1859 – 1871) –
- भवानी शाह के पिता का नाम सुदर्शन शाह था।
- भवानी शाह की माता का नाम गुण देवी था।
- टिहरी की जनता और सुदर्शन शाह की रानी खनेती अपने पुत्र शेरशाह को टिहरी का राजा बनाना चाहती थी।
- फलस्वरूप भवानी शाह और शेरशाह के मध्य उत्तराधिकारी का युद्ध हुआ था।
- उत्तराधिकारी के युद्ध में कमिश्नर हैनरी रैमेज की सहायता से भवानी शाह को राजा नियुक्त किया गया था।
- शेरशाह को देशनिकाला कर दिया गया था तथा देहरादून में नजरबंद कर दिया था।
- इसका विवरण मियाँ प्रेम सिंह की पुस्तक गुल्दस्त त्वारिख कोह टिहरी गढ़वाल में मिलता है।
- 1861 में हैनरी रैमेज ने अठूर के किसानों के लिए 12 आना बीसी भूमि व्यवस्था लागू की थी।
- भवानी शाह के समय में पंवार राज्य की आय का स्रोत भूमि कर था।
- 1862 में भवानी शाह के द्वारा देवप्रयाग में संस्कृत व हिंदी पाठशाला की स्थापना की गयी थी।
- भवानी शाह साधू प्रकृति का था।
3. प्रताप शाह (1871 – 1886) –
- प्रताप शाह ने 1877 में प्रताप नगर की स्थापना की थी।
- प्रताप शाह ने सर्वप्रथम अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था की शुरुवात की थी।
- इसने 1883 में अंग्रेजी स्कूल बनाया था, जिसका नाम, प्रताप जूनियर हाईस्कूल कहा गया था।
- प्रताप शाह का सलाहकार बद्रीदत्त पेनूली था।
- बद्रीदत्त पेनूली के कहने पर ही प्रताप शाह के द्वारा टिहरी में पलटन की व्यवस्था की गयी थी।
- 1873 में प्रताप शाह के द्वारा भूमि व्यवस्था कराइ जिसे ज्यूला पैमाइश कहते है।
- प्रताप शाह ने रजिस्ट्री व्यवस्था की भी शुरुवात की थी।
- प्रताप शाह ने टिहरी को 22 पट्टियों में विभाजन किया था।
- इसने टिहरी में पुलिस व्यवस्था की शुरुवात की थी।
- टिहरी में प्रताप शाह ने पटवारी पद की नियुक्ति की थी।
- 1819 में कुमाऊं में पटवारी पद की शुरुवात कमिश्नर ट्रेल ने की थी।
- कारदार नामक व्यक्ति की नियुक्ति प्रताप शाह के द्वारा की गयी थी।
- कारदार का कार्य राजस्व एकत्र करना तथा भूमि मापन था।
- कारदार की नियुक्ति 1 वर्ष के लिए होती थी।
- प्रताप शाह के द्वारा न्यायालय की स्थापना की गयी थी।
- प्रताप शाह के बेटे कीर्ति शाह ने इस न्यायालय को चीफ़ कोर्ट कहा था।
- इसके बाद कीर्ति शाह के बेटे नरेंद्र शाह के द्वारा इस न्यायालय को हुजुर कोर्ट कहा गया था।
- प्रताप शाह ने न्यायालय में टिकट व्यवस्था की शुरुवात की थी।
- 1877 में प्रताप शाह ने अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी प्रतापनगर बनाई थी।
- प्रताप शाह के द्वारा प्रथम अस्पताल की व्यवस्था की गयी थी।
- इस अस्पताल में श्री देव सुमन के पिता हरिराम वटौनी वैध थे।
- 1876 में प्रताप शाह ने सफाखाना (दवाई खाने) की शुरुवात की थी।
- प्रताप शाह के द्वारा बेगार प्रथा को कम किया था।
- हिमांचल प्रदेश की रानी गुलेरिया के साथ प्रताप शाह का विवाह हुआ था।
- महारानी गुलेरिया की सलाह से प्रताप शाह ने अपने राज्य में अपने कूर प्रथाओ को समाप्त किया था। जिसमे घी कर , बिसाह , खैण (बेगार) आदि थे।
- प्रताप शाह ने दास प्रथा को समाप्त करने का प्रयास किया था।
- प्रताप शाह ने गाँव के दलित वर्ग को भूमि दान में दी थी।
- 1885 में टिहरी में वन विभाग की स्थापना की थी।टिहरी में प्रताप शाह द्वारा प्रताप प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना की गयी थी।
- प्रताप शाह के दरबार में कवि देवराज रहा करते थे , जिन्होंने गढ़वाल राजा वंशावली की रचना की है।
- फ़रवरी 1887 में प्रताप शाह की मृत्यु हो गयी थी।
- प्रताप शाह के समय में धाणडक विद्रोह हुआ था।
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