उत्तराखंड की प्राकृतिक आपदा

उत्तराखंड पर्वतीय क्षेत्र होने कारण यहाँ भूस्खलन,भूकम्प,हिमखंडों के गिरने जैसी आपदाएं आती हैं।उत्तराखंड का ज्यादातर क्षेत्र वनों वाला होने के कारण यहाँ वनों में आग लगना,अधिक वर्षा होने पर बाढ़ आना जैसी प्राकृतिक आपदाए हर वर्ष होते रहती है।जिससे बहुत  ज्यदा जान-माल का नुक्सान भी होता है।

  • भूकंप  (Earthquake)

  • बाढ़ (Flooding)

  • हिमखंडो का गिरना (Collapse of the Iceberg)

  • अतिवृष्टि (Excess Rain)

  • वनाग्नि (Forest fires)

  • भूस्खलन (Landslide)

भूकंप  (Earthquake)-

भारत वर्ष में भूकंप को पाँच ज़ोन में बाटा गया है।इन पाँच ज़ोनो में से 2 ज़ोन उत्तराखंड में पड़ते है जिनमें से 2 भूकंप जोन उत्तराखंड में पडते हैं।उत्तराखंड के देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर जिले ज़ोन 4 में आते है जिसे संवेदनशील ज़ोन कहा गया है,तथा चमोली, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ व चंपावत जिले ज़ोन 5 में आते है जो अतिसंवेदनशील ज़ोन कहा गया है।

बाढ़ (Flooding)-

उत्तराखंड राज्य पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण यहाँ नदियों की संख्या बहुत अधिक है।राज्य में नदियों की संख्या इतनी होने के बाद भी यहाँ बाढ़ ज्यादा नहीं आती है।उत्तराखंड राज्य में पहाड़ी क्षेत्र अधिक होने के कारण यहाँ ढलान ज्यादा है जिसके कारण यहाँ ज्यादा बाढ़ नहीं आती है।पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षा अधिक होती है,जिसके कारण बादल फटने के आसार ज्यादा रहते है।जिसकी वजह से भूस्खलन,बांध टूटने,भूकटाव जैसी आदि घटनाएं होती हैं।

हिमखंडो का गिरना (Collapse of the Iceberg)-

उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में ज्यादा बर्फ़बारी होती है।अधिक बर्फ़बारी होनेक्र कारण हिमखंडों के गिरने जैसी घटनाये होती रहती है।ज्यादा बर्फ़ गिरने के कारण बर्फ़ की मोटी परत जम जाती है,जिससे काफ़ी जान-माल का नुक्सान उत्तराखंड को होता है।

अतिवृष्उत्तराखंड की प्राकृतिक आपदा (Uttarakhand natural disaster)टि (Excess Rain)-

वर्षा ऋतू में अधिक वर्षा होने के कारण उत्तराखंड में कई जगहों में बादल फट जाते है जिसकी वजह से बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है और उसी के कारण भूस्खलन भी हो जाता है।

वनाग्नि (Forest fires)-

उत्तराखंड में  प्रतिवर्ष वनाग्नि के कारण वनों का भारी नुकसान उठाना पड़ता है।उत्तराखंड राज्य के लगभग 45% भू-भाग में वन है।ग्रीष्म ऋतू में अधिक गर्मी होने के कारण वनों में आग लग जाती है और कभी-कभी मानवों की गलती के कारण भी वनों में आग लग जाती है।वनों में लगने वाली इसी अग्नि के कारण वनों को काफ़ी नुक्सान होता है।वनों में आग लगने के कारण पर्यावरण को भी काफ़ी नुकसान होता है।इससे वन्य जीवों को भी काफ़ी नुक्सान पहुँचता है।

भूस्खलन (Landslide)-

भूस्खलन से उत्तराखंड को काफ़ी नुकसान उठाना पड़ता है। भूस्खलन से पथरीली मिटटी का बहाव व कटाव, पहाड़ो का खिसकर निचे कोा आन,धरताल में हलचल होना, पत्थर खिसकना या गिरना आदि होता है।

 

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