उत्तराखण्ड – गोरखा प्रशासन,सैन्य प्रशासन,दण्ड विधान


Uttarakhand – Gorkha Administration, Military Administration, Penal Legislation


गोरखा प्रशासन –

  • कुमाऊँ व् गढ़वाल में गोरखाओं का शासन सैन्य शासन पर आधारित था।
  • इनका राजा नेपाल में ही रहता था उसके सैनिक सामंत (सुब्बा) के नाम से कुमाऊँ व गढ़वाल में राज करते था।
  • दासता तथा कर प्रणाली , बेगार थे। ये 3 शोषण के मुख्य आधार थे।
  • इन्होंने शाह की उपाधि धारण कर नेपाल के राजा बन गये।
  • गोरखा एक राजस्थानी राजपूत थे तथा अलाउद्दीन खिलज़ी द्वारा चित्तोड़ को जितने के बाद गोरखा वंशज नेपाल की पहाड़ियों में रहने के लिए चले गए थे।
  • यही राजपूत वंश शाह की उपाधि धारण कर नेपाल के शासक बन गए थे।
  • गोरखाओं द्वारा पहली अदालत अल्मोड़ा में स्थापित की गयी थी।

उत्तराखण्ड में गोरखाओं के मुख्य सेनापति –

  1. अमर सिंह थापा
  2. हस्तिदल चौतरिया
  3. सुरवीर थापा
  4. जगदीश पाण्डेय

सैन्य प्रशासन –

  • इनका राजा उत्तराखण्ड में सैन्य शासन पर आधारित था।
  • इसमें स्थायी तथा अस्थायी सेना हुआ करती थी।
  • पुराने सैनिकों को ढ़करिया / ढ़ाकचा कहते थे।
  • नए नियुक्त सैनिकों को जागरिया / जागचा कहा जाता था।
  • गोरखा सैनिकों का मुख्य हथियार खुकरी होता था।

दण्ड विधान –

  • देश द्रोह के लिए मृत्यु दण्ड दिया जाता था।
  • गोरखा शासन में ब्राहमणों को भी कठोर दण्ड दिया जाता था।
  • गोरखा शासन में सूली में चढ़ाना तथा अंग काटना भी दण्ड रूप में दिया जाता था।

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