उत्तराखण्ड -आंग्ल गोरखा युद्ध तथा सिंगोली की संधि
Uttarakhand – Anglo Gorkha War and the Treaty of Singoli
आंग्ल गोरखा युद्ध –
- सुर्दशन शाह द्वारा गोरखा राज्य पर आक्रमण करने हेतु अंग्रेजों को आमंत्रित किया तथा अंग्रेजों ने उसके इस आमंत्रण को स्वीकार किया था।
- उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की बुटवल तहसील पर गोरखाओं ने आक्रमण कर दिया और बुटवल पर अपना कब्जा कर लिया था।
- बुटवल तहसील के लोग अंग्रेजों को कर दिया करते थे। जिससे अंग्रेज नाराज हो गए तथा अंग्रेजों ने गोरखाओं पर आक्रमण कर दिया था।
- वायसराय लॉर्ड होस्टिंग ने अप्रैल 1814 में आक्रमण कर दिया और गोरखाओं को पराजित कर दिया था।
- यही से आंग्ल- गोरखा युद्ध प्रारम्भ हुआ था।
- हर्षदेव जोशी के द्वारा गोरखाओं का शासन समाप्त करने के लिए अंग्रेजों को आमंत्रित किया था।
- कैप्टन हियरसी ने हर्ष देव जोशी को उत्तराखंड का अलवार्विक कहा है।
- कैप्टन हियरसी ने गोरखाओं को रक्त पिवाषु भी कहा है।
- अल्मोड़ा का लाल मण्डी किला गोरखाओं का मुख्यालय था।
नाला पानी युद्ध (अक्टूबर – नवंबर 1814) –
- इस युद्ध में बलभद्र थापा के द्वारा खलंगा (कालुंगा) सैन्य शिविर का निर्माण किया था।
- इस युद्ध के दौरान अंग्रेज अधिकारी ग्लेस्पी था।
- इस युद्ध में अंग्रेज अधिकारी ग्लेस्पी की हत्या हो गयी थी।
- 30 नवंबर 1814 को अंग्रेजों ने खलंगा सैन्य शिविर को तबाह कर दिया था।
कुसुम घाट युद्ध –
- यह युद्ध हस्ती दल चौतरिया तथा हियर सी के मध्य हुआ था।
गढनाथ दण्डा युद्ध-
- 23 अप्रैल 1814 को यह युद्ध हस्ती दल चौतरिया तथा कर्नल निकोसन के मध्य हुआ था।
- इस युद्ध में अंग्रेजों की विजय हुई थी।
- इसी युद्ध में गोरखा सेनापति हस्तीदल चौतरिया मारा गया था।
लालमंडी युद्ध –
- 25 अप्रैल 1815 चामू भंडारी तथा निकोसन के मध्य यह युद्ध हुआ था।
- इस युद्ध में गोरखा पराजित हुए थे।
- इसके बाद गोरखाओं ने अंग्रजों के साथ अल्मोड़ा की संधि की थी।
- बमशाह ने 27 अप्रैल 1815 में आत्मसमर्पण कर दिया था।
- जिसके परिणाम स्वरूप गार्डनर व बमशाह के मध्य संधि हुई थी।
- इस संधि के तहत गोरखाओं ने कुमाऊँ की सत्ता अंग्रेजों को सौंप दी थी।
मलाबगढ़ की संधि / नहान की संधि –
- अंग्रेज मेजर जनरल ओक्टर लोनी और अमर सिंह थापा के मध्य यह संधि हुई थी।
- गोरखा अपनी सत्त्ता अंग्रेजों को सौंपने के लिए स्वीकार हो गए थे।
- इस संधि के बाद गोरखाओं ने इस संधि का उल्लंघन किया था, जिसके बाद अंग्रेजों ने गोरखाओं पर पुनः आक्रमण करने का निर्णय लिया था।
- जिसके परिणाम स्वरूप गोरखाओं व अंग्रेजों के मध्य संधि हुई जिसे सिंगोली की संधि कहा जाता है।
सिंगोली की संधि (Treaty of Singoli) –
- संगोली (Singoli) बिहार में स्थित एक स्थान है।
- यह संधि 2 दिसंबर 1815 को लै0 कर्नल पेरिस ब्रेडसॉ और नेपाल नरेश शाह बहादूर शमशेरजंग के प्रतिनिधि गजराज मिश्र एवं चन्द्रशेखर उपाध्याय के मध्य का मसौदा हस्ताक्षरित हुआ।।
- 4 मार्च 1816 को संगोली संधि की पुष्टि कर दी गयी थी।
- 1823 में संगोली की संधि को सतत् शांति और मैत्रीपूर्ण संधि कर दिया गया।
- नेपाल के दक्षिणी तराई क्षेत्र से गोरखाओं को हटाना।
- काठमांडू में नेपाल सरकार के ख़र्च पर ब्रिटिश रेजिमेंट रखना।
- गोरखाओं को ब्रिटिश सेना में भर्ती कराना।
- कुमाऊँ व गढ़वाल से गोरखाओं को समाप्ति।
- काली नदी को विभाजन रेखा माना गया था।
NOTE -
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नेपाल का साहित्य नेवारी भाषा में था।
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मोलाराम ने रणबहादुर चंद्रिका लिखी।
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रणजोर सिंह थापा को गोरखाओं का दानवीर कर्ण मोलाराम के द्वारा कहा गया था।
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1791 में सुब्बा जोगामल शाह ने पहला भूमि बंदोबस्त कराया।