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कारगिल युद्ध के अज्ञात तथ्य ( UNKNOWN FACTS ABOUT KARGIL WAR)

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कारगिल युद्ध की शुरुवात कैसे हुई :

गर्कों गॉव कारगिल 2 मई 1999 । तशिनाम गयाल जो अपनी बकरियों को चराने गया था उसकी एक याक कही खो गयी थी | उसको ढूढते हुए वो पहाड़ी मे आगे गया । उस समय वक़्त तक़रीबन 10:42 am था । इसने देखा की सामने की पहाड़ी पर कुछ हलचल हो रही थी , तभी इसने अपने दूरबीन से देखा और भागते भागते आया और वही से शुरुवत हुई एक बहुत बड़े युद्ध की जिसे आप और हम करगील युद्ध के नाम से जानते है ।

कारगिल युद्ध के बारे में अज्ञात तथ्य –

आधिकारिक तारीख मानी गयी 19 मई 1999 ।लेकिन शुरुआत तो 2 मई 1999 से हुई । तापमान तक़रीबन -45º C । ताशीनाम गर्कों गॉव मे रहता था वहाँ से वो घूमता-घूमता बंजू टॉप पंहुचा और बंजू टॉप मे इसने देखा 6 लोग की घुसपैठ हो रही थी । और उसके बाद दौड़ते -दौड़ते आया और दो आर्मी वालो को इसकी सूचना दी ।

5 मई 1999 को 4 पेट्रोलिंग पार्टी को उप्पर भेजा गया सर्च पार्टी के तोर पर । लेकिन वहाँ से हमारे 5 जवानों को बंधक बना लिया गया , उनके सताया गया और उनको टुकडो मे काट दिया गया ।

6 मई 1999 रक्षा मंत्रालय नयी दिल्ली के ऑफिस मे हलचल हुई , जब खबर मिली पहली सहदाद की हमारे सैनिको की । नार्थ ब्लाक रक्षा मंत्रालय के ऑफिस मे ये खबर मिस्टर जॉर्ज फर्नांडीस को दी गयी ।

8 मई 1999 जब ये खबर इस्लामाबाद के मुख्यालय मे पहुची तो वहाँ सब परेशान हो गये । उसी के रहते 9 मई 1999 को पकिस्तान की तरफ से बहुत बम बारी की गयी जिससे हमारा पूरा एमीनेशन डीपो तबाह कर दिया गया और हमे उसमे 127 करोड का नुकशान हुआ । 10 मई 1999 को कैबिनेट की मीटिंग हुई आर्मी ऑपरेशन रूम [ OFS ] मे । वहाँ पर साफ़ साफ़ और सब कुछ बताया गया क्योंकि तब तक पाकिस्तान की तरफ से बहुत ज्यदा मात्रा मे शेलिंग होने लगी थी और अब युद्ध के आसार साफ़ साफ़ दिख रहे थे ।

14 मई 1999 जाट रेजिमेंट की पहली टुकड़ी को सर्च पार्टी के तोर पर आगे भेजा गया । टुकड़ी आराम कर रही थी तभी कैपटन सौरभ कालिया और उनके कुछ साथियों को बंधक बना लिया गया । उसके बाद उनके साथ बहुत गलत किया गया । जो किसी भी लड़ाई के वसूलो के खिलाफ था , पहले उनकी आखे निकाल ली गयी , उसके बाद उनका सर काट दिया गया , उसके बाद उनके शरीर के छोटे छोटे टुकड़े कर बोरे मे भर के फेक दिया गया । तब सबको ये समझ आ गया की ये कुछ घुस्पेथियो का काम नहीं बल्कि ये बहुत बड़ी साजिस थी और बहुत बड़े युद्ध का एलान हो चूका था । अभी तो कैपटन सौरभ कालिया कैपटन बने ही थे और अपनी पहली तनखाह भी नहीं ले पाए थे उससे पहले ही उनके साथ एसी बर्बरता हो गयी थी ।

मस्को और बटालिक सेक्टर मे 16-17 तारीख को ये पता चला की कारगिल से उत्तर की तरफ 80 km के पुरे छेत्र मे जितनी ऊँची पोस्ट थी और पहाड़िया थी वो सब पाकिस्तानियों ने कब्जे मे ले ली थी । और अब वो बहुत अच्छी पोजीशन मे थे वो उधर से NH-1 को देख सकते थे और हर एक छोटी बड़ी चीज पर नजर रखी जा रही थी । उधर पाकिस्तानियों के पास बहुत ज्यदा मात्रा मे बम और गोलिया थी क्योंकि अगर इधर से एक गोली चलती तो वो उसके जवाब मे 10 से 15 गोली चला रहे थे । उनका एक प्लस पॉइंट था की वो टॉप मे बैठे थे और उनकी पोजीशन बहुत अच्छी थी ,और पूरी पाकिस्तानी आर्मी का सपोर्ट उनको मिला हुआ था । उनके पास बहुत ज्यदा मात्रा मे एमिनेसन था । उनके पास स्टिंगर मिसाइल , एंटी एयर क्राफ्ट , मल्टी बेरल गन, MMG ( मोटार मशीन गन ) की उनकर पास बहुत ज्यदा तादात मे थे । 18 मई 1999 को ये सारी खबर रक्षा मंत्रालय को दी गयी । 19 मई 1999 को औपचारिक तौर से कारगिल युद्ध शुरू कर दिया गया ।

24 मई 1999 को सैन्य कार्यालय मंत्रालय के ऑपरेशन रूम मे अनिल यशवंत टिपनिस सर को जेनरल मलिक सर ने बुलाया , और जो भी 22-23 तारिक को जो सर्च ऑपरेशन चले घाटी मे उसकी पूरी जानकारी दी गयी और बोला की अब ये वॉर जोन है , और वहाँ ये कहा गया की हमे एयर सपोर्ट की जरूरत है , और तब एयरफोर्स ने अपना काम शुरू किया । एयरफोर्स ने इस ऑपरेशन को सफ़ेद सागर नाम दिया । लेकिन उसमे भी एक दिक्कत थी क्योंकि स्ट्रेजिकल तौर पर मुन्टो डालो और टाइगर हिल भुत बहुत ज्यदा जरुरी थे हमारे लिए ,लेकिन जो दिक्कत थी वो ये की उन पहाड़ो मे एयर स्ट्राइक करना बहुत मुस्किल था पर फिर भी चीफ ए. वाई. टिपनिस सर ने अपनी बेस्ट को -टीम को बुलाया और उसके बाद आर्डर दिए गए की ये चोटिया हमे किसी भी कीमत पर हासिल करनी है । 24 मई 1999 को मुन्टोडालो और टाइगर हिल पर हमला कर दिया गया और पहला ऑपरेशन सफल रहा । जो करना बहुत मुस्किल था क्योंकि जो हालात थे वो हमारे बिलकुल विपरीत थे और तापमान भी बहुत कम था ।

25 मई 1999 सेवेन रेस कोर्स प्रधानमंत्री आवास नयी दिल्ली पर एक कांफ्रेंस हुई ,जो की प्रधानमंत्री आवास मे बहुत कम होती है । और वहाँ मीडिया के सामने सारे सबूत रखे । तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने मीडिया और प्रेस को सब बताया की हमारे देश की अभी क्या स्तिथि है और देश किन हालातो से गुजर रहा है । अब एयर फाॅर्स ने स्ट्राइक और तेज़ी से शुरू कर दी और तब शुरू हुआ हमारी स्ट्राइक का पहला दिन । 26 मई 1999 पठानकोट और श्रीनगर एयर बेस से उड़ान भरी गयी । जिसमे MIG 17, MIG 21, MIG27 ने एक साथ उड़ान भरी ।अब बारी थी हमारी थल सेना की । पहली स्ट्राइक की गयी 26 मई 1999 को । इंडियन एयरफोर्स के फाइटर जेट के साथ ।

सुबह पॉइंट 4590 पर हमला किया गया और उसके साथ-साथ दोपहर तक बटालिक सेक्टर पर भी हमला कर दिया , और इसके साथ निचे से थल सेना की इन्फेंट्री डेपलोमेंट के साथ ऑपरेशन विजय और एयर फाॅर्स का ऑपरेशन सफ़ेद सागर की शुरुवात हुई । लेकिन एक टेक्निकल प्रॉब्लम थी तुर्तुक तथा मस्को वैली में और बटालिक सेक्टर में इन्फेंट्री का या आर्टिलरी का ज्यदा डिप्लोय्मेंट करना इसका मतलब हम पाकिस्तानी आर्मी को एक मौका देते हैवी डिप्लोय्मेंट करने का , और अगर एयरफोर्स के ज्यदा मोमेंट दिखते तो उसका एक इशू ये था की हम उनको भी एक मौका दे रहे है वॉरफियर खोलने का और उसके साथ -साथ क्योंकि 1965 में एयरफोर्स की एक नार्मल ड्रिल थी लेकिन उसके जवाब में पाकिस्तानी एयर फाॅर्स ने बहुत भारी भरकम हमला किया था ,भारत में तो वो भी एक चिंता का विषय था कही ना कही इंडियन एयर फाॅर्स मे , लेकिन उसके बाद भी बहुत संभलते-संभलते आगे बद रहे थे ।

26 मई 1999 का दिन बहुत बड़ा था हमारी आर्म्ड फोर्सेज के लिए क्योंकि अगर हम यहाँ से एयर फाॅर्स से हमला करते तो वहां से बहुत ज्यदा फायरिंग और आर्टिशेलिंग होती जिसका फायदा घुसपेठियो को होता । ये पहले ही 11 km अंदर थे एल.ओ.सी. के । 27 मई 1999 की सुबह कुछ ऐसा हुआ जो इतिहास के पन्ने मे जरुर लिखा जायेगा ।

27 मई 1999 को इंडियन एयर फाॅर्स के लिए बुरा दिन था । और इंडियन एयर फाॅर्स ने बहुत कुछ सिखा भी उससे । वॉर के टाइम जब फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता अपना MIG27 लेके गए और जैसे ही वो दुश्मन के एरिया में हमला करने की सोची तो दुश्मन पहाड़ पर टॉप में था वहां से एक स्टिंगर मिसाइल ने MIG 27 को हित किया जैसे ही MIG हिट हुआ लेफ्टिनेंट ने अपना पैरासूट खोला और उड़े तो एक प्रॉब्लम ये थी की उन्होंने LOC के पार लैंडिंग की जो पाकिस्तान का एरिया था ,और उन्हें बंधक बना लिया गया ।अब सबसे बड़ी प्रॉब्लम ये हो गयी थी की हमारा MIG हिट हो गया था और पायलट हमे मिल नहीं रहा था , उनके साथ कोई भी कम्युनिकेशन नहीं हो रहा था । उसके बाद स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा ने यहाँ से MIG लेके फिर से हमला किया पर रिजल्ट फिर वही रहा हमारा MIG फिर से हिट हो गया था , और जैसे ही पैरासूट से पायलट निचे आ रहे थे तो उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया गया और उनके शरीर के टुकड़े निचे जामें में गिरे ।इंडियन एयरफोर्स ने फिर से स्ट्राइक किया शाम तक ।

27 मई को  भारत ने पूरी ताकत से हमला करना शुरू कर दिया , और शाम होने तक पॉइंट 4590 को अपने कब्ज़े में ले लिया गया ।इंडियन एयर फाॅर्स ने फिर स्ट्राइक किया शाम तक । निचे से तोपों से हमला शुरू कर दिया और शाम होते – होते तक पॉइंट 4590 को अपने कब्ज़े में ले लिया गया । मगर कुछ हमारे सैनिक शहीद हो गए थे । इन सबके बीच जब हमारी आर्मी उप्पर को जा रही थी उन्होंने पॉइंट 4590 और टाइगर हिल दोनों में एक साथ हमला किया ।

28 मई 1999 को MIG17 हैलीकॉप्टर को हिट किया गया वो भी एक बुरा दिन था एयर फाॅर्स के लिए जिसमे हमारे 4 सैनिक शहीद हो गये थे । 1 जून 1999 को पाकिस्तान की तरफ से आर्टिशेलिंग बहुत ज्यदा हो चुकी थी और उसके जवाब में हमारी आर्मी थोड़ी देर रुकी और फिर से मोमेंट रात में शुरू कर दी गयी । पाकिस्तानी NH1 में हमला कर रहे थे क्योंकि वो अगर NH1 को तोड़ देते तो हमारे सरे हथियार और खाने का सामान आना बंद हो जाता । 1 जून 1999 से 4 जून 1999 तक पकिस्तान की तरफ से बहुत हमले हो रहे थे और हमारी सेना आगे बहुत कम बढ़ पाई थी ।1 जून 1999 को तीन आतंकवादियों को मार गिराया ,बाद में जब उनके डॉक्यूमेंट चेक किये गए तब पता चला की ये पाकिस्तानी आर्मी के रेगुक्लर सैनिक थे । उनके पास से पाकिस्तानी आर्मी के आई – डी कार्ड और कई डॉक्यूमेंट थे, जो इंडियन गवर्नमेंट ने मीडिया और पाकिस्तानी गोवेर्नमेंट के साथ साझा किये गए । अब एक चीज तो साफ़ हो चुकी थी की ये पाकिस्तानी आर्मी का ही काम है । 6 जून 1999 को इंडियन आर्मी ने 3 दिशाओ से हमला किया और उप्पर चढ़ने लगे । सामने से हमला नहीं कर सकते थे क्योंकि दुश्मन उचाई में था । इस हमले में हमारे बहुत ज्यदा जवान शहीद हो गये थे लेकिन फिर भी आर्मी आगे बढ़ती रही ।

9 जून 1999 को इंडियन आर्मी ने अपने दो key पोजीशन बटालिक सेक्टर में हासिल कर ली थी । इंडिया ने अपनी तरफ से चीफ ऑफ़ जनरल स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल अज़ीज़ खान तथा परवेज़ मुसरफ़ को पूरे सबूत दिए , उस टाइम ये चाइना दौरे में था ।उसके बाद रावलपिंडी में ये सबूत भेजे गए उनका जो इन्वोल्मेंट था पाकिस्तानी आर्मी का इस पुरे हमले मे उनको सौपा गया । 13 जून 1999 को तोलोलिंग के द्रास सेक्टर पर आर्मी ने अपना कब्ज़ा कर। लिया था । 15 जून 1999 से सलाहों का सिलसिला शुरू हो गया ।अमेरिकन प्रेसिडेंट बिल क्लिंटन ने परवेज़ मुसरफ़ से कहा की अपनी आर्मी को वापिस बुलाओ ।14 जून से 28 जून तक बहुत हमले हुए । 29 जून 1999 को टाइगर हिल के दो पॉइंट , पॉइंट 5060 आवर 5100 पे इडियन आर्मी ने अपना कब्ज़ा कर लिया ।

2 जुलाई 1999 को तीन आवामिय या त्रिशूल भेदिये तरीके से हमला किया क्योंकि सामने से हमला करना बेकार था । दुश्मन बहुत उचाई में बैठा था । 3 जुलाई 1999 को 11 :45 pm के बाद लगातार 14 घंटे की फयेरिंग चली और उसकी सुबह टाइगर हिल पर विजय पाई । जो एक बहुत जरुरी हिस्सा था । 5 जुलाई 1999 को पूरा द्रास सेक्टर पर इंडियन आर्मी ने जीत लिया था । उसी दिन नवाज़ सरीफ ने पाकिस्तानी आर्मी को वापिस आने का एलान कर दिया । 7 जुलाई 1999 को बटालिक में ज़ुबार हाइट कैप्चर हो गयी थी । 11 जुलाई को पाकिस्तानी आर्मी पीछे भागने लगी और इंडियन आर्मी ने सरे पॉइंट्स और हिल्स पर अपना कब्ज़ा वापिस कर लिया था । 14 जुलाई प्रधान मंत्री अटल बिहारी जी ने ऑपरेशन विजय की घोषणा की । 15 जुलाई से 25 जुलाई 1999 तक बहुत सर्च ऑपरेशन हुए । 26 जुलाई 1999 को मिशन पूरा हो गया था ।

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