राजस्थानी साहित्य का काल विभाजन


Time Division of Rajasthani Literature


  1. प्राचीन काल (वीरगाथा काल 1050 ई. – 1550 ई.) 
  2. पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल – 1450 ई. – 1650 ई.) 
  3. उत्तरमध्यकाल (श्रृंगार/रीती/नीतिकाल 1650 ई. – 1850 ई.) 
  4. आधुनिककाल (1850 ई. के बाद) 

प्राचीन काल (वीरगाथा काल 1050 ई. – 1550 ई.) –

  • इस काल में वीर रसात्मक काव्यों का सृजन हुआ था।
  • इस काल में जैन साहित्य से संबंधित ग्रंथों की रचनाएँ हुई थी।
  • रणमल छन्द (श्रीधर व्यास द्वारा रचित) प्रमुख ग्रन्थ इसी काल में लिखा गया था।
  • जब भारतीय समाज पर बाहरी आक्रमणों का प्रभाव पड़ रहा था तो भारतीय समाज के वीर नायको ने समाज में एक आदर्श प्रतुत किया था।

पूर्व मध्यकाल (भक्तिकाल – 1450 ई. – 1650 ई.) –

  • इस काल में संतों एवं सम्प्रदायों का उद्भव हुआ था।
  • यह काल संत जाम्भो जी, जसनाथ ज, दादू जी एवं मीराबाई का काल था।

इस काल के दो भाग थे –

  1. सगुण भक्ति – सगुण भक्ति को मानने वालों ने आराध्यदेवों की पूजा व मूर्ति पूजा पर बल दिया था।
  2. निर्गुण भक्ति – निर्गुण भक्ति को मानने वालों ने गुरु की महत्ता पर बल, नाम की पूजा, जाति प्रथा का विरोध व मूर्ति पूजा के विरोध पर बाल दिया था।

उत्तरमध्यकाल (श्रृंगार/रीती/नीतिकाल 1650 ई. – 1850 ई.) –

  • इस काल में शासकों ने कलाकारों व साहित्यकारों को आश्रय प्रदान किया था।
  • इस काल में श्रृंगार, नीति,रीती से संबंधी रचनाओं का वर्णन मिलता है।

आधुनिककाल (1850 ई. के बाद) – 

  • 1857 की क्रांति के बाद भारतीय समाज में एक नयी जागृति का संचार हुआ और इसके बाद की रचनाये सभी आधुनिक काल की मानी जाती है।

राजस्थान की साहित्यिक शब्दावली


रासौ – 

किसी राजा की कीर्ति, युद्ध, विजयों व उपलब्धियों का वर्णन रासौ कहलाता है। (राजा का पद्यमय जीवन रासौ कहलाता है।)

  • बीसलदेव रसौ – नरपति नाल्ह
  • बुद्धि रसौ – जानकवि
  • पृथ्वीराज रासौ – चन्द्रबरदाई (चन्द्रबरदाई का वास्तविक नाम पृथ्वी भट्ट था। यह रासौ पिंगल भाषा में है।)

ख्यात – 

राजा द्वारा अपने सम्मान, राज्य, विजयों (सम्मान में) व विशेष कार्यों आदि का इतिहास लिखवाकर संचित किया जाता है। उसे ख्यात कहते है।

  • जोधपुर री ख्यात – आईदानखिडिया
  • मारवाड़ री ख्यात – त्रिलोक चन्द्र जोशी
  • जैसलमेर री ख्यात – अजीतमल मेहता

वचनिका – 

यह संस्कृत भाषा के वचन शब्द से बना है। यह गद्य-पद्य तुकान्त रचना होती है। इसमें अत्थानुप्रास भी मिलता है। वचनिका राजस्थानी भाषा में है।

  • राठौर महेश दासोत री वचनिका – जग्गा खिडिया
  • अचल दास खिंच री  वचनिका – शिवदास गाढ़ण

दवावैत – 

यह कलात्मक गद्य की रचना है। दवावैत उर्दू, फ़ारसी भाषा में है। दवावैत में राजा का यशोगान किया जाता है।

विगत –

किसी विषय का विस्तृत इतिहास पुरक सम्पूर्ण विवरण विगत कहलाता है जिसमे राजनितिक,समाजिक व धार्मिक चीजे शामिल होता है।

वेली – 

वेलियों छन्द का प्रयोग होने के कारण इसका नाम वेली रखा गया था। यह रचनाएँ प्राय: ऐतिहासिक एवं धार्मिक होती है। इसमें शासकों की महत्पूर्ण घटनाओं का वर्णन किया जाता है।

वात- 

कहानी की तरह सुनने एवं कहने की प्रक्रिया को वात कहा जाता है।

प्रकाश – 

किसी वंश या व्यक्ति विशेष की घटनाओं पर डाला गया वर्णन प्रकाश कहलाता है।

  • सूरज प्रकाश – करणीदान

सिलोका – 

साधारण पढ़े लिखे व्यक्ति द्वारा सिलोका की रचना की गयी थी।

  • राव अमरसिंह रा सिलोका 

मरस्या –

किसी व्यक्ति विशेष की मृत्यु पर शोक प्रकट करने के लिए की गयी रचना मरस्या कहलाती है।

  • ‘राणे जगपत रा मरस्या’

साखी – 

संत कवियों द्वारा अपने ज्ञान को सखियों के माध्यम से प्रस्तुत किया है। इसमें सोरठा छन्द का प्रयोग होता है।

  • संत कबीर की साखी

झमाल – 

यह काव्य का मात्रिक छन्द है। इसमें पहले पुरा दोहा पढ़ा जाता है और पाचवें चरण में दोहे के अंतिम शब्दों को दोहराया जाता है।

  • इंद्रसिंह री झमाल

परची – 

राजस्थानी साहित्य में संतो द्वारा रचित पद्यबद्ध रचनाएँ परची कहलाती है।

  • पीपा जी की परची
  • संत रैदास की परची

राजस्थान के कुछ प्रमुख ग्रन्थ – 

  • एक कहानी यह भी – इस ग्रन्थ को मनु भंडारी ने लिखा था। इस ग्रन्थ के लिए मनु भंडारी को व्यास पुरूस्कार दिया गया था।
  • ढाणी का आदमी – इस ग्रन्थ को जयसिंह नीरज ने लिखा था।
  • जीवन कुटीर के गीत – हीरालाल शास्त्री
  • हरिमेखला – माहूक
  • फाटका जंजाल – शिव चन्द्र भरतिया (शिव चन्द्र भरतिया का एक नाटक भी है जिसका नाम केसर विलास है।)
  • पिंगल शिरोमणि – कुशल लाभ
  • राग चंद्रिका – द्वारकानाथ भट्ट
  • मारवाड़ म्यूमन्स – रामचन्द्र आग्रवाल
  • हंसावली – असाईत दान
  • तीडोराव – विजयदान देथा (इन्हें बिज्जी कहा जाता था।)
  • मायड़ रो हेलो – कन्हैया लाल सेठिया
  • अली चौहान डायनेस्टिज – डॉ. दशरत शर्मा
  • राजपूत जीवन संध्या – रमेश चन्द्र दत्त
  • ए हिस्ट्री ऑफ राजस्थान – रीमा हूजा
  • स्वतंत्र बावनी – तेजकवि
  • कुचमादी आखार गंध – रामेश्वर दयाल श्रीमाली
  • व्हाट आर द इंडियन स्टैट्स – विजय सिंह पथिक
  • अमर्सार – जीवाधार
  • आनंद विलास – महाराजा जसवंत सिंह प्रथम
  • गीता महात्म्य – महाराजा जसवंत सिंह प्रथम
  • अपरोक्ष सिधांतसार – महाराजा जसवंत सिंह प्रथम
  • भाषा-भूषण – महाराजा जसवंत सिंह प्रथम
  • प्रबोध चंद्रोदय – महाराजा जसवंत सिंह प्रथम
  • अमर काव्यम वंशावली – रणछोड़ भट्ट तैलंग
  • राग प्रशस्ति – रणछोड़ भट्ट तैलंग
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