उत्तराखंड की थारू जनजाति
Tharu Tribe of Uttarakhand
थारू जनजाति उत्तराखंड व कुमाऊँ का सबसे बड़ा जनजातीय समुदाय (Tribal Communities) है। थारू जनजाति के लोग प्राय: सीधे-सादे व ईमानदार होते है।उत्तराखंड के अतिरिक्त थारू जनजाति उत्तर प्रदेश के लखीमपुर गोंणा, बहराइच, महराजगंज, सिद्धार्थ नगर आदि जिलों, बिहार के चंपारण तथा दरभंगा जिलों में रहते है। थारू जनजाति नेपाल के पूर्व में भेंची से लेकर पश्चिम में महाकाली नदी तक तराई एवं भाबर क्षेत्रों में फैले हुए है।
थारू जनजाति की उत्पति (Origin of Tharu tribe) –
- कुछ इतिहासकारों के अनुसार थारू जनजाति के लोग राजस्थान के थार मरुस्थल से उत्तराखण्ड आये थे तथा वे यहीं बस गए थे।
- कुछ इतिहासकारों के अनुसार थारू जनजाति के लोगों की उत्पति किरात वंश से हुई थी।
- थारू जनजाति कई जातियों और उप जातियों में विभक्त है।
थारू जनजाति का निवास (Tharu tribe inhabited) –
- थारू जनजाति का निवास उधमसिंह नगर जनपद के खटीमा, नानकमत्ता, सितारगंज, किच्छा आदि क्षेत्रों में है।
- थारू जनजाति उधमसिंह नगर जनपद के 141 गांव में निवास करती है।
थारू जनजाति का शारीरिक गठन (Body Formation of Tharu Tribe)-
- थारू जनजाति के लोग मंगोल प्रजाति से मिलते जुलते होते हैं।
- थारू जनजाति के लोगों का कद छोटा, मुख चौड़ा व समतल नाक वाले होते हैं।
थारू जनजाति की भाषा (Tharu Tribe Language) –
- थारू जनजाति के लोगों की भाषा मिश्रित पहाड़ी, अवधी, नेपाली आदि हैं।
थारू जनजाति का आवास (Tharu Tribe Housing) –
- थारू जनजाति के लोगों के मकान लड़की ,पत्तों व नरकुल के बने होते हैं।
- थारू जनजाति के लोगों की दीवारों पर चित्रकारी होती है।
- थारू जनजाति के लोगों के प्रतेक घर में पशुबाड़ा (Stockyard) होते हैं।
- थारू जनजाति के लोगों के घर के सामने (आँगन में) प्राय: पूजा स्थल (Places of worship) होता है।
थारू जनजाति की वेषभूषा (Tharu Tribe Dresses) –
- थारू जनजाति के पुरूष धोती, अंगा, कुरता,टोपी, साफा पहनते हैं व लम्बी चोटी रखते हैं।
- थारू जनजाति की महिलाएं लहंगा, चोली, काली ओढ़नी, बूटेदार कुर्ता, आदि पहनती है।
- थारू जनजाति के लोग शरीर पर गुदना गुदवाते हैं।
थारू जनजाति की सामजिक व्यवस्था (Social System of Tharu Tribe)-
- थारू जनजाति में मातृसत्तात्मक सयुंक्त व एकाकी परिवारिक प्रथा पायी जाती है।
- थारू जनजाति में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को उच्च स्थान प्राप्त होता है।
- थारू जनजाति में परिवार का मुखिया घर का सबसे बड़ा व्यक्ति होता है।
- थारू जनजाति सामाजिक रूप से यह कई गोत्रों या जातियों (Castes) में बटी हुई है।
- थारू जनजाति में बड़वायक, रावत, वृतियां, महतो , डहैत, आदि प्रमुख गोत्र या घराने है।
- थारू जनजाति में बड़वायक गोत्र को सबसे उच्च माना जाता है।
थारू जनजाति की विवाह प्रथा (Marriage Tradition of Tharu Tribe)-
- थारू जनजाति में बदला विवाह प्रथा(बहनों का आदान प्रदान) का प्रचलन था।
- थारू जनजाति में अब मुख्यतः तीन काठी विवाह प्रथा पायी जाती है।
- थारू जनजाति में विवाह की कुछ प्रमुख रस्में-
- पक्की पौढ़ी– यह एक विवाह तय करने की प्रथा
- अपना-पराया – यह विवाह से पहले सगाई रस्म
- बात कट्ठी- इस प्रथा में विवाह की तिथि निश्चित होती है
- गौना चाला रस्म– इस रस्म में लड़की का स्थायी रूप से अपने पति के घर जाना।
- इनमें विधवा विवाह प्रथा भी प्रचलित है।
लठभरवा भोज- थारू जनजाति में यदि किसी लड़की का चाला(गौना)न आया हो व उसका पति की मृत्यु हो जाये तो लड़की के पिता उसे अन्य घर में विवाह कराके बिरादरी को एक भोज कराता है जिसे लठभरवा भोज कहा जाता है।
थारू जनजाति का धर्म (Religion of Tharu tribe) –
- थारू जनजाति के लोग हिन्दू धर्म को मानते है।
- थारू जनजाति के लोग पछावन काली, नगरयाई देवी,भूमिया देवता, कारोदेव, रावत आदि देवी देवताओं की पूजा करते हैं।
थारू जनजाति के त्योहार(Tharu Tribe Festivals) –
- थारू जनजाति के प्रमुख त्योहार कन्हैया अष्टमी, होली, दशहरा, माघ की खिचड़ी, बजहर आदि हैं।
- थारू जनजाति में बजहर पर्व ज्येष्ठ या बैशाख में मनाया जाता है।
- थारू जनजाति में दीपावली को ये शोक पर्व के रूप में मनाते हैं।
- थारू जनजाति में होली फाल्गुन पूर्णिमा में आठ दिनों तक मनाया जाता है जिसमें स्त्री- पुरूष खिचड़ी नृत्य करते हैं।
थारू जनजाति की अर्थव्यवस्था (Tharu Tribe Economy)-
- थारू जनजाति के लोग कृषि, पशुपालन व आखेट पर आधारित है।