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टिहरी शासको का शासन- प्रशासन

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टिहरी शासको का शासन- प्रशासन


Tehri rulers Governance- Administration


टिहरी शासको का प्रशासन –

  • राज्य का सर्वोपरी अधिकारी राजा होता था।
  • समस्त अधिकारियों की नियुक्ति राजा ही करता था।
  • राजा कार्यपालिका व न्यायपालिका का भी अध्यक्ष होता था।
  • समस्त विभाग व उनके कार्यकाल वजीर के अधीन होते थे।
  • राज्य की आंतरिक व्यवस्था व नीतियों का निर्धारण दीवान व वजीर के द्वारा होता था।
  • राज्य को थाने,परगने व पहियो में बाटा गया था।
  • सुदर्शन शाह के राजकाल में प्रशासनिक सुविधा के लिए राज्य को 4 थानों में बाटा गया था।
  • परगने की व्यवस्था करने वाले अधिकारी को सुपरवाइजर कहा जाता था।
  • पटवारी राजस्व विभाग का अधिकारी होने के साथ-साथ पुलिस अधिकारी के रूप में भी कार्य करता था।
  • प्रत्येक गाव से राजस्व वसूलने के लिए प्रधान/पधान होते थे।

भूमि व्यवस्था –

टिहरी रियासत की भूमि व्यवस्था –

वह व्यक्ति जो किसी भी भूमि में कृषि करता था वह आसामी कहलाता था। आसामी 3 प्रकार के होते थे-

  1. मौरूसिदार – जिनको राजा से भूमि दी जाती थी।मौरूसिदार टिहरी नरेश को राजस्व देता था।
  2. खाय कर – ये मौरूसिदार के अधीन होता था तथा निर्धारित रकम देता था।
  3. सिरतान – यह मौरूसिदार या खाय कर को सिरती या नगद रकम दिया करता था।

वन व्यवस्था –

  • गढ़ नरेशो के शासन काल में घी कर (चराई कर) के नाम से कुछ राशि पशु चराने वालो से ली जाती थी।

शिक्षा –

  • टिहरी में प्रताप शाह ने प्रताप हाइस्कूल खोला।
  • राजा ने टिहरी में कैम्पवेल वो डिंग हाउस खोला।
  • कीर्ति शाह ने हिवेट संस्कृत पाठशाला खोली।
  • मुहममद मदरसा भी टिहरी में खोला गया।
  • कन्याओ हेतु एक कन्या पाठशाला की स्थापना की गयी थी।

स्वास्थ –

  • 1876 में प्रताप शाह ने राजधानी में प्रथम खैराती सफाखाना (हॉस्पिटल) स्थापित किया गया था।
  • इस सफाखाना में भारतीय व यूरोपीय पद्धति से चिकित्सा होती थी।
  • कीर्ति शाह ने तीर्थयात्रा मार्गों पर छोटे-छोटे औषधालयो की स्थापना की थी तथा चेचक को रोकने हेतु टीकाकरण प्रारंभ कराया था।
  • नरेंद्र शाह ने 1925 में नरेंद्र नगर में वर्तमान ढंग के रूप में चिकित्सालय खोले।
  • 1934 में रेड क्रांस सोसाइटी की स्थापना की गयी थी।
  • 1939 में राज्य कुष्ठ विधान पारित किया गया था।

न्याय व्यवस्था –

  • सुदर्शन शाह ने छोटी दीवानी, बड़ी दीवानी, सरसरी, कलेक्ट्री नामक न्यायलयों की स्थापना की थी।
  • हत्या के विवादों का निर्णय राजा द्वारा लिया जाता था।
  • 1919 में नरेंद्र हिन्दू लां पारित किया गया था।
  • 1938 में नरेंद्र शाह ने हाइकोर्ट की स्थापना की जिसमे एक सर्वोच्च न्यायधीश और एक या एक से अधिक न्यायधीश होते थे।
  • फौजदारी के विवादों के लिए सेशन कोर्ट की स्थापना की थी जिसका अधिकारी सेशन जज होता था।
  • सेशन जज के अधीन प्रथम, द्वितीय, तृतीय मजिस्ट्रेट होते थे।

अर्थव्यवस्था –

  • भूमि कर या लगान 7/8 भाग नगद के रूप में लिया जाता था।जिसे मामला या रकम कहा जाता था।प्रताप शाह ने विवादों की सुनवाई तिथि जारी कराई तथा कोर्ट फीस के टिकट व्यवस्था जारी की थी।
  • कर वसूली के लिए अनेक स्थानों पर चौकियाँ स्थापित की गयी थी। इन चौकियों में कर वसूलने के लिए मुंशी नियुक किये गए थे।इस कार्य की देखभाल कस्टम करता था।
  • राज्य की आय का मुख्य स्रोत दास – दासियों का विक्रेय होता था।

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