उत्तराखंड का रुद्रप्रयाग जनपद
Rudraprayag district of Uttarakhand
रुद्रप्रयाग जनपद की स्थापना सितम्बर 1997 को हुई थी। रुद्रप्रयाग का पुराना नाम पुनाड़ था।
रुद्रप्रयाग जनपद के पड़ोसी जिले-
- पूर्व में – चमोली
- पश्चिम- टिहरी
- उत्तर- उत्तरकाशी
- दक्षिण- पोड़ी
- रुद्रप्रयाग जनपद उत्तराखंड का आंतरिक जिला है जो किसी अन्य राज्य व देश से सीमा नहीं बनाता।
- रुद्रप्रयाग चार जनपदों से सीमा बनाता है- टिहरी, पोड़ी, चमोली, उत्तरकाशी
रुद्रप्रयाग जनपद में राष्ट्रीय राजमार्ग-
- NH 107- रुद्रप्रयाग – गौरीकुण्ड
- NH 7 – दिल्ली – रुद्रप्रयाग – बद्रीनाथ – माणा
रुद्रप्रयाग जनपद का प्रशासनिक ढांचा –
रुद्रप्रयाग जनपद के प्रमुख पर्यटक् स्थल –
- मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित गुप्तकाशी एक सुंदर स्थल हैं।
- गुप्तकाशी में भगवान शिव को समर्पित विश्वनाथ मंदिर है।
- विश्वनाथ मंदिर के समीप ही अर्धनारीश्वर मंदिर भी है।
- विश्वनाथ मंदिर के सामने ही मणिकर्णिका कुंड भी हैं यह एक ठंडा कुंड है।
- यह स्थान मुनि अगस्त्य की तपोभूमि है।
- यहाँ पर मुनि अगस्त्य के ईष्ट देव अगस्तेश्वर महादेव मंदिर भी हैं।
- इस स्थान को बाणासुर की पुत्री ऊषा व अनिरुद्ध का विवाह स्थल माना जाता है।
- उखीमठ में ओंकारेश्वर शिव मंदिर है जिसका निर्माण गुरु शंकराचार्य ने किया।
- शीतकालीन में केदारनाथ व मदमहेश्वर की डोलियां यहीं पर लायी जाती है।
- उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित चोपता एक छोटा सा हिल स्टेशन है।
- चोपता के निकट बनिया कुंड स्थित है।
- बनिया कुंड जंगल में उत्तराखंड का पहला नेचर कैनेपी वॉक बनाया जाएगा जिसकी ऊंचाई 20 फ़ीट होगी।
रुद्रप्रयाग जनपद के प्रमुख मंदिर –
- केदारनाथ उत्तराखंड में स्थित चार धामों में से एक धाम व पांच केदार में से एक केदार है।
- केदारनाथ मंदिर मंदाकिनी नदी तट पर स्थित है।
- केदारनाथ मंदिर में शिव रूपी बैल की पीठ आकृति पिंड की पूजा होती है।
- शीतकाल के दौरान केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने बाद केदारनाथ का शीतकालीन पूजा स्थल ऊखीमठ का ओंकारेश्वर मंदिर है।
- यह मंदिर कत्यूरी शैली से निर्मित है।
- उत्तराखंड के पंचकेदारों में से यह दूसरा केदार है।
- यहाँ पर भगवान शिव की नाभि की पूजा होती है।
- मदमहेश्वर के ऊपर कुछ दूरी 3-4Km पर बूढ़ा मदमहेश्वर मंदिर भी है।
- मदमहेश्वर मंदिर का शीतकालीन पूजा स्थल उखीमठ है।
- तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के पंच केदारों में से तीसरा केदार है।
- इस मंदिर में शिव की भुजाओं की पूजा होती है।
- तुंगनाथ मंदिर के नजदीक रावण शिला और चंद्र शिला पर्वत भी है।
- तुंगनाथ का शीतकालीन पूजा स्थल मक्कूमठ है।
- तुंगनाथ मन्दिर उत्तराखंड का सबसे ऊंचाई पर स्थित मंदिर है।
- यह मंदिर कत्यूरी शैली में बना हुआ है।
- रुद्रप्रयाग से 3Km दूर अलकनंदा नदी के तट पर कोटेश्वर महादेव मंदिर स्थित है।
- यह मंदिर रुद्रप्रयाग के त्रियुगी गॉव में स्थित है।
- यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है यहाँ पर भगवान शिव व पार्वती का विवाह हुआ था।
- यहाँ पर एक अग्नि ज्योति प्रज्वलित होती है।
- यहाँ पर तीन कुंड हैं- ब्रह्म कुंड, विष्णु कुंड, व रुद्र कुंड।
- रुद्रप्रयाग के कनक्चोंरी गांव में स्थित भगवान शिव के पुत्र कार्तिक स्वामी का मंदिर है।
- इस मंदिर में भूमिगत शिवलिंग है।
- इस मंदिर का निर्माण गुरु शंकराचार्य जी ने कराया था।
- यहां पर कत्यूरी शैली से निर्मित कई अनेक छोटे छोटे मंदिर भी हैं।
रुद्रप्रयाग जनपद के प्रमुख मेले –
- यह मेला गुप्तकाशी में जाख देवता के मन्दिर में लगता है।
- इस मेले का आयोजन बैशाख माह में होता है।
- जाख देवता का पश्वा जलते अंगारो पर नृत्य करता है।
- यह मेला केदारनाथ में रक्षाबंधन से एक दिन पूर्व लगता है।
- इस दिन भगवान शिव के स्वयंभू लिंग की पूजा होती है।
- यह मेला रुद्रप्रयाग के जखोली विकासखंड के भरदार में मठियाणा मां के मंदिर में लगता है।
रुद्रप्रयाग जनपद की प्रमुख यात्रा-
- यह यात्रा उखीमठ विकासखंड के मदमहेश्वर घाटी में आयोजित होती है।
- मनणा माई की डोली रांसी गांव से मनणी बुग्याल तक जाती है व फिर वापस रांसी गांव में रकेश्वरी मन्दिर में लायी जाती है।
रुद्रप्रयाग जनपद की प्रमुख ताल/झील –
- इसे शरवदी ताल भी कहा जाता है।
- यह केदारनाथ मंदिर के ऊपर कुछ दूरी पर स्थित है।
- इस ताल से मंदाकिनी नदी का उद्गम होता है।