उत्तराखंड के लोकगीत
Folk songs of Uttarakhand
1.ऋतुगीत-
फूलदेई, चौमास, होरी, बासंती, चैती, बारहमासा, खुदेंड़, झुमैलो, माघगीत, लाली, आदि
2.प्रेम या प्रणय गीत-
चौफला, झुमैंलो, छोपती, बाजूबं, लामण, छुडा आदि दाम्पत्य जीवन के प्रेम-संगीत प्रेम-संबंध के गीत है।
कृष्ण सम्बन्धी, एक्मणी हरण, कृष्ण कोकिला, चन्द्रावली हरण आदि पौराणिक लोकगाथाऐ (जागर) है।
राजुला भालुशाही, जीतू, बगढ़वाल, फ्यूंली जशी, अर्जुन वासुदेव आदि ऐतिहासिक या लौकिक लोकगाथाऐ (पांवड़े) है।
3.नृत्यगीत-
चोंफला, तांदी, चांचरी, छोपति, थड्या, बाजूबंद(दूड़ा नृत्य गीत), न्योली, भगनोल गीत,ठुलखेल(ठुलो-धुस्को) नृत्य गीत
4.संस्कार गीत या मांगल गीत-
जन्म, छटी, नामकरण, चूड़ाकर्म, उपनयन(जनेऊ), विवाह आदि
5.धार्मिक गीत-
जागर, संध्या गीत, प्रभात गीत, जादू टोना, रखवाली गीत
6.लैकिक लोकगाथाएं(पंवाडे़)-
तीलू रौतेली, जीतू बगड़वाल, कालू भंडारी, कैंतुरा आदि
7.मनोरंजनात्मक-
लोरी, हास्य-व्यंग, भांटा-सांटा, आदि
8.उपदेशात्मक गीत-
चुरा – गीत, पट गीत(छुड़ा गीत)
9.जाति विशेष गीत-
कुलाचार या बिरुदावली गीत
10.कृषि गीत-
हुड़की बोल गीत, गुडै़ल गीत कृषि कार्य करते हुए गाये जाते हैं।
झुमैलो गीत –
- झुमैलो गीत गढ़वाल क्षेत्र में गाए जाने वाले गीत है।
- झुमैलो गीत वेदना और प्रेम के प्रतीक है।
- झुमैलो गीतों में नारी के रूप सोन्दर्य तथा नारी हृदय की वेदना का वर्णन मिलता है।
बसंती गीत –
- बसंती गीत गढ़वाल क्षेत्र में गाए जाने वाले गीत है।
- बसंत के आगमन पर गढ़वाल क्षेत्र में किशोरियाँ, फयूली के फूलों को इकट्ठा कर घर-घर जाकर देहली पूजा करती है।
- बसंत पंचमी के दिन बसंती गीत गाते हुए लोग देहलियों और दरवाजों पर चावलों के आटे से चित्र बनाकर गोबर में हरे हरे जौ की गुच्छियां थाप लगाते है।
होली गीत –
- होली गीत बसंत ऋतु में होली के दिन गाया जाता है।
- होली के दिन लोग शंख, ढोलक और दमाऊ के साथ कड़ी व् बैठी होली में होली गीत गाते है।
बाजूबंद नृत्य गीत –
- बाजूबंद नृत्य गीत खाई-जौनपुर क्षेत्र में गया जाता है।
- यह गीत प्रेम नृत्य गीत है।
- इस गीत को जंगल में बांज, बुरांश, काफल, चीड़ और देवदार के पेड़ो के नीचे बैठ कर गाया जाता है।
खुदेड गीत –
- खुदेड गीत विवाहित महिलाओ द्वारा मायके की याद मे गाया जाता है।
चौफला गीत –
- चौफला गीत एक मिलन गीत है जिसे एक प्रकार का प्रेम गीत भी माना जाता है।
- चौफला गीत रति , हास , मनुहार, अनुनय आदि भावो का मिक्षण तथा स्त्री सौंदर्य का वर्णन भी मिलता है।
कुलाचार या विरुदावली गीत –
- कुलाचार या विरुदावली गीत औजी जाति के लोग गाते है।
- यह गीत औजी जाति के लोग अपने ब्राह्मण-क्षत्रिय यजमान की ब्याही हुए कन्याओं के घर जाकर गाते है।
- कुलाचार या विरुदावली गीत औजी जाति के लोग अपने यजमान तथा उनकी जाति-वंश का गुणगान करते है।
चौमासा गीत –
- चौमासा गीत वर्षा ऋतु आने में गाये जाते है।
- अधिक वर्षा एवं प्रिय मिलन की आस में चौमासा गीत गाया जाता है।
बारहमासा –
- बारहमासा गीत गढ़वाल क्षेत्र में गया जाता है।
- बारहमासा गीत में पुरे साल यानि सभी 12 महीनों के लक्षणों का वर्णन होता है।
पट गीत –
- पट गीत उपदेशात्मक गीता होती है।
- पट गीत को छुड़ा गीत भी कहा जाता है।
चूरा गीत –
- चुरा गीत को वृद्ध भेड़ चरवाहों गाते है।
- चुरा गीत गाने का मुख्य उद्देश्य युवा चरवाहों को कुछ सीख देना है।छोपति या छपेली गीत –
- इस गीत का गढ़वाल के जौनसार क्षेत्र में यह अधिक प्रचलित है।
- इस गीत को विवाह या किसी शुभ अवसर में स्त्री-पुरुष गोला घेरे में बैठकर प्रश्नोत्तर के रूप में गातें है।
जागर गीत –
- ‘जागर’ का अर्थ वे सभी लोकगाथाऍ, जिनका संबंध पौराणिक व्यक्तियों या देवताओं से होता है।
- जागर गीत किसी पूजा -पाठ , धार्मिक अनुष्ठान आदि के समय देवताओं या पौराणिक व्यक्तियों के आवाहन या सम्मान में गाए जाते है।
- जागर गीत गाते हुए कई लोग नृत्य भी करते है।
झोड़ा गीत –
- झोड़ा गीत कुमाऊं क्षेत्र में माघ महीने में गाया जाने वाला प्रमुख गीत हैं।
- झोड़ा गीत समूह नृत्य गीत है। इस गीत में महिला -पुरुष एक गोला बनाकर गीत गाते है।
- गोले के बीच में एक व्यक्ति हुड़की बजाते है।
चांचरी गीत –
- चांचरी गीत कुमाऊं क्षेत्र में गया जाता है।
- चांचरी गीत स्त्री-पुरुष दोनों भाग लेके इस गीत को गाते तथा नृत्य करते है।
भगनौल गीत –
- भगनौल गीत को कुमाऊं क्षेत्र का यह एक अनुभूति प्रधान गीत कहा जाता है।
- इस गीत को प्रेम की प्रधानता वाला गीत कहा जाता है।
- इस गीत में स्त्री अपने मन में कल्पना करते हुए, अपने मधुर एहसास में प्रेम द्वारा मेलों में हुडकी एवं नगाड़े के धुन पर नृत्य के साथ गाए जाते है।
न्यौली गीत –
- न्यौली गीत भी कुमाऊं क्षेत्र का अनुभूति प्रधान गीत है।
बैर गीत –
- बैर गीत कुमाऊं क्षेत्र का एक तर्क प्रधान नृत्य-गीत है।
- बैर गीत कुमाऊं क्षेत्र में प्रतियोगिता के रूप में आयोजित किया जाता है।
- इस प्रतियोगिता में दो गायक तार्किक वाद-विवाद को गीतात्मक रुप में प्रस्तुत करते है।
हुड़की बोली गीत –
- हुड़की बोली गीत कुमाऊं क्षेत्र के एक कृषि संबंधी गीत है।
- हुड़की बोली का अर्थ ‘हुडके के साथ किया जाने वाला श्रम’।
- हुड़की बोली गीत गाते हुए प्रमुख गायक लोक वेशभूषा पहन के हुड़की पर थाप देते हुए गीत की एक पंक्ति गाता है तथा खेत में काम करने वाले श्रमिकों द्वारा दोहराया जाता है।