Major festivals of Uttarakhand


उत्तराखंड के प्रमुख त्यौहार


1. मकर संक्रांति(घुघुतिया त्यौहार)-

  • मकर संक्रांति त्यौहार कुमाऊँ क्षेत्र में माघ माह (जनवरी) की 1 गते को मनाया जाता है।
  • स्थानीय भाषा में मकर संक्रांति को घुघुतिया त्योहार या ‘घुघुती’ त्यार कहा जाता है।
  • इस त्योहार में  घुघुत (जिन्हें आटे से बनाया जाता है) बनाये जाते हैं व बच्चे इन घुघुत को कोऔं को बुला- बुला के खिलाते हैं।
  • पूर्वी उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति त्योहार को ‘खिचड़ी’ त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

“काले कौवा काले घुघुति माला खाले” ||
“लै कावा भात में कै दे सुनक थात”||
“लै कावा लगड़ में कै दे भैबनों दगड़”||
“लै कावा बौड़ मेंकै दे सुनौक घ्वड़”||
“लै कावा क्वे मेंकै दे भली भली ज्वे”||

  • बच्चे इस गीत को गा के कौवो को बुलाते है।

2.घी-संक्राति(ओलगिया)-

  • घी-संक्राति त्यौहार भादों/भाद्रपद (अगस्त/सितम्बर) महीने की 1 गते(संक्राति) को लोक पर्व के रुप में मनाने का प्रचलन रहा है।
  • अंकुरित हो चुकी फसल में बालिया लग जाने पर घी त्योहार मनाया जाता है।
  • इस दिन सभी गढ़वाली , कुमाउनी सभ्यता के लोग घी खाना शुभ मानते है।
  • पहाड़ों में प्राचीन काल से यह बात मानी जाती है कि जो व्यक्ति घी संक्रांति के दिन व्यक्ति घी का सेवन नहीं करता वह व्यक्ति अगले जन्म में घनेल (घोंघा) (Snail) बन जाता है ।

3.फूल संक्राति(फूलदेई)-

  • फूल संक्राति (फूलदेई) त्योहार चैत्र मास (हिन्दू वर्ष का प्रथम दिन) के 1 गते को मनाया जाता है।
  • फूलदेई के दिन छोटे – छोटे बच्चे घर- घर जाकर देहरी में फूल चढ़ाते है और घर की खुशहाली , सुख-शांति की कामना के गीत गाते हैं।
    फूल देई, छम्मा देई,
    देणी द्वार, भर भकार,
    ये देली स बारम्बार नमस्कार,
    फूले द्वार……फूल देई-छ्म्मा देई
  • बच्चे इसी गीत के साथ घर – घर जा कर गीत गेट है।
  • फूल चढाने के बाद बच्चो को बच्चो को परिवार के लोग गुड़, चावल व पैसे देते हैं।

 

4. बिखोती(विषुवत संक्राति)-

  • विषुवत संक्रांति को उत्तराखंड में बिखोती के नाम से जाना जाता है।
  • बिखोती त्योहार बैशाख माह के प्रथम दिन मनाया जाता है।

5.हरेला त्यौहार-

  • हरेला उत्तराखंड के प्रमुख त्योहारों में से एक प्रमुख त्यौहार है।
  • हरेला त्योहार श्रावण माह की पहली गते को मनाया जाने वाला त्यौहार है।
  • हरेले से 10 दिन पहले हरियाली डाली या किसी बर्तन में 5 या 7 प्रकार के बीज बोये जाते है जिसे 1 गते को हरियाली(हरेला) के दिन को काटकर देवी – देवताओं को चढ़ाते हैं और बड़े बूढ़े सभी लोग एक दुसरे के कान व् सिर में रखते है।

6. खतड़वा त्यौहार-

  • खतड़वा त्यौहारअश्विन माह की संक्राति को कुमाऊँ क्षेत्र में मनाया जाता है।
  • खतड़वा त्यौहार को गाईत्यार या गौ त्यार या  पशुओं का त्योहार भी कहा जाता है।
  • खतड़वा त्यौहार के दिन लोग लकडीयां और सुखी घास-फूस को इकठ्ठा करते है जिसे ‘खतडुवा’ कहते हैं।
  • अश्विन माह की एक गते को खतडुवा को जलाया जाता हैं।

7.चैतोल त्यौहार-

  • चैतोल त्यौहार मुख्यतः पिथौरागढ़ में चैत माह की अष्टमी को मनाया जाता है।
  •  चैतोल त्यौहार देवल देवता(शिव के अंश) की पूजा -अर्चना की जाती है।

8.आँठू-

  • आँठू(गौरा), त्यौहार पुरे कुमाऊँ में मुख्यतः पिथौरागढ़ जनपद में मनाया जाता है।
  • आँठू त्यौहार भाद्रपद मास की सप्तमी व अष्टमी को मनाया जाता है।
  • आँठू त्यौहार में चांचरी नृत्य का आयोजन किया जाता है।
  • आँठू त्यौहार में गौरा-महोत्सव की पूजा की जाती है।

9.कलाई-

  • कलाई त्यौहार को कुमाऊँ में फसल काटने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

10. जागड़ा त्यौहार-

  • जागड़ा त्यौहार महासू देवता से सम्बंधित त्योहार है।
  • जागड़ा त्यौहार भाद्र मास को मनाया जाता है।

11.नुणाई त्योहार-

  • नुणाई त्यौहार जौनसार बाबर क्षेत्र का प्रमुख त्योहार है जो की श्रावण मास में मनाया जाता है।

12.भिरोली-

  • भिरोली त्यौहार को संतान कल्याण के लिए मनाया जाता है।

13.दीपावली(बग्वाल) – 

  • दीपावली को उत्तराखंड में बग्वाल भी कहा जाता है।
  • बड़ी दीपावली रात को छिलके (चिड के पेड़ की लड़की) की रोशनि जला कर भैला-खेल खेला जाता है।
  • इस पर्व में गाय की पूजा की जाती है तथा गाय को मिठा पकवान दिया जाता है।
  • थारू जनजाति इस पर्व को शोक पर्व रूप में मनाया जाता है।

14.रक्षा बन्धन-

  • रक्षा बंधन त्यौहार को गांव में जन्यो-पुण्यो के नाम से भी जाना जाता है।
  • रक्षा बंधन त्यौहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

15. सारा त्यौहार-

  • सारा त्यौहार गढ़वाल में बैशाख माह में मनाया जाता है।
  • सारा त्यौहार में नंदा देवी के दूतों की आराधना की जाती है।

 

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