गढ़वाल के चाणक्य - पुरिया नैथानी 
कुमाऊँ के चाणक्य - हर्ष देव जोशी  

बाटर-लू-घटना –

  • 1937 के प्रांतीय विधायक के चुनाव में जगमोहन सिंह नेगी के समक्ष मुकुंदी लाल को पराजय को गढ़वाल की राजनीती में बाटर-लू-घटना कहा  जाता है।

गढ़वाल की राजनीति में सविनय अवज्ञा आन्दोलन-

  • कांग्रेस के 1921 के लाहौर आन्दोलन में प्रताप सिंह नेगी, देवकी नंदन, जगमोहन सिंह नेगी  आदि नेताओ ने भाग लिया था तथा दुगड्डा में 30 मई 1930 को राजनीती सम्मलेन आयोजित किया गया।जिसकी अध्यक्षता प्रताप सिंह नेगी तथा कृपाराम ने की थी।

इवटसन कांड-

  • पौड़ी जेल में डिप्टी  कमिश्नर इवटस ने उत्तराखंड के नेताओ के साथ दूर्वव्यवहार किया। नैनीताल जाते समय इवटसन को काले झंडे दिखाए। 18 जुलाई 1930 को इवटसन के निवास स्थान पर उत्तराखंड के नेताओ ने विरोध प्रदर्शन किया, तथा आग लगा दी गयी।इन नेताओ को गिरफ्तार को गिरफ्तार कर लिया गया। इनकी पैरवी मुकुंदी लाल ने की।

जहरी खाल का झंडा सत्याग्रह-

  • लैंसडाउन में जहरी खाल के हाईस्कूल में झंडा फहराने का निर्णय लिया। बलदेव सिंह आर्य के नेतृत्व में स्वयं सेवको ने झंडा फहराया।इसके फलस्वरूप बलदेव आर्य तथा उनके साथियों को 3-3 वर्ष की सजा हुई तथा हरिप्रसाद बिष्ट को 7 वर्ष की सजा हुई।

गढ़वाल में लगान बंदी आन्दोलन-

  • गढ़वाल में नए भूमि सुधारको के तहत किसानो पर 33% अतिरिक्त दर कर लगाया गया। रामप्रसाद नौटियाल, धन सिंह रावत , सत्यागुरु लाला आदि नेताओ ने गढ़वाल के गुणडू क्षेत्र में लगान बंदी आन्दोलन चलाया गया।परिणाम स्वरुप 70 गाँव के माल गुजारो ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया तथा किसानो का समर्थन किया। इस आन्दोलन के कारण गुणडू को गढ़वाल का वारडोली कहा जाता है

नायक सुधार अधिनियम-

  • 15 फ़रवरी 1928 को नायक सुधार अधिनियम अधिनियम लाया गया  1928 में ही यह अधिनियम पारित किया गया जिसके बाद नायक समाज में पुनरुत्थान किया गया

सीपासैण का अग्निकांड-

  • नारायण सिंह ने वन विभाग के विश्राम ग्रह में आग लगाई तथा चमोली में तहसील में कब्जा करने की कोशिश की लेकिन वह नाकाम रहे

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