महाजनपद काल (600-BC)
Mahajanapada period (600-BC)
ईसापूर्व की छठी -पांचवी शताब्दी के समयकाल को प्रारम्भिक भारतीय इतिहास में एक प्रमुख मोड़ के रूप में जाना जाता है क्योकि इसी समय सिन्धु घाटी की सभ्यता के पतन के पश्चात भारत में महाजनपदों का उदय हुआ।
महाजनपद, उस समय प्राचीन भारत में राज्य या प्रशासनिक इकाईयों को कहा जाता था । महाजनपदों का बौद्ध ग्रंथों तथा जैन ग्रंथो में भी कई बार उल्लेख देखने को मिलता है।
बौद्ध ग्रन्थ – अंगुत्तर निकाय
जैन ग्रन्थ – भगवती सूत्र
इन दोनों ही ग्रंथों में कुल 16 महाजनपदों में वर्णन मिलता है।
इन महाजनपदो का विस्तार वर्तमान में उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान से बिहार तक तथा हिन्दुकुश से गोदावरी नदी तक था।
काशी –
- अथर्ववेद में इसका सर्वप्रथम उल्लेख मिलता हैं।
- काशी महाजनपद का राजा ब्रह्म दत्त था।
- काशी महाजनपद की राजधानी वाराणसी थी।
- ब्रह्म दत्त का कोसल नरेश राजा दिक्षित से संघर्ष हुआ जिसमें राजा दीक्षित पराजित हुए।
- कुछ समय पश्चात् राजा कंस काशी को कोसल में मिलता हैं।
कोसल ( अयोध्या) –
- कोसल महाजनपद में वर्तमान में उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिला, गोंडा और बहराइच के क्षेत्र शामिल थे।
- कोसल की राजधानी श्रावस्ती थी।
- कोसल का राजा प्रसेनजीत अपनी दानवीरता के लिए प्रसिद्द था।
- प्रसेनजीत ने गांधार में स्थित विश्व के पहले विश्वविद्यालय तक्षशीला से विद्या प्राप्त की थी।
- प्रसेनजीत बुद्ध का समकालीन था तथा वृद्ध अवस्ता में बुद्ध की शरण में गया था।
- प्रसेनजीत की बहन महाकोशला का विवाह मगध के राजा बिंबिसार के साथ हुआ था।
- प्रसेनजीत और बिंबिसार के पुत्र अजातशत्रु के मध्य विवादित युद्ध हुआ। जिसके पश्चात् प्रसेनजीत की पुत्री वजिरा का विवाह अजातशत्रु के साथ हुआ।
- प्रसेनजीत की अनुपस्थिति में कोसल राज्य में विद्रोह हुआ फलस्वरूप प्रसेनजीत मदद के लिए अजातशत्रु के पास गया परन्तु बीच रास्ते में प्रसेनजीत की मृत्यु हो गई।
- अंततः कोसल राज्य को मगध राज्य में मिला लिया गया।
अंग ( पूर्वी बिहार) –
- वर्तमान के बिहार में मुंगेर और भागलपुर जिले अंग महाजनपद में स्थित थे।
- अंग महाजनपद की राजधानी चंपा (आधुनिक भागलपुर एवम मुंगेर) थी ।
- यह महाजनपद गंगा और मालिनी नदी के संगम पर स्थित था।
- मगध के नरेश बिंबिसार के शासनकाल में अंग को मगध महाजनपद में मिला लिया गया।
मगध (दक्षिण बिहार) –
- मगध महाजनपद वर्तमान में दक्षिण बिहार के पटना व गया जिलो तक फैला था
- मगध की राजधानी गिरिवृज (राजगृह) , पाटलिपुत्र रही थी।
- राजगृह की ही सप्तपर्णी गुफा में अजातशत्रु के समय 483 ईसा पूर्व में पहली बौद्ध संगिती हुई थी।
- मगध का पहला राजा ब्रहद्रथ था तथा अंतिम राजा का नाम भी ब्रहद्रथ था।
वज्जि –
वज्जि महाजनपद में वर्तमान बिहार राज्य के दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, शिवहर व मुजफ्फरपुर जिले सम्मिलित थे।
यहां दो प्रसिद्ध काबिले थे ।
i. विदेह –
- विदेह राज्य का अंतिम राजा कलार था।
- एक ब्राह्मण कन्या का अपमान करने पर श्राप के कारण यह वंश नष्ट हो गया।
- राजा जनक जिन्हें मिथिला नरेश भी कहा जाता हैं उनका संबंध भी विदेह से था।
Note- मिथिला को जनकपुरी भी कहा जाता हैं।
ii. लिच्छवी–
- ये स्वाधीनता प्रिय राज्य था।
- लिच्छवी के राजा चेटक की बहन त्रिशला जैन धर्म के 24 वे तीर्थंकर महावीर की मां थी।
- महवीर का जन्म वैशाली में हुआ था जो लिच्छवी की राजधानी था।
- चेटक की पुत्री चेलना/छेलना मगध के राजा बिंबिसार की पत्नी थी।
- लिच्छवी बुद्ध के अनुयायी थे।
- दूसरी बौद्ध संगीति का आयोजन वैशाली ( वर्तमान मुजफ्फरनगर- बिहार) में किया गया था।
- लिच्छवी विश्व के प्रथम गणतंत्र था।
Note– वज्जि महाजनपद 8 कुलों के योग से बना था । इसलिए इसे अष्ट कुलिक भी कहा गया है।
मल्ल –
- मल्ल महाजनपद एक गणसंघ था और वर्तमान गोरखपुर के आसपास फैला था
- वर्तमान में देवरिया का क्षेत्र।
- कुशीनगर (वर्तमान में कसया गांव गोरखपुर) और पावा (अब पद्दरैना) मल्ल महाजनपद की राजधानी थी।
- कुशीनगर(कुशिनारा) में ही 80 वर्ष की आयु में बुद्ध की मृत्यु हुई इस घटना को महापरिनिर्वाण कहा गया।
चेदि –
- चेदि महाजनपद को वर्तमान में बुंदेलखंड के नाम से जाना जाता है
- चेदि महाजनपद की राजधानी सोत्यिवती थी।
- शिशुपाल चेदि महाजनपद का शासक था।
Note– शिशुपाल को कृष्ण के बुआ का बेटा माना गया है जिसका कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से सिर धड़ से अलग किया था।
अवंति –
आधुनिक मालवा को प्राचीन काल में अवन्ति महाजनपद कहा जाता था। ये दो भागों में विभाजित था।
i. उत्तरी अवंति
- उत्तरी अवंति की राजधानी उज्जयिनी (उज्जैन) थी। जो क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है।
Note– क्षिप्रा को मालवा की गंगा भी कहा जाता हैं।
ii. दक्षिणी अवंति
- दक्षिणी अवंति की राजधानी महिष्मति थी।
- अवंति का राजा प्रद्योत था जिसे चंड प्रद्योत भी कहा जाता था।
- इसके वत्स के राजा उदयन तथा मथुरा के राजा शूरसेन के साथ वैवाहिक संबंध थे।
- बौद्ध धर्म को अपनाकर प्रद्योत बुद्ध अनुयायी बन गया था।
कुरु –
- कुरु महाजनपद में आधुनिक हरियाणा तथा दिल्ली में यमुना नदी का पश्चिमीं भाग शामिल था।
- कुरु महाजनपद की राजधानी इंद्रप्रस्थ थी।
- बुद्ध के काल में यहाँ का शासक कौरव्य था।
पांचाल –
पांचाल महाजनपद वर्तमान में पश्चिमी उत्तर प्रदेश।
दो भागों में विभाजित था
i. उत्तरी पांचाल
- उत्तरी पांचाल की राजधानी अहिच्छल थी।
ii. दक्षिणी पांचाल
- दक्षिणी पांचाल की राजधानी काम्पिल्य थी।
Note – राजा द्रोपद की पुत्री द्रोपदी भी पांचाल महाजनपद से सम्बंधित थी |
मतस्य –
- मत्स्य महाजनपद में वर्तमान में राजस्थान के अलवर, भरतपुर तथा जयपुर जिले के क्षेत्र शामिल थे।
- मत्स्य महाजनपद की राजधानी विराटनगर थी।
- यही पांडवों ने 13 वर्षो का वनवास व्यतीत किया था।
शूरसेन –
- शूरसेन महाजनपद उत्तरी-भारत का प्रसिद्ध जनपद था, वर्तमान में मथुरा और उसके आसपास के क्षेत्र इस जनपद में शामिल थे।
- शूरसेन महाजनपद राजधांनी मथुरा थी।
Note– यूनानी लेखकों ने मथुरा को मेथोरा कहा है |
- बुद्ध के समकालीन शूरसेन का शासक अवन्तिपुत्र था (कही-कही कृष्ण को ही अवन्तिपुत्र बताया गया है )।
अस्मक/अस्यक –
- अस्मक महाजनपद वर्तमान आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र में गोदावरी नदी के आसपास स्थित था।
- अस्मक दक्षिण भारत का एकमात्र महाजनपद था।
- अस्मक की राजधानी पोटिल /पोतना /प्रतिष्ठान थी।
- अस्मक महाजनपद गोदावरी नदी के तट पर स्थित था।
गांधार –
- गांधार महाजनपद में वर्तमान में पाकिस्तान का पश्चिमी भाग तथा अफ़ग़ानिस्तान का पूर्वी क्षेत्र और कश्मीर के कुछ भाग शामिल थे।
- गांधार की राजधानी तक्षशिला थी।
- गांधार प्राचीन भारत में व्यापार और शिक्षा का मुख्य केंद्र था।
कम्बोज –
- कम्बोज की राजधानी द्वारका और राजपुर/हाटक थी।
- कम्बोज महाजनपद अपने घोड़ों के लिए प्रसिद्द था।
वत्स –
- वत्स महाजनपद वर्तमान में उत्तर प्रदेश के प्रयाग (आधुनिक प्रयागराज) के आस-पास केन्द्रित था।
- वत्स की राजधानी कौशंबी थी।
- वत्स महाजनपद का राजा उदयन था। जिसके अपने पड़ोसी राज्यों से अच्छे संबंध नहीं थे।
- उदयन और मगध के राजा अजातशत्रु के मध्य संघर्ष हुआ।
- अवंति के राजा प्रद्योत के साथ भी उदयन का संघर्ष हुआ जिसमे उदयन जीत प्राप्त हुई।
- फलस्वरूप प्रद्योत की पुत्री वासदत्ता के साथ उदयन का विवाह होता है।
Note– उदयन और वासदत्ता की प्रेम कहानी को विषय बना पर महाकवि भास ने स्वप्न वासदत्ता नामक पुस्तक लिखी है जो एक नाटक है।