राजस्थान का साहित्यिक इतिहास
Literary History of Rajasthan
हम्मीर महाकाव्य –
- हम्मीर महाकाव्य ग्रन्थ नयनचन्द्र सूरी द्वारा रचित काव्य है।
- हम्मीर महाकाव्य में चौहानों को सूर्यवंशी बताया गया है।
- इस ग्रन्थ में अलाउद्दीन खिलजी द्वारा रणथम्भौर अभियान की जानकारी मिलती है।
- नयनचन्द्र सूरी ने इस ग्रन्थ की रचना संस्कृत भाषा में की थी।
पृथ्वीराज रासौ –
- इस ग्रन्थ की रचना चन्द बरदाई ने की थी।
- इन ग्रन्थ को पूर्ण चन्द बरदाई के पुत्र जल्हण ने किया था।
- पृथ्वीराज रासौ पिंगल शैली में है।
- पृथ्वीराज रासौ ग्रन्थ में अजमेर के अन्तिम चौहान शासक पृथ्वीराज चौहान तृतीय के जीवन चरित्र एवं युद्धों का वर्णन हुआ है।
- यह ग्रन्थ ढाईं हजार पृष्ठों का वृहद ग्रन्थ है।
वेलि किसन रूकमणि री –
- इस ग्रन्थ की रचना पृथ्वीराज राठौड़ ने की थी।
- पृथ्वीराज राठौर को टैसिटोरी ने डिंगल का हैरोस कहा गया था।
- कवि दुरसा आढ़ा ने इस ग्रन्थ को पांचवा वेद व 19वां पुराण कहा है।
- इस ग्रन्थ में श्री कृष्णा व रुकमणी का वर्णन किया गया है।
- इस ग्रन्थ को कर्नल जेम्स टॉड ने हज़ार घोड़ो के बल के समान बताया था।
- यह ग्रन्थ गागरोन दुर्ग में लिखा गया था।
पद्मावत –
- यह ग्रन्थ मलिक मोहम्मद जायसी ने लिखा था।
- इस ग्रन्थ को 1540 ई. में अवधि भाषा में लिखा गया था।
- इस ग्रन्थ को फजाइन-उल-फतु को आभार बनाकर लिखा गया था।
- इस ग्रन्थ में 1301 ई. में अलाउद्दीन खिलजी व रतनसिंह के मध्य हुए युध्द का वर्णन है ।
नैणसी री ख्यात –
- इस ग्रन्थ की रचना मुहणौत नैणसी द्वारा की गयी थी।
- नैणसी री ख्यात को अपवाद माना जाता है।
- 16वी शताब्दी में चारण/भाट ख्यात लिखा करते थे परन्तु मुहणौत नैणसीएक आसवाल जैन थे।जिसके कारण इसे अपवाद माना गया है।
- नैणसी री ख्यात में ह शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है।
पृथ्वीराज विजय –
- इस ग्रन्थ की रचना जयनायक ने की थी।
- इस ग्रन्थ में पृथ्वीराज चौहान के वंशक्रम एवं उपलब्धियों का वर्णन मिलता है।
अजीतोदय –
- इस ग्रन्थ को जगजीवन भट्ट द्वारा लिखा गया था।
- यह ग्रन्थ ‘संस्कृत’ भाषा में है।
- इस ग्रन्थ में शासक जसवंत सिंह व अजीत सिंह के मुगल संबधों का वर्णन है।
अचलदास खीची री वचनिका –
- इस ग्रन्थ की रचना शिव दास गाडण द्वारा की गयी थी।
- इस ग्रन्थ को डिंगल भाषा में लिखा गया है।
- अचलदास खीची री वचनिका ग्रन्थ में माण्डू के सम्राट हौशंगशाह एवं गागरौन के राजा अचलदास खीची के मध्य हुए 1423 के युद्ध का वर्णन किया गया है।
हम्मीर हठ –
- हम्मीर हठ ग्रन्थ चन्द्रशेखर द्वारा रचित काव्य है।
सुर्जन चरित्र –
- सुर्जन चरित्र ग्रन्थ की रचना कवि चन्द्र शेखर ने की थी।
श्रृंगार हार –
- श्रृंगार हार की रचना हम्मीर देव चौहान ने की थी।
हम्मीररायण –
- इस ग्रन्थ की रचना भड़ाऊ व्यास ने की थी।
हम्मीर मदमर्दन –
- इस ग्रन्थ की रचना जयसिंह सूरी ने की थी।
हम्मीर रासौ –
- इस ग्रन्थ की रचना सारंगधर व जोधराज ने की थी।
बीसलदेव रासौ –
- बीसलदेव रासौ की रचना नरपति नाल्ह द्वारा की गयी थी।
- इस ग्रन्थ में अजमेर के चौहान शासक विग्रहराज चतुर्थ व मालवा की राजकुमारी राजमति के प्रेम का वर्णन हुआ था।
वचनिका राठौड़ रतन सिंह महेसदासोतरी –
- यह ग्रन्थ जग्गा खिडिया द्वारा लिखा गया था।
- इस ग्रन्थ को डिंगल भाषा में लिखा गया है।
राणा रासौ –
- इस ग्रन्थ की रचना दयालदास (दयाराम) ने की थी।
खुमाण रासौ –
- इस ग्रन्थ की रचना दलपत सिंह ने की थी।
विजयपाल रासौ –
- इस ग्रन्थ की रचना नल्लसिंह ने की थी।
- इस ग्रन्थ की रचना पिंगल भाषा में की गयी है।
- इस ग्रन्थ में विजयगढ (करौली) के शासक विजयपाल की दिग्विजय का वर्णन किया गया है।
- इस ग्रन्थ में बाप्पा रावल से महाराणा जयसिंह तक जानकारी प्राप्त होती है।
शत्रुशाल रासौ –
- इस ग्रन्थ की रचना कविडूंगरसी ने की थी।
राम रासौ –
- इस ग्रन्थ की रचना माधोदास दधवाडिया (चारण) ने की थी।
सती रासौ –
- इस ग्रन्थ की रचना सूर्यमल्ल मिश्रण ने की थी।
- सूर्यमल्ल मिश्रण राजस्थान के राज्य कवि है।
वंश भास्कर –
- इस ग्रन्थ की रचना सूर्यमल्ल मिश्रण ने की थी।
- इस ग्रन्थ को पूर्ण सूर्यमल्ल के दत्तक पुत्र मुरारीदान ने किया था।
वीर विनोद –
- इस ग्रन्थ की रचना कविराजा श्यामलदास ने की थी।
- यह ग्रन्थ चार खण्डों में रचित है।
- इस ग्रन्थ को ब्रिटिश सरकार द्वारा केसर -ए-हिन्द की उपाधि प्रदान की गई।
बिहारी सतसई –
- यह ग्रन्थ महाकवि बिहारी द्वारा रचित ग्रन्थ है।
- बिहारी जयपुर शासक मिर्जाराजा जयसिंह के दरबारी कवि थे
- इस ग्रन्थ की रचना ब्रज भाषा में की थी।
- इस ग्रन्थ में कूल 713 दोहे है।
चेतावनी रा चुगटिया –
- इस ग्रन्थ की रचना केसरीसिंह बारहठ ने की थी।
- चेतावनी रा चुगटिया ग्रन्थ के दोहों के माध्यम से केसरी सिंह बारहठ ने मेवाड के राजा फतेहसिंह को 1903 ईं. के दिल्ली दरबार में जाने से रोका था।
वीर सतसई –
- इस ग्रन्थ की रचना सूर्यमल्ल मिश्रण ने की थी।
- इस ग्रन्थ में 1857 की घटनाओं को व्यवस्थित तौर से प्रस्तुत किया था।
सगत रासौ –
- इस ग्रन्थ की रचना गिरधर आशिया ने की थी।
राव जैतसी रो छंद –
- इस ग्रन्थ की रचना बीठू सूजाजी ने की थी।
- यह ग्रन्थ डिंगल भाषा में है।
- इस ग्रन्थ में मुग़ल शासक बाबर के पुत्र कामरान व बीकानेर नरेश राव जैतसी के मध्य हुए युद्ध का वर्णन मिलता है।
रणमल छंद –
- इस ग्रन्थ की रचना श्रीधर व्यास ने की थी।
- इस ग्रन्थ में पाटन के सूबेदार जफर खाँ व ईंडर के राठौड़ शासक रणमल के मध्य हुए युद्ध का वर्णन मिलता है।
शारंगधर संहिता –
- इस ग्रन्थ की रचना शारंगधर ने की थी।
- इस ग्रन्थ को संस्कृत भाषा में लिखा गया था।
- यह ग्रन्थ एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक ग्रन्थ है।
राजस्थान के रणबांकुरे –
- इस पुस्तक की रचना राजेद्र सिंह राठौड़ ने की थी।
- इस पुस्तक में कारगिल युद्ध में अपनी वीरता का परिचय देते हुए शहीद हुए 92 सैनिकों का वर्णन किया गया है।
राजस्थान के प्रमुख ग्रंथ –
ग्रन्थ – कवि
- रतन रासौ – कवि कुम्भकारण
- कायम खां रासौ – जानकवि
- मेरा युग – कन्हैया लाल सेठिया
- कुँ – कुँ – कन्हैया लाल सेठिया
- गलगिचिया – कन्हैया लाल सेठिया
- जमीन रो धणी कूण – कन्हैया लाल सेठिया
- धरती धौराँ री – कन्हैया लाल सेठिया
- लीलटांस – कन्हैया लाल सेठिया (इस रचना के लिए कन्हैया लाल सेठिया को केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था।)
- धर कूंचा – कन्हैया लाल सेठिया
- धर मंझला – कन्हैया लाल सेठिया
- पाथल – कन्हैया लाल सेठिया (पाथल शब्द का प्रयोग कन्हैया लाल सेठिया ने महाराणा प्रताप के लिए किया गया था।)
- पीथल – कन्हैया लाल सेठिया (पीथल शब्द का प्रयोग कन्हैया लाल सेठिया ने पृथ्वीराज राठौर के लिए किया गया था।)
- सबद – कन्हैया लाल सेठिया
- बुदिध रासौ – कन्हैया लाल सेठिया
- मानचरित्र रासौ – नरोत्तमलाल
- धोरां रो धोरी – श्रीलाल नथमल जोशी
- आभे पटकी – श्रीलाल नथमल जोशी
- एक बीनणी दो बीन – श्रीलाल नथमल जोशी
- रूकमणी हरण – सायांजी झूला
- नागदमण – सायांजी झूला
- टाबरां री बाता – लक्ष्मी कुमारी चुडांवत
- लोव स्टोरी ऑफ राजस्थान – लक्ष्मी कुमारी चुडांवत
- सेनाणी – कवि मेघराज मुकुल (सेनाणी रतनसिंह चुंडावत की पत्नी सहल कंवर के लिए लिखा गया था। सहल कंवर का स्मारक सलूम्बर (उदयपुर) में है।)
- झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई – सुभद्रा कुमारी चौहान
- तवारिख-ए-राजस्थान – कालीराम कायस्थ
- राजिया रा सोरठा – कृपाराम
- आशिका – अमीर खुसरों (अमीर खुसरों को तोता-ए-हिन्द, भारत का तोता, स्वयंभू, हिंदी का आदि कवि कहा गया है। अमीर खुसरों को सितार व तबले का आविष्कारक माना जाता है।)
- लैला मजनू – अमीर खुसरों
- तारीख-ए-दिल्ली – अमीर खुसरों
- मिफ्ता-उल-फतुह – अमीर खुसरों
- किरात-उल-सादेन – अमीर खुसरों (इस ग्रन्थ में भारत की प्रशंसा की गयी है।)
- तारीख-ए-अलाई (खजाईन-उल-फतुह) – अमीर खुसरों (इस ग्रन्थ में चित्तौड़ के प्रथम साके का आखों देखा वर्णन मिलता है।)
- तारीख ए फिरोजशाही – जियाउद्दीन बरनी
- तारीख ए फरिश्ता – मुहम्मद कासिम फरिश्ता
- तुजुक ए जहाँगीर – मुगल सम्राट जहाँगीर
- बादशाहनामा – उस्ताद हमीद लाहोरी
- बाबर नामा – बाबर
- तुजुक-ए-बाबरी – बाबर (इस ग्रन्थ को तुर्की भाषा में लिखा गया है।)
- हुमायूँ नामा – गुल बदन बेगम
- किताब उल-हिंद (तहकीक-ए-हिन्द, भारत की ख़ोज) – अलबरूनी
- अकबरनामा – अबुल फजल
- आईने अकबरी – अबुल फजल (अकबरनामा का तीसरा भाग ही आईने अकबरी कहलाता है।)
- कान्हड़दे प्रबंध – पदमनाभ (इस ग्रन्थ में जालौर के प्रथम साके का वर्णन किया गया है।)
- वीरमदेव सोनगरा री बात – पदमनाभ (इस ग्रंथमे फिरोजा व वीरमदेव के मध्य हुए युद्ध का वर्णन किया गया है।)
- गौरा बादल री चौपाई – हेमरत्न सूरी
- एकलिंग महात्म्य – कान्ह व्यास (यह ग्रन्थ संस्कृत भाषा में लिखा गया है।)
- संगीत राज – राणा कुम्भा (यह राणा कुम्भा का सबसे बड़ा ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ को नृत्य, रत्न, पाठ-वाध्य, रस, गीत 5 भागों में बाटा गया है। )
- कामराज रतिसार – राणा कुम्भा
- संगीत सार – राणा कुम्भा
- संगीत मीमांशा – राणा कुम्भा
- सूढ़ प्रबंध – राणा कुम्भा
- चंडी शतक पर व्याख्या – राणा कुम्भा
- रसिक प्रिया – राणा कुम्भा (इस ग्रन्थ में राणा हम्मीर को वीर राजा बताया गया था।)
- गीत गोविन्द पर टिका – राणा कुम्भा
- एकलिंग महात्म्य ग्रन्थ का प्रथम भाग राजवर्णन – राणा कुम्भा
- राणा कुम्भा के दरबार में मंडन थे। जिन्होंने निम्न ग्रन्थ लिखे थे –
- राजवल्लभ, रूपमण्डल, देवमण्डन, कोदमण्डन, प्रसादमण्डन, शकुनमण्डन, देव मूर्ति प्रकरण आदि लिखे थे।
- मंडन के भाई नाथा ने वास्तुमंजरी ग्रन्थ लिखा था।
- मंडन के पुत्र गोविन्द ने कलानिधि, द्वार दीपिका. उद्धार धोरिणी लिखे है।
- पगफैरो – मणिमधुकर
- द एनाल्स एंड एंटीक्वीटीज ऑफ राजस्थान – कर्नल जेम्स टॉड
- द वेस्टर्न स्टेटस ऑफ राजपूत इंडिया – कर्नल जेम्स टॉड
- मारवाड़ रे परगना री विगत (राजस्थान का गजेटियर) – मुहणौत नैणसी (मुहणौत नैणसी को राजपूताने का अबूलफजल कहा जाता था।)
- तुजुक-ए-तैमुरी – तैमुरलंग
- मुन्तखाव-उल-तवारिख – अब्दुल कादिर बंदायूनी (इस ग्रन्थ में हल्दीघाटी युद्ध का वर्णन मिलता है।)
- ताज-उल-मासिर – हसन नियामी (इस ग्रन्थ में लिखा है की जालौर दुर्ग के प्रवेश द्वार को कोई भी आक्रमणकारी नहीं खोल पाया था।)
- आज़ादी के दीवाने – सागरमल गोपा
- रघुनाथ सिंह का मुकदमा – सागरमल गोपा
- जैसलमेर में गुंडा राज – सागरमल गोपा
- राजस्थानी शब्दकोष – सीताराम लालस
- तारीख-ए-यामिनी – ऊतबी
- तुजुक-ए-राजपुताना – जहांगीर
- दुविधा – विजयदान देथा
- अलेखु हिटलर – विजयदान देथा
- बातां री फुलवारी – विजयदान देथा (यह ग्रन्थ 12 खंडो में है।)
- दयालदास री ख्यात – दयालदास (इस ख्यात में राव बिका से लेकर महाराजा सरदार सिंह तक का वर्णन मिलता है।)
- बांकीदास री ख्यात – बांकीदास
- मुंडीयार री ख्यात – अज्ञात कवि (कवि का नाम नहीं पता चल सका) (इस ग्रन्थ में जोधपुर राज्य की जानकारी मिलती है।)
- चेतावनी रा चुग्टयां
- रूठी रानी – केसरी सिंह बारहठ
- राज चरित – केसरी सिंह बारहठ
- प्रताप चरित – केसरी सिंह बारहठ
- दुर्गा दास चरित – केसरी सिंह बारहठ
- हाला झाला री कुण्डलिया – ईश्वरदास बारहठ
- मुर्दों का टीला – रांगेय राघव
- कब तक पुकारू – रांगेय राघव
- हुं गौरी किण पीबं री – यादवेंद्र शर्मा
- किरतार बावनी – दुरसा आढ़ा
- विरुद्ध छतरी – दुरसा आढ़ा
- ढोला मारू री बात – कुशाल चन्द्र
- ढोला मारू री कविता – चंदू डाड़ी
- ढोला मारू री चौपाई – कुशललाभ
- ढोला मारू रा दुहा – कवि कल्लोल
- बादली – चन्द्रसिंह बीरकाली (चन्द्रसिंह बीरकाली को मरुधरा का कालिदास कहा जाता है।)
- लू – चन्द्रसिंह बीरकाली
- कालेजे री कोर – चन्द्रसिंह बीरकाली
- कुवलयमाला – उद्योतनसूरी
- राजपूताने का इतिहास – गोरीशंकर ओझा
- प्राचीन लिपिमाला – गोरीशंकर ओझा
- गजगुणरूपक/गुणरूपक – केशवदास गाडण
- सूरज प्रकाश – कविया करणीदान
- भरतेश्वर बाहुबलि घोर – वज्रसैन सूरी
- राजरूपक – बीरभाण
- सफीनत उल औलिया – दारा शिकोह