- मूल नाम- करम सिंह
- पिता – उत्तम सिंह
- जन्म- 15 सितम्बर 1915
- उपाधि – लांस नायक
- देहांत – 20 जनवरी 1993 (उम्र 77)
करम सिंह का जीवन परिचय-
करम सिंह का जन्म भारत के पंजाब के संगरूर ज़िले के भालियाँ वाले गाँव में 15 सितंबर 1915 को हुआ था।पिता उत्तम सिंह एक किसान थे।सिख जाट परिवार में पैदा हुए करम सिंह भी अपने पिता की तरह एक किसान बनना चाहते थे,परन्तु अपने गाँव के योद्धाओं के प्रथम विश्व युद्ध की कहानियाँ सुनी जिससे प्रेरित होकर करम सिंह ने बाद में सेना में जाने का फैलसा लिया था।वर्ष 1941 में करम सिंह ने अपने गॉंव से अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की थी,तथा उसके बाद सेना में शामिल हुए थे।
लांस नायक करम सिंह की पहली पोस्टिंग-
15 सितम्बर 1941 को करम सिंह को सिख रेजिमेंट की पहली बटालियन में भेज दिया गया।द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बर्मा अभियान में एडमिन बॉक्स की लड़ाई में करम सिंह के साहस और आचरण के लिए उन्हें मिलिट्री मैडल से सम्मानित किया गया था।
भारत-पाकिस्तान युद्ध (1947)-
कश्मीर में अपना कब्ज़ा करने के लिए पाकिस्तानियों ने हमला कर दिया था,तथा काफ़ी अन्दर तक आ चूका था।पाकिस्तानियों ने टिथवाल क्षेत्र में अपना कब्ज़ा कर लिया था।23 मई 1948 को भारतीय सेना ने टिथवाल को पाकिस्तानी सैनिकों से अपने कब्ज़े में ले लिया था।भारतीय सेना के कब्ज़े में आते ही इस क्षेत्र में पाकिस्तानी सैनिकों ने फिर हमला करना शुरू कर दिया था।टिथवाल की लड़ाई कई महीनों तक चलती रही,तभी 13 अक्टूबर को पाकिस्तानियों ने अपनी पूरी ताक़त के साथ भारतीय सेना पर हमला शुरू कर दिया गया ताकि भारतीय सेना को पीछे हटाया जा सके।
पाकिस्तानियों का मुख्य उद्देश्य टिथवाल के पूर्व नस्तचूर दर्रे पर कब्जा करना था तथा टिथवाल के दक्षिण में स्थित रीछमार गली में अपना अधिकार करने का था।13 अक्टूबर देर रात को लांस नायक करम सिंह की 1 सिख की अग्रिम टुकड़ी ने नेतृत्व करते हुए रीछमार गली पर भयानक लड़ाई की, पाकिस्तान की तरफ़ से लगातार हो रही गोलीबारी से लांस नायक करम सिंह घायल हो गये।घायल होने के बाद भी करम सिंह ने अपने साथियों का हौसला नहीं टूटने दिया और उन्हें युद्ध के लिए प्रेरित करते रहे।उन्होंने अपने एक साथी के साथ आगे बढ़ के अपने दो घायल साथियों को वापिस लेके आये।
घयाल होने के बाद भी करम सिंह आगे बढ़ते रहे और पाकिस्तानियों पर लगातार हमला करते रहे।पाकिस्तानियों के हमले में अब एक बार फिर करम सिंह घायल हो गये थे।लेकिन फिर भी उनने पीछे हटने से इनकार कर दिया और सबसे आगे बढ़ कर युद्ध करते रहे।लगातार चल रहे इस युद्ध में अब दो पाकिस्तानी सेना बेहद करीब आ गये थे।करम सिंह ने मौका पाते ही खाई से बाहर आये और दोनों पाकिस्तानियों पर कूदे और बैनट(संगीन)से मार दिया।जिससे बाकी पाकिस्तानियों में डर का माहौल हो गया और वो सब हताश हो गये।इसके बाद पाकिस्तानियों की ओर से तीन और हमलों किये गए,जिसको भी भारतीय सेना द्वारा नाकाम किया गया और सफलतापूर्वक दुश्मन को पीछे हटा दिया गया था।
परमवीर चक्र-
भारत-पकिस्तान 1947 युद्ध के दौरान उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा गणतंत्र दिवस 1950 के दिन लांस नायक करम सिंह को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।