उत्तराखंड की किरात जनजाति


Kiraat Tribe of Uttarakhand


किरात जनजाति के अन्य नाम –

  • कीर
  • किन्नर
  • किरपुरुष

किरात जनजाति की जानकारी के स्रोत – 

  1. युजुर्वेद के शुक्ल भाग से इनकी जानकारी प्राप्त होती है।
  2. अथर्ववेद से इनकी जानकारी प्राप्त होती है।
  3. स्कन्दपुराण में किरातो के लिए ‘भिल्ल’ शब्द का प्रयोग हुआ है।
  4. मनुस्मृति
  5. महाभारत के सभापर्व भाग में किरातो का अर्जुन के साथ युद्ध की जानकारी मिलती है।
  6. साँची के स्तूप में किरात वंशो को दान देने की जानकारी मिलती है।

धर्म –

  • किरात जनजाति के लोग हिन्दू धर्म को मानते थे।
  • किरात जनजाति के लोग भगवान् शिव के उपासक कहा जाता था।
  • किरात जनजाति के लोग बलि प्रथा में काफी विश्वास करते थे।
  • ये लोग जादू – टोने किया करते थे।
  • किरात जनजाति के लोग झाड-फूक में काफ़ी विश्वास करते थे।

भाषा –

  • मुंड

मुख्य व्यव्साय –

  • किरात जनजाति का व्यव्साय पशुपालन था।
  • आजीविका चलाने के लिए ये लोग शिकार किया करते थे।

शारीरिक संरचना – 

  • चपटी मुखाकृति
  • चपटा माथा
  • चपटी व् छोटी नाक
  • गेरुआ रंग

निवास स्थान –

  • तराई,  भाभर , थल , तेजम , अस्कोट से काली नदी तक , कर्णप्रयाग से  द्वाराहाट तक , टनकपुर , कपकोट।

किरात जनजाति से सम्बंधित कुछ अन्य जानकारी- 

  1. किरात जनजाति में सयुक्त परिवार में रहने का प्रचालन था ।
  2. किरात जनजाति में मामा व् बुआ के लड़के – लडकियों से विवाह की प्रथा थी।
  3. आर्यों द्वारा किरातो को शुद्ध कहा गया था।
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