उत्तराखंड की किरात जनजाति
Kiraat Tribe of Uttarakhand
किरात जनजाति के अन्य नाम –
- कीर
- किन्नर
- किरपुरुष
किरात जनजाति की जानकारी के स्रोत –
- युजुर्वेद के शुक्ल भाग से इनकी जानकारी प्राप्त होती है।
- अथर्ववेद से इनकी जानकारी प्राप्त होती है।
- स्कन्दपुराण में किरातो के लिए ‘भिल्ल’ शब्द का प्रयोग हुआ है।
- मनुस्मृति
- महाभारत के सभापर्व भाग में किरातो का अर्जुन के साथ युद्ध की जानकारी मिलती है।
- साँची के स्तूप में किरात वंशो को दान देने की जानकारी मिलती है।
धर्म –
- किरात जनजाति के लोग हिन्दू धर्म को मानते थे।
- किरात जनजाति के लोग भगवान् शिव के उपासक कहा जाता था।
- किरात जनजाति के लोग बलि प्रथा में काफी विश्वास करते थे।
- ये लोग जादू – टोने किया करते थे।
- किरात जनजाति के लोग झाड-फूक में काफ़ी विश्वास करते थे।
भाषा –
- मुंड
मुख्य व्यव्साय –
- किरात जनजाति का व्यव्साय पशुपालन था।
- आजीविका चलाने के लिए ये लोग शिकार किया करते थे।
शारीरिक संरचना –
- चपटी मुखाकृति
- चपटा माथा
- चपटी व् छोटी नाक
- गेरुआ रंग
निवास स्थान –
- तराई, भाभर , थल , तेजम , अस्कोट से काली नदी तक , कर्णप्रयाग से द्वाराहाट तक , टनकपुर , कपकोट।
किरात जनजाति से सम्बंधित कुछ अन्य जानकारी-
- किरात जनजाति में सयुक्त परिवार में रहने का प्रचालन था ।
- किरात जनजाति में मामा व् बुआ के लड़के – लडकियों से विवाह की प्रथा थी।
- आर्यों द्वारा किरातो को शुद्ध कहा गया था।