उत्तराखंड की जौनसारी जनजाति
Jaunsari tribe of Uttarakhand
उत्तराखंड राज्य में दूसरा सबसे बड़ा जनजाति समुदाय जौनसारी जनजाति है। जौनसारी जनजाति उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल मण्डल का सबसे बड़ा जनजातीय समुदाय है।
जौनसारी जनजाति की उत्पति-
- इंडो आर्यन परिवार से जौनसारी जनजाति की उत्पति हुई थी।
- जौनसारी जनजाति मंगोल प्रजाति (Mangol) एवं डॉमो (Domo) की मिश्रित जनजाति है।
- जौनसारी जनजाति खसास (Khasas), कारीगर (Karigar) और हरिजन खसास (Harijan Khasas) नामक इन तीनों वर्गों में खंडित है।
- जौनसारी जनजाति समुदाय अपने को पांडवो का वंशज मानते हैं।
जौनसारी जनजाति का निवास-
- जौनसारी जनजाति का निवास लघु हिमालय के उत्तर पश्चिमी (North-Western) भाग का भाबर क्षेत्र है।
- लघु हिमालय के उत्तर पश्चिमी (North-Western) भाग का भाबर क्षेत्र के अंदर देहरादून का चकराता, कालसी, लाखामण्डल टिहरी का जौनपुर क्षेत्र व उत्तरकाशी का परगना (Subdivision) क्षेत्र आता है।
- देहरादून का कालसी, चकराता व ल्युनी क्षेत्र को जौनसार-बाबर क्षेत्र कहते हैं।
- जौनसारी जनजाति की 95% आबादी देहरादून में निवास करती है।
- जौनसारी जनजाति के जौनसारी-बावर क्षेत्र में कुल 39 खाते (पट्टी) व 358 राजस्व गांव है।
जौनसारी जनजाति की भाषा-
- जौनसारी जनजाति की मुख्य भाषा जौनसारी है।
- जौनसारी जनजाति के बाबर क्षेत्र में बाबरी भाषा बोली जाती है।
जौनसारी जनजाति का वेशभूषा/पहनावा-
- जौनसारी जनजाति के पुरुष गर्मियों में कोट, सूती टोपी, पायजामा पहनते हैं।
- जौनसारी जनजाति के पुरुष सर्दियों में ऊनी कोट,ऊनी पजामा(झगोली) व ऊनी टोपी(डिगुवा) पहनते हैं।
- जौनसारी जनजाति की महिलाएं गर्मियो में कुर्ती पजामा(झग्गा), सूती घाघरा व चोली(चोल्टी) पहनती हैं।
- जौनसारी जनजाति की महिलाएं सर्दियों में ऊनी घाघरा, कुर्ता, व एक बड़ा रुमाल(ढांटू) पहनती हैं।
जौनसारी जनजाति का आवास–
- जौनसारी जनजाति के लोगों का घर लकड़ी व पत्थर के बने होते हैं।
- जौनसारी जनजाति के लोगों का घर विभिन्न प्रकार की सजावट से भरा रहता है।
जौनसारी जनजाति की उपजातियां-
जौनसारी जनजाति की निम्न उपजातियां है-
- .खसास (Khasas) – इस उपजाति के अंतर्गत ब्राह्मण व राजपूतव आते है।
- .हरिजन खसास (Harijan Khasas) – इस उपजाति के अंतर्गत डोम, कोली, मोची, कोल्टा आते है।
- .कारीगर (Karigar) – इस उपजाति के अंतर्गत लोहार, सोनार, बागजी, बढ़ई आते है।
जौनसारी जनजाति की समाजिक व्यवस्था-
- जौनसारी जनजाति में पितृ सत्तात्मक (Father’s Functional) संयुक्त परिवार प्रथा पायी जाती है।
- जौनसारी जनजाति में घर का सबसे बड़ा पुरूष परिवार का मुखिया होता है
जौनसारी जनजाति का विवाह प्रथा-
- जौनसारी जनजाति में विवाह से पहले लड़की को ध्यन्ति व विवाहोपरांत रयान्ति कहा जाता है।
- जौनसारी जनजाति में पहले बहुपति विवाह प्रथा का प्रचलन था जो प्रथा अब समाप्त हो चुकी है।
- जौनसारी जनजाति में कन्या पक्ष को उच्च माना जाता है।
जौनसारी जनजाति का धर्म-
- जौनसारी जनजाति के लोग हिन्दू धर्म को मानते हैं।
- जौनसारी जनजाति के लोगमहासू(महाशिव),बोठा,पवासी,चोलदा,देवी देवताओं की पूजा करते हैं।
- जौनसारी जनजाति के प्रमुख देवता महासू देवता हैं। कुछ लोग यह भी मानते है की महासू देवता भगवान विष्णु के छठा अवतार हैं।
- जौनसारी जनजाति के लोगों का प्रमुख तीर्थ स्थल हनोला है।
- जौनसारी जनजाति के लोगों का मन्दिर लकड़ी व पत्थर के बने होते हैं।
जौनसारी जनजाति की सांस्कृतिक गतिविधयां-
जौनसारी जनजाति के प्रमुख त्योहार-
- दशहरा- पंचाई,पांचों या पांयता
- दीपावली- दियाई
- बैशाखी-बिस्सू
- जन्माष्टमी- अठोई
- नुणाई, माघत्योहार, जागड़ा जौनसारी जनजाति के प्रमुख त्योहार हैं।
- जौनसारी जनजाति में जागड़ा महासू देवता का त्योहार है।
- दीपावली जौनसारी जनजाति का सबसे प्रमुख पर्व है जिसे ये लोग मुख्य दीपावली के एक महीने बाद मनाते हैं।
- दीपावली में जौनसारी जनजाति के लोग भीमल लकड़ी का होला जलाते हैं व पांडवो व महासू देवता के गीत गाते हैं।
- होली जलने के पश्चात् उसे खेत में ले जाकर भयलो खेला जाता है।
- दीपावली के अगले दिन को भीरुडी कहा जाता है इस दिन जौनसारी जनजाति के पुरूष पतेबाजी नृत्य करते हैं।
जौनसारी जनजाति के प्रमुख मेले(गनयात)-
1.चोलिथात मेला- जौनसारी जनजाति में यह मेला वीर केसरी चंद के बलिदान दिवस पर 3 मई को मनाया जाता है।
2.बिस्सू मेला- जौनसारी जनजाति में यह मेला बैसाखी में लगता है व ठाणा डांडा, चोरानी मेला, नागपात, आदि स्थानों पर लगता है।
3.मछमोण मेला- जौनसारी जनजाति के इस मेले में सिर्फ़ पुरूष ही भाग लेते हैं व नदी में तिमूर(तेजबल झाड़ी) का पाउडर डालकर मछलियों को पकड़ते हैं।
4.जतरियाड़ो मोण- जौनसारी जनजाति में यह मेला 25-26 वर्षो में एक बार लगता है।
जौनसारी जनजाति के प्रमुख नृत्य –
- राँसों नृत्य
- तांदी नृत्य
- हारूला नृत्य(परात नृत्य)
- ठुमकिया नृत्य
- घुमसु, झेला
- पतेबाजी
- रास-रासो
- मंडवड़ा
- सराई
- जंगबाजी नृत्य आदि
जौनसारी जनजाति की अर्थव्यवस्था–
- कृषि एवं पशुपालन जौनसारी जनजाति का मुख्य व्यवसाय है।
जौनसारी जनजाति की राजनीति व्यवस्था-
खुमरी समिति- जौनसारी समाज में एक गांव में पहले खुमरी समिति हुआ करती थी जिसका मुखिया सयाणा हुआ करता था।
खत समिति- जौनसारी समाज में खुमरी समिति से उच्च खत समिति होती थी जिसका मुखिया खत सय्याणा होता था। वर्तमान समय में इस जनजाति में भी ग्राम पंचायतें हैं।