- 13-14 जनवरी 1921 को बागेश्वर के उत्तरायणी मेला में बद्रीदत्त पाण्डेय तथा चिरंगी लाल शाह द्वारा कुली बेगार ना देने की शपत दिलाई गयी। पटवारियों ने कुली बेगार से सम्बंधित सभी रजिस्टर सरयू नदी में फेक दिए गये।
- इस आंदोलन के सफल होने के बाद बद्रीदत्त पाण्डेय ‘कुमाऊं केसरी’ की उपाधि दी गयी।
- 21 जुलाई 1903 को अल्मोड़ा के खत्यारी गाँव में 16 लोगो ने बेगार देने से इनकार किया उन्हें प्रथम श्रेणी न्यायलय द्वारा दंडित किया गया परन्तु इलाहाबाद (अब प्रयागराज) उच्च न्यायलय द्वारा सही ठहराया गया यह घटना कुली बेगार न देने से सम्बंधित प्रथम घटना थी।
- कुली बेगार समस्या हेतु कुली एजेंसी का प्रायोगिक विचार सर्वप्रथम मिर्जा दत्त नैथनी ने दिया।कुली एजेंसी में सर्वप्रथम योगदान तारादत्त गैरोला ने किया।
- सर्वप्रथम कुली एजेंसी का प्रयोग पौड़ी के द्वारिका खाल में किया। इस क्षेत्र के डिप्टी कमीशन स्टोबेल ने दिया। 1908 में जाँघ सिंह नेगी द्वारा ट्रांसपोर्ट एंड सप्लाई कोऑपरेटिव एसोसिएशन नाम से पहली कुली एजेंशी की स्थापना हुई।
- 1992 में मदन मोहन मालवीय द्वारा हरिद्वार में गंगा सभा की सथापना की गयी ।
- 1926 में कुमाऊँ परिषदका अल्मोड़ा कांग्रेस में विलय हो गया।
- 14 जून 1929 को महात्मा गाँधी हल्द्वानी होते हुए बागेश्वर गये।
- 22 जून से 2 जुलाई 1929 तक कौसानी में रहे। इस दौरान महात्मा गाँधी ने कौसानी को भारत का स्विजरलैंड कहा तथा यहाँ उन्होंने अनाशक्ति योग की गीता लिखी।
- 26 जनवरी 1930 को अल्मोड़ा में तिरंगा फैलाया गया तथा अल्मोड़ा की नगर पालिका में विशनी देवीशाह को गिरफ्तार किया गया, तथा कुंती वर्मा को जिन्दा या मुर्दा पकड़ने के आदेश दिए गये।
- 23 अप्रैल 1930 को गढ़वाल रायफल्स की 2/18 के बटेलियन के मेजर वीर चन्द्र गढ़वाली ने निहत्ते पठानों पर गोली चलान से मना क्र दिया। इस घटना को भारत में इसे पेशावार कांड कहा गया।
- इस घटना के बाद वीर चन्द्र गढ़वाली पर मुकदमा चलाया गया तथा इनके मुक़दमे की पैरवी मुकुन्दी लाल ने की। मोतीलाल नेहरु ने समस्त भारत में गढ़वाली दिवस मानाने की घोषणा की , इसी के साथ महात्मा गाँधी ने वीर चन्द्र को गढ़वाली की उपाधि दी।
- वीर चन्द्र गढ़वाली की समाधी चमोली के गैरसैंण (उत्तराखंड राज्य की ग्रीष्मकालीन अस्थाई राजधानी) में बागड़ गांव में स्थित है।
- 12 मार्च 1930 से लेकर 6 अप्रैल 1930 तक चले महात्मा गाँधी के ‘दांडी मार्च’ में उत्तराखंड से ज्योतिराम दत्त कांडपाल, भैरव दत्त जोशी ने भाग लिया।
- देहरादून में खाराखेत स्थान पर नमक कानून तोडा गया इस दौरान श्री देव सुमन को 15 दिन की जेल हुई ।
- जुलाई 1930 में हिन्दुस्तान सोशियन रिपब्लिक एसोसिएशन के सदस्यों द्वारा दिल्ली में बडोदिया स्टोर डकैती कांड किया गया। जिसमे उत्तखंड के भवानी सिंह रावत शामिल थे। इन्ही के कहने पर चन्द्र शेखर आजाद दुगड्डा आये तथा यहाँ पिस्तौल चलाने की ट्रेनिंग ली।
- 1931 में उत्तखंड में पहली बार वन पंचायतो का गठन किया गया।
- 1935 में जवाहर लाल नेहरु अल्मोड़ा जेल में रहे थे।अल्मोड़ा में जवाहर लाल नेहरु ने अपनी आत्मकथा “An Autobiography towards freedom” का कुछ भाग लिखा।
- 1937 में अल्मोड़ा के सोमेश्वर में शांति लाल त्रिवेदी द्वारा गाँधी आश्रम की सथापना की गयी।
- 2 सितम्बर 1942 को गाँधी आश्रम को कमिशनर द्वारा बंद करा दिया गया।
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