राजस्थान का इतिहास (सिरोही के चौहान)
History of Rajasthan (Chauhan of Sirohi)
सिरोही का प्राचीन नाम अबुर्द प्रदेश था। जेम्स टॉड के अनुसार सिरोही का मूल नाम शिवपुरी था। सिरोही में देवड़ा चौहान थे। सिरोही के संस्थापक लुम्बा चौहान थे।
लुम्बा –
- सिरोही चौहानों के आदि पुरुष , मूल पुरुष व संस्थापक लुम्बा थे।
- लुम्बा जालौर के देवड़ा शाखा से थे।
- 1311 ई. में लुम्बा ने जालौर से सिरोही आकर सिरोही में चौहान वंश की नीव राखी थी ।
- लुम्बा ने परमार राजपूतों को हराकर चंद्रावती को अपनी राजधानी बनाया था। चंद्रावती का ही दूसरा नाम आबू था।
- लुम्बा ने 1320 ई. में अचलेश्वर मंदिर का जिर्णोद्वार करवाया था।
- लुम्बा के पुत्र रायमल थे।
शिवभान –
- रायमल के पुत्र शिवभान थे।
- शिवभान ने 1405 ई. में शिवपुरी नगर बसाया था।
सहसमल देवड़ा –
- सहसमल देवड़ा शिवभान के पुत्र थे।
- 1425 ई. में सहसमल ने शिवपुरी के स्थान पर सिरोही बसाया व उसे अपनी राजधानी बनाया था।
- सहसमल के समय मेवाड़ में शासक महाराणा कुम्भा थे।
- महाराणा कुम्भा ने अपने सेनापति नृसिंह को भेज कर सहसमल देवड़ा के आबू, बसंत गढ़ व मूड क्षेत्रों में अपना अधिकार कर लिया था।
लाखा देवड़ा –
- लाखा देवड़ा सहसमल के पुत्र थे।
- मेवाड़ में स्थिति खराब होते देख लाखा ने अपने क्षेत्र वापिस जीत लिए थे।
शिवसिंह –
- 1823 ई . में शिवसिंह ने ईस्ट इण्डिया कंपनी के साथ सहायक संधि की थी।
- यह राजस्थान की होने वाली अंतिम संधि थी।