राजस्थान का इतिहास (रणथंभौर का चौहान वंश)


History of Rajasthan (Chauhan Dynasty of Ranthambore)


गोविन्द राज – 

  • गोविन्द राज ने 1194 ई. में रणथंभौर में चौहान वंश की नींव रखी थी।
  • गोविन्द राज पृथ्वीराज चौहान तृतीय के पुत्र थे।

वीर नारायण – 

  • वीर नारायण के समय इल्तुतमिश ने रणथंभौर पर आक्रमण किया था।

वागभट्ट – 

  • वागभट्ट के समय बलबन आक्रमण करता है। बलबन तीन बार आक्रमण करता है।

हम्मीर देव चौहान/ हम्मीर हठी राजा (1282 – 1301 ई.) –

  • हम्मीर देव के पिता का नाम जैत्र सिंह था।
  • हम्मीर देव की माता का नाम हीरा देवी था।
  • हम्मीर देव की पति का नाम रंगा देवी/रंग देवी था।
  • हम्मीर देव की पुत्री का नाम पदमला/ देवल दे था। पदमला ने पदमला तालाब में कूद कर अपनी जान दी थी। यह तालाब रणथंभौर दुर्ग में है।
  • हम्मीर देव ने अपने पिता की याद में 32 खम्भों की छतरी बनाई थी। इस छतरी को न्याय की छतरी भी कहा जाता है।
  • हम्मीर देव चौहान ने प्रथम आक्रमण भीमरस (उत्तर प्रदेश) के शासक अर्जुन पर किया था व उनको पराजित किया था।
  • हम्मीर देव चौहान ने धार (मध्यप्रदेश) के शासक परमार भोज को हराया था।
  • मेवाड़ के शासक समरसिंह को पराजित किया था।
  • आबू के शासक प्रताप सिंह को पराजित किया था।
  • हम्मीर देव चौहान के गुरु का नाम राघव देव था।
  • हम्मीर देव के दरबारी कवी का नाम बीजादित्य था।
  • हम्मीर देव ने 17 युद्ध किये थे। इनमें से हम्मीर देव 1 युद्ध हारे थे।
  • हम्मीर देव की पुस्तक का नाम श्रृंगार हार है।
  • हम्मीर देव चौहान के लिए  हम्मीर महाकाव्य लिखा गया था जिसके रचियेता नयनचन्द्र सूरी थे।
  • हम्मीर हठ/सुर्जन चरित्र के रचियेता चन्द्रशेखर थे।
  • हम्मीर मदमर्दन के रचियेता जयचंद सूरी थे।
  • हम्मीर रसों के रचियेता सारंगधर/ जोधराज थे।
  • रणथंभौर दुर्ग का प्रवेश द्वार को नौलखा दरवाज़ा कहा जाता है।
  • रणथंभौर दुर्ग में त्रिनेत्र गणेश मंदिर है।
  • रणथंभौर दुर्ग ने सुपारीमहल है।
  • 1291ई. में जलालुद्दीन खिलजी झारन दुर्ग (रणथंभौर दुर्ग की कुंजी) पर आक्रमण करता है।
  • इस युद्ध के समय हम्मीर देव चौहान कोटियजन यज्ञ करने में व्यस्थ थे तथा उन्होंने गुरुदास सैनी को युद्ध करने भेजा था।
  • इस युद्ध में गुरुदास सैनी वीरगति को प्राप्त हो जाते है तथा जलालुद्दीन खिलजी ये युद्ध जीत जाता है।
  • इसके पश्चात जलालुद्दीन खिलजी रणथंभौर पर आक्रमण करता है। इस युद्ध में जलालुद्दीन खिलजी का सेनापति अहमद चप था।
  • इस युद्ध में जलालुद्दीन खिलजी युद्ध का मैदान छोड़ के जा रहा था तो उसका सेनापति अहमद चप पूछता है, बादशाह किधर जा रहे हो?  तो जलालुद्दीन खिलजी कहता है “ऐसे दस किले मै मुसलमान के एक बाल के बराबर समझता हूँ” और वहाँ से चला जाता है।
  • इस युद्ध में जलालुद्दीन खिलजी यह समझ गया था की वो हम्मीर देव चौहान से नहीं जीत सकता है।
  • अलाउद्दीन खिलजी की सेना गुजरात के सोमनाथ मंदिर में 1299 ई. में आक्रमण कर वहाँ से लुटा हुआ धन वापिस जालौर के मार्ग से दिल्ली को ले जाती है। इस घटना की जानकारी हम्मीर महाकाव्य से मिलती है।
  • जालौर में उलूग खां व नुसरत खां तथा मुहम्मद शाह व के ह्ब्रू कहते है की जो भी धन है उसको आधा-आधा बाँट लेते है।
  • इसके बाद मुहम्मद शाह के ह्ब्रू भागकर हम्मीर देव की शरण में चले जाते है।
  • इसके पश्चात हम्मीर देव के सेनापति धर्मसिंह व भीमसिंह का युद्ध अलाउद्दीन खिलजी के उलूग खां व नुसरत खां से होता है।इस युद्ध में भीम सिंह मारे जाते है। यह युद्ध रणथंभौर में हुआ था।
  • इस युद्ध को हिन्दू वाट का युद्ध भी कहा जाता है। यह युद्ध बनास नदी किनारे हुआ था।
  • युद्ध में भीम सिंह के मर जाने के बाद हम्मीर देव को लगता है यह गलती धर्मसिंह की है तथा हम्मीर देव धर्मसिंह को अन्धा करवा देते है व धर्मसिंह की जगह उनके भाई भोज को सेनापति नियुक्त करते है।
  • भोज और पृथ्वीसिंह दोनों मिलकर अलाउद्दीन खिलजी के पास चले जाते है। इसके पश्चात अलाउद्दीन खिलजी इन दोनों को जगरा नामक जागीर देता है।
  • 11 जुलाई 1301 ई. को अलाउद्दीन खिलजी रणथंभौर पर आक्रमण कर देता है। इस युद्ध में खिलजी का सेनापति नुसरत खां मारा जाता है।
  • इस युद्ध में हम्मीर देव ने केसरिया किया था।
  • इसी युद्ध में राजस्थान का प्रथम जल जौहर हुआ था।
  • इस युद्ध के दौरान अलाउद्दीन खिलजी हम्मीर देव चौहान से संधि करने के लिए कहता है। इस संधि में अलाउद्दीन खिलजी कहता है “हम्मीर देव यदि आप मुहम्मद शाह के ह्ब्रू को मुझे वापिस लौटा नहीं सकते तो मुझे चार लाख स्वर्ण मुद्राए , चार हाथी व अपनी पुत्री दे दीजिये।
  • इसके उत्तर में हम्मीर देव कहते है चार लाख मुद्राए तो बहुत दूर की बात है हा यदि तुम चाहों तो मै तुम्हे चार लाख कोड़े मार सकता हूँ।
  • इस युद्ध में हमीर देव के केसरिया करने के बाद अमीर खुसरों कहता है –“आज कुफ्र का गढ़ इस्लाम का घर हो गया”
  • इस युद्ध को जीतने के बाद अलाउद्दीन खिलजी उलूग खां को रणथंभौर का प्रशासक नियुक्त करता है। उलूग खां के साथ यहाँ अलख खां भी आया था।
  • इस युद्ध में घायल हुए मुहम्मद शाह से अलाउद्दीन खिलजी पूछता है यदि में तेरे जख्म ठीक करवा दूँ तो तू क्या करेगा? मुहम्मद शाह जवाब देता है की मै सबसे पहले हम्मीर देव चौहान के पुत्र को गद्दी में बैठता व तेरी हत्या कर देता। इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी मुहम्मद शाह का क़त्ल करवा देता है।
  • इस युद्ध में हम्मीर देव के सेनापति रणमल व रतिपाल ने हम्मीर देव से विश्वासघात किया था। रतिपाल से अलाउद्दीन खिलजी ने कहा था यदि मै ये युद्ध जीत गया तो यह किला मै तुझे सौप कर चला जाऊंगा।
  • हम्मीर देव ने अपने शीश को भगवान् शिव को समर्पित कर दिया था।
  • अलाउद्दीन खिलजी की मराठा पत्नी चिमना बाईमुहम्मद शाह की प्रेम कहानी की जानकारी हम्मीर हठ ग्रन्थ से मिलती है।
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