राजस्थान की हस्तकला/ लोककला


Handicraft/Folk Art of Rajasthan


हस्तकला – 

राजस्थान की 11 हस्तकलाओं को भौगोलिक चिन्ह्निकरण में शामिल किया गया है।

  1. बीकानेरी भुजिया
  2. फुलकारी (नाथद्वारा)
  3. सांगानेरी प्रिंट
  4. बगरू प्रिंट
  5. ब्लू पॉटरी
  6. थेवा कला
  7. कोटा डोरिया साड़ी
  8. मकराना मार्बल
  9. पोखरण पॉटरी
  10. टेराकोटा कला
  11. कठपुतली

 

बीकानेर – 

  • रामसर गॉव – सुराही
  • सुनहरी टेरीकोटा –
  • उस्ताक्ला/ मुनव्वती कला – इनके कलाकारों को उस्ताद कहा जाता है। ऊँट की खाल पर किया गया सुनहरा चित्रांकन उस्ताकला कहलाता है।
  • मथैरण कला – जैनी कलाकारों द्वारा की जाती है
  • बीकानेरी भुजिया – बीकानेरी भुजिया महाराजा डूंगर सिंह के समय में शुरू की गयी थी।
  • आला गिला

जैसलमेर – 

  • लोई
  • कम्बल
  • दर्पण
  • पेचवर्क

बाड़मेर – 

  • अजरक प्रिंट
  • मलीर प्रिंट
  • कांच का कार्य/ मिरर वर्क – चौहटन
  • नकाशिदार फर्नीचर

जालौर –

  • खेसला – लेटा गाँव
  • जूतियाँ – भीनमाल
  • मामा जी के घोड़े – हरजी गाँव

सिरोही – 

  • तलवारे

उदयपुर –

  • पगड़ी
  • कठपुतली
  • मेटल धातु के खिलौने

डूंगरपुर – 

  • रमकड़ा उद्योग – गलियाकोट

बासवाड़ा – 

  • आम पापड़
  • तीर कमान –  चंदू जी का गढ़ा
  • काले पत्थर की मुर्तिया

प्रतापगढ़ – 

  • थेवा कला

चित्तौड़गढ़ – काष्ठ कला का केंद्र

  • कावड़
  • गणगौर
  • बेवाड़
  • आकोला
  • आजम प्रिंट
  • जाजम प्रिंट

कोटा – 

  • ब्लैक पॉटरी
  • कोटा डोरिया साड़ी
  • मसुरिया साड़ी

झालावाड़ –

बारा –

  • खादी टेरीकोता

सवाई माधोपुर – 

  • पीओपी के खिलौने
  • मेंण छपाई
  • श्योमाता  गाँव की मुर्तिया
  • खस व इत्र
  • मोम का दाबू

करौली – 

  • लाख की चूड़ियाँ

धौलपुर – 

  • तुडिया (पायल) हस्तशिल्प / नकली आभूषण

अलवर – 

  • कागजी पॉटरी
  • थानागाज़ी की मुर्तिया

भरतपुर – 

  • नढ़वई की जूतियाँ

जयपुर – 

  • पाव रजाई
  • कोफ़्तगिरी
  • मुरादाबादी
  • मीनाकारी
  • ब्लूपॉटरी
  • लाख की चूड़ियाँ
  • सनागानेरी प्रिंट
  • बगरू प्रिंट
  • संगमरमर की मूर्तियाँ
  • फुलपत्ती वाली साड़ी
  • गेहूँ के बिंधण का दाबू
  • लहरिया
  • पोमचा
  • कुंदनगिरी
  • गोटे की चुनरी

सीकर – 

  • गोरा जरी – इसे सलमा सितारा भी कहा जाता है। इसके प्रकार – लप्पा , लाप्पी, किरण, बाकड़ी, चम्पाकली, मुकेश, जरी, जरदोजी

झुनझुनू – 

 

चुरू –

  • चन्दन की लकड़ी पर चन्दन का कार्य
  • बंधेज का सर्वाधिक कार्य चुरू के सुजानगढ़ में होता है।

हनुमानगढ़ – 

  • खेल का सामान

जोधपुर – 

  • मोठडा
  • बादला
  • जस्ते की मूर्तियाँ
  • डूंगरशाही ओढ़नी
  • चुनरी
  • बंधेजमंडी
  • नौरंगीचूड़ियाँ
  • हाथी दांत की चूड़ियाँ
  • एलुमिनियम धातु के खिलौने
  • सालावास की दरियाँ

नागौर – 

  • बडू गाँव की जूतियाँ
  • लोहे के औज़ार
  • टांकला नागौर की दरियाँ
  • ताऊसर की पान मैथी

पाली –

  • रेडियो
  • टेलीविज़न
  • ब्लॉक पंटिंग्स
  • गरासियो की फाग
  • सोजत की महेंदी
  • फालना के छाते

अजमेर – 

  • सुंधनी नसवार

राजसमन्द – 

  • मोलेला गाँव की मिट्टी की मृण मुर्तिया
  • नाथद्वारा की पिछवाई कला
  • नाथद्वारा की तारकशी के जेवर
  • नाथद्वारा की फुलकारी
  • नाथद्वारा के चाँदी की मीणाकारी
  • नाथद्वारा की चूवा चंदन की साड़ियाँ
  • नाथद्वारा के केले पे सांझी
  • नाथद्वारा की स्प्रे प्रिंटिंग
  • गिलूण्ड की लाल सुर्ख रंग वाली महेंदी

बूंदी – 

  • चाकू
  • छुरी
  • उस्तरे
  • कटार

टोंक – 

  • मयूर बीड़ी उद्योग
  • नमचे व गलीचा

भीलवाड़ा – 

  • भोडल की छपाई
  • नादंणे
  • फड़कला
  • तांबे की मीनाकारी

दौसा – 

  • लवाण की दरियाँ
  • (भारत के प्रथम राष्ट्रीय ध्वज दौसा के गाँव आलूंदा में ही तैयार किया गया था।)

दरियाँ – 

  • सालावास (जोधपुर)
  • टाकला (नागौर)
  • लवाण  (दौसा)

दाबू – 

  • लुई या लुगदी से जिस स्थान को दबा दिया जाता है, उसे दाबू कहते है।
  • दाबू प्रिंट में लाल व हरे रंग का प्रयोग होता है।
  • मोम का दाबू (सवाई माधोपुर में)
  • मिट्टी का दाबू  (बालोतरा बाड़मेर में)
  • गेहूँ के बिंधण का दाबू (जयपुर)

जूतियाँ – 

बडूगाँव (नागौर)

भीनमाल (जालौर)

नढ़वई (भरतपुर)

मीनाकारी – 

पीतल  – जयपुर

सोने – प्रतापगढ़

तांबे – भीलवाड़ा

चाँदी – नाथद्वारा


वस्त्र उद्योग की ह्स्थक्लाएँ

हाथ से छपाई/प्रिंट – 

  • हाथ से छपाई का कार्य करने वालो को नीलगर/ रंगरेज कहा जाता है।
  • हाथ से छपाई का प्रमुख केंद्र बालोत्तरा (बाड़मेर) में है।
  • हाथ से छपाई का कार्य छिम्पा व खत्री जाति द्वारा कार्य किया जाता है।

दाबू प्रिंट –

  • जिस स्थान पर रंग नहीं चढ़ाना उसे लुई/लुगदी से दबा देते है।
  • दाबू प्रिंट में हरा व लाल रंग का प्रयोग किया जाता है।
  • इसका प्रमुख केंद्र अकौला (चित्तौड़गढ) है।

आजम/जाजम प्रिंट – 

  • छिंपो का अकौला (चित्तौड़गढ) इस प्रिंट के लिए प्रसिद्ध है।
  • आजम प्रिंट में काला व लाल रंग का प्रयोग किया जाता है।
  • इस प्रिंट से घाघरे व कालीन बनाई जाती है।

जाजम प्रिंट – 

  • मांगलिक व धार्मिक अवसरों जाजम प्रिंट का प्रोयग किया जाता है।

अजरक प्रिंट – 

  • अजरक प्रिंट बालोतरा (बाड़मेर) का प्रसिद्ध है।
  • अजरक प्रिंट में लाल और नीले रंग का प्रयोग किया जाता है।
  • इस प्रिंट में ज्यामितीय आकृति के अलंकरण होते है।
  • यह एकमात्र ऐसा प्रिंट है जिसमे दोनों तरफ़ प्रिंट किया जाता है।
  • यह प्रिंट नामाज पढ़ते वक्त प्रोयोग में लिया जाता है।
  • इस प्रिंट का कार्य खत्री जाति द्वारा किया जाता है।

मलीर प्रिंट – 

  • मलीर प्रिंट बालोतरा (बाड़मेर) का प्रसिद्ध है।
  • इस प्रिंट में काला व कत्थई रंगों का प्रयोग किया जाता है।
  • मलीर प्रिंट में एक तरफ छपाई की जाती है।
  • यह मोहमद यासीन छिम्पा को पुरुस्कार दिया गया था।

सांगानेरी प्रिंट – 

  • यह प्रिंट सांगानेर (जयपुर) का प्रसिद्ध है।
  • इस प्रिंट में लाल व काले रंग का प्रयोग होता है।
  • इस प्रिंट में प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होता है।
  • मुन्नालाल गोयल इस प्रिंट के प्रसिद्ध कलाकार है।
  • यह कार्य नामदेव छिम्पा द्वारा किया जाता है।
  • इसका सर्वाधिक कार्य सवाई जयसिंह के काल में हुआ था।
  • इस प्रिंट को 2010 में भौगोलिक चिह्नीकारण में शामिल किया गया था।
  • यह प्रिंट बेल-बूटों की छपाई के लिए प्रसिद्ध है।
  • इस छपाई में प्रसिद्ध बेल दाखा बेल है।

बगरू प्रिंट –

  • यह प्रिंट बगरू (जयपुर) का प्रसिद्ध है।
  • यह प्रिंट बेल बुन्टों की छपाई के लिए प्रसिद्ध है।
  • इस प्रिंट में काले रंग व लाल रंग का प्रयोग किया जाता हैं।
  • इस प्रिंट में वानस्पतिक रंगों का प्रयोग किया जाता है।
  • यह प्रिंट भौगोलिक चिह्नीकारण में शामिल है।
  • राम किशोर छिम्पा इस प्रिंट के मुख्य कलाकार है।
  • 2009 में राम किशोर छिम्पा को पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

ढोला मारू प्रिंट – 

  • ढोला मारू प्रिंट बाड़मेर का प्रसिद्ध है।

कटार छीट प्रिंट –

  • कटार छीट प्रिंट बाड़मेर का प्रसिद्ध है।

भोड़ल की छपाई – 

  • भोड़ल की छपाई भीलवाड़ा में होती है।
  • इस छपाई में अभ्रक का प्रयोग होता है।

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