बल तथा गति के नियम (FORCE AND LAWS OF MOTION)
बल (Force) {F}- किसी वस्तु की गति में परिवर्तन के लिए बाह्य बल कीआवश्यकता होती है, उसे बल कहा जाता हैं। बल सदिश राशि (vector quantity)है।
सूत्र(Formula)- बल (Force)= द्रव्यमान (Mass) x त्वरण (Acceleration) [F=ma]
S.I. मात्रक (Unit)- न्यूटन (Newton) (N)
बल के प्रकार (Type of force)-
- संतुलित बल (balanced force)
- असंतुलित बल(unbalanced force)
1- संतुलित बल (balanced force) – जब किसी वस्तु पर कई बल कार्य करते है तथा इनका परिणामी बल शून्य हो तो इसे संतुलित बल कहते है।
2.असंतुलित बल(unbalanced force)- जब किसी वस्तु पर कई बल कार्य करते है तथा इनका परिणामी बल शून्य ना हो तो इसे असंतुलित बल कहते है।
संवेग(Momentum) {P}-किसी वस्तु के द्रव्यमान व वेग के गुणनफल को संवेग (momentum) कहते हैं। संवेग सदिश राशि (vector quantity)है।
S.I. मात्रक (Unit)- kgm/s
जड़त्व (Inertia)- जब कोई वस्तु अपने द्वारा अपनि स्थिति नहीं बदल सकती तो उसे जड़त्व (Inertia) कहा जाता है।
द्रव्यमान (mass) – जड़त्व (Inertia) पूरी तरह से द्रव्यमान पर निर्भर रहता है।
जड़त्व (Inertia) तीन प्रकार के होते है-
विराम का जड़त्व (Inertia of Rest)- यदि कोई वस्तु विराम में है तो वो विराम में ही रहेगी।वह वस्तु अपने आप गति में नहीं आ सकती।
गति का जड़त्व (Inertia of Motion)-यदि कोई वस्तु समान गति में है तो वो उसी गति में ही रहेगी।वह वस्तु अपने आप अपनी गति नहीं बदल सकती।
दिशा का जड़त्व (Inertia of Direction)-यदि कोई वस्तु एक दिशा में है तो वो उसी दिशा में ही रहेगी।वह वस्तु अपने आप अपनी दिशा नहीं बदल सकती।
गति के नियम (Law of Motion)
गति के नियम तीन प्रकार के होते है-
- गति का प्रथम नियम (First Law of Motion)
- गति का द्वितीय नियम (Second Law of Motion)
- गति का तृतीय नियम (Third Law of Motion)
1. गति का प्रथम नियम (First Law of Motion) –
यदि कोई वस्तु स्थिर अवस्था में है तो वह तब तक विराम अवस्था में ही रहेगी जब तक उस पर कोई बाहरी बल न लगाया जायें, और गतिशील है तो तब तक एकसमान गति की अवस्था में रहेगी जब तक की उसपर बाहरी बल लगाकर उसे स्थिर न किया जाये।
गति के प्रथम नियम (First Law of Motion) को जड़त्व का नियम (Law of Inertia) भी कहा जाता है।
उदाहरण: जब कोई रूकी हुई गाड़ी अचानक चल पड़ती है तब उसमें बैठे यात्री पीछे की ओर झुक जाते है तथा इसके ठीक विपरीत जब कोई चलती हुई गाडी अचानक रूक जाती है तब उसमें बैठे यात्री आगे की ओर झुक जाते हैं।
जब हम किसी कार में यात्रा करते हैं तो चलती हुई कार के सापेक्ष हमारा शरीर गति की अवस्था में रहता हैं। परन्तु जब ब्रेक लगाया जाता है तो गाड़ी के साथ-साथ सीट भी विराम अवस्था में आ जाता है, परन्तु हमारा शरीर जड़त्व के कारण गतिज अवस्था में ही बना रहना चाहता हैं। इसलिए हमारा शरीर ब्रेक लगने पर आगे की तरफ तेजी से झुकता हैं।
2.गति का द्वितीय नियम (Second Law of Motion) –
किसी भी वस्तु के संवेग परिवर्तन की दर उसपर लगाये गये बल के समानुपाती होती है, तथा संवेग परिवर्तन की दिशा वही होती है जो बल की दिशा होती है।
गति के द्वितीय नियम (Second Law of Motion) को संवेग का नियम (Law of Momentum) भी कहा जाता है।
उदाहरण: क्रिकेट खिलाड़ी तेजी से आती हुई गेंद को पकड़ते समय अपने हाथों को पीछे की ओर खीच लेते है, ताकि गेंद का वेग कम किया जा सके। इससे कम चोट लगती हैं।
तेज घुमती गेंद में उसके वेग के कारण संवेग की मात्रा अधिक होती हैं। इसलिए, गेंद में काफी बल होता है, गेंद पकड़ के हाथ पीछे खींचने से गेंद में संवेग परिवर्तन की दर कम हो जाती हैं। इस कारण तेज गति से आ रही गेंद का प्रभाव हाथ पर कम पड़ता हैं।
संवेग ( Momentum)= P=mv
प्रारंभिक संवेग =p1 = mu
अंतिम संवेग =p2 = mv
संवेग में परिवर्तन ∝ p2 – p1
∝ mv – mu
∝ m × (v – u)
संवेग परिवर्तन की दर ∝ mv-mu/t
लगाया गया बल= mv-mu/t∝ F
F∝mv-mu/t
F=k(mv-mu/t)
F=m (v-u/t)
F=m*a
3.गति का तृतीय नियम (Third Law of Motion)-
प्रत्येक क्रिया के बराबर तथा उसके विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है।
उदाहरण: पानी में खड़े नाव पर से जब जमीन पर कूदा जाता है तो नाव पीछे की ओर हट जाती हैं।
संवेग संरक्षण (Conservation of Momentum)-
गति का तृतीय नियम (Third Law of Motion)- FAB = – FBA
गति का द्वितीय नियम (Second Law of Motion)-
FAB = mA*aA
FBA = mB*aB
mA*aA= -(mB*aB)
mA(vA-uB)/t = -mB(vB-uB)
mAuA + mBuB = mAvA + mBvB
बंदूक का प्रतिक्षेपण (Recoil of a Gun)-
0 = mAvA + mBvB