कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद


Company Quarter Master Havildar Abdul Hameed


  • जन्मतिथि: 1 जुलाई 1933
  • पिता: मोहम्मद उस्मान
  • माता: सकीना बेगम
  • जन्म स्थान: धामूपुर, जिला गाजीपुर, उत्तर प्रदेश
  • पत्नी: रसूलन बीबी
  • रैंक: कंपनी क्वार्टरमास्टर हवलदार
  • यूनिट: 4 ग्रेनेडियर्स
  • युद्ध: चीन-भारतीय युद्ध, 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध
  • भारतीय सेना सेवा काल: 1954-1965
  • निधन: 10 सितंबर 1965 (आयु 32 वर्ष)
  • पुरस्कार: परमवीर चक्र, समर सेवा पदक, रक्षा पदक, सेन्य सेवा पदक

अब्दुल हमीद का जीवन परिचय –

  • अब्दुल हमीद का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धरमपुर गांव में एक मुस्लिम दर्जी परिवार में 1 जुलाई 1933 को हुआ था।
  • अब्दुल हमीद की रूचि अपने इस पारिवारिक कार्य में बिलकुल नहीं थी।
  • अब्दुल हमीद को अन्याय को सहन करना नहीं भाता था।
  • अन्याय को सहन के कारण एक बार जब अब्दुल हमीद ने देखा की किसी ग़रीब किसान की फसल बलपूर्वक काटकर ले जाने के लिए ज़मींदार ने लगभग 50
  • गुंडे उस गरीब किसान के खेत पर भेजे तो अब्दुल हमीद ने उनको ललकारा और उन सभी गुंडों को बिना अपना मन्तव्य पूरा किये ही खली हाथ लौटना पड़ा था।
  • इसी प्रकार एक बार अब्दुल हमीद ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए बाढ़ प्रभावित गाँव की नदी में डूबती दो युवतियों के प्राण बचाकर अपने अदम्य साहस का परिचय दिया।
  • अब्दुल हमीद बचपन से ऊधमी प्रवृति थे।
  • अब्दुल हमीद का मन पढाई के अलावा कुश्ती का अभ्यास करना, लाठी चलाना,पानी से उफनती नदी को पार करना, गुलेल से निशाना लगाने में लगता था।

अब्दुल हमीद का सेना में चयन –

  • अब्दुल हमीद 21 वर्ष की आयु में जीवन यापन करने के लिए रेलवे में भर्ती होने के लिए गये थे।
  • लेकिन अब्दुल हमीद को रेलवे से ज्यादा सेना में भर्ती होकर देश सेवा करने का मन था।
  • 27 दिसंबर, 1954 को अब्दुल हमीद को 4 ग्रेनेडियर्स इन्फैन्ट्री रेजिमेंट में शामिल किया गया था।
  • जब अब्दुल हमीद की पोस्टिंग जम्मू काश्मीर थी तब पाकिस्तान की ओर से आने वाले घुसपैठियों को लगातार मौत के घाट उतार रहे थे।
  • ऐसे ही एक ने जब जम्मू काश्मीर में आतंकवादी डाकू इनायतअली घुसने का प्रयास किया तो अब्दुल हमीद ने उसे पकड़वाया तो प्रोत्साहन स्वरूप उनको प्रोन्नति देकर सेना में लांस नायक बना दिया गया था।
  • भारत-चीन युद्ध के दौरान अब्दुल हमीद की बटालियन सातवीं इंफैन्ट्री ब्रिगेड का हिस्सा थी। उस समय अब्दुल हमीद नेफा में तैनात थे।
  • भारत-चीन युद्ध के समय अब्दुल हमीद नमका-छू के युद्ध में पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) से लोहा लिया था तथा चीनी सेना के दांत खट्टे कर दिए थे हालांकि
  • उस समय अब्दुल हमीद को दुश्मनों से लोहा लेने के ज्यादा अवसर प्राप्त नहीं हुए थे।

भारत-पाकिस्तान युद्ध (1965) –

  • अभी भारत – चीन युद्ध हुए कुछ ही वक़्त बिता ही ता की पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया था।
  • 1965 में जब भारत – पकिस्तान के युद्ध के हालात बने तो अब्दुल हमीद को अपनी छुट्टी बीच में ही छोड़कर वापस ड्यूटी ज्वाइन करनी पड़ी थी।
  • युद्ध में जाने से पहले अब्दुल हमीद ने अपने भाई से कहा था “पल्टन में उनकी बहुत इज्जत होती है जिन के पास कोई चक्र होता है, देखना झुन्नन हम जंग में लड़कर कोई न कोई चक्र ज़रूर लेकर लौटेंगे।”
  • पाकिस्तान ने भारत शांति भंग करने के लिए ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ चलाया था।
  • इस ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ के तहत पकिस्तान भारत के जम्मू-कश्मीर में लगातार घुसपैठ करने की गतिविधियां शुरू कर दी थी।
  • पाकिस्तान ने लगभग 30 हजार छापामार हमलावरों को इस खास ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ के लिए तैयार भी किया था, जो भारत में आने को बिलकुल तैयार बैठे थे।
  • 8 सितम्बर-1965 की रात ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ के तहत पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया था।
  • पाकिस्तानियों को उस वक्त इस बात का घमंड था कि उसके पास अमेरिका द्वारा दिए गये “पैटन टैंक” हैं।
  • यहाँ भारतीय सेना पूरी तैयारी के साथ पाकिस्तान का मुकाबला करने के लिए तैयार बैठी थी।
  • 10 सितम्बर 1965 को जब पाकिस्तान की सेना अपने नापाक इरादों के साथ अमृतसर को घेर कर उसको अपने नियंत्रण में लेने को तैयार थी।
  • तभी अब्दुल हमीद ने पाकिस्तानी सेना को अमेरिका द्वारा लिए गये पैटन टैंकों के साथ आगे बढ़ते देखा।
  • अब्दुल हमीद इस वक्त पंजाब के तरनतारन जिले के खेमकरण सेक्टर में सेना की अग्रिम पंक्ति में तैनात थे।
  • पाकिस्तान ने अपने पैटन टैंकों” की मदद से “खेमकरण” सेक्टर के “असल उताड़” गाँव पर हमला कर दिया था।
  • इस युद्ध के दौरान परिस्तिथि भारत के पक्ष में नहीं थी क्योंकि भारतीय सैनिकों के पास मात्र “थ्री नॉट थ्री रायफल” और एल.एम्.जी. थी।
  • जिनकी सहायता से पाकिस्तान की “पैटन टैंकों”का मुकाबला करना था।
  • अब्दुल हमीद ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए अपनी “गन माउनटेड जीप” को टीले के समीप खड़ा किया और गोले बरसाते हुए शत्रु के तीन टैंक ध्वस्त कर डाले।
  • तीन टैंक ध्वस्त किये तो पाकिस्तानी सैनिक की नजर उन पर पड़ गई थी।
  • अब पाकिस्तानी सैनिकों ने अब्दुल हमीद को घेर कर गोलों की वर्षा प्रारम्भ कर दी।
  • अब तक अब्दुल हमीद ने ने 8वां पाकिस्तानी टैंक को भी नष्ट कर दिया।
  • तभी पाकिस्तानियों की तरह से हो रही जवाबी कारवाही में एक गोला लगने से उनकी जीप के भी परखच्चे उड़ गए थे।
  • जिसमे अब्दुल हमीद गंभीर रूप से घायल हो गये थे।
  • इस तरह 10 सितम्बर 1965 को 32 वर्ष की आयु में वीर अब्दुल हमीद अपना सर्वोच्च बलिदान देते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।

वीर अब्दुल हमीद का सम्मान व पुरस्कार –

  • 28 जनवरी, 2000 को भारतीय डाक विभाग द्वारा भारत के वीरता पुरस्कार विजेताओं के सम्मान में पांच डाक टिकटों के सेट में 3 रुपये का एक सचित्र डाक टिकट जारी किया गया था।
  • भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी इस डाक टिकट पर रिकाईललेस राइफल से गोली चलाते हुए जीप पर सवार वीर अब्दुल हामिद का रेखा चित्र उदाहरण की तरह बना हुआ है।
  • 4 ग्रेनेडियर्स इन्फैन्ट्री रेजिमेंट ने अब्दुल हमीद की स्मृति में उनकी क़ब्र पर एक समाधि का निर्माण किया है।
  • हर वर्ष वीर अब्दुल हमीद के वीरगति को प्राप्त हुए दिन को यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है।
  • उत्तर निवासी वीर अब्दुल हमीद के नाम से गांव में एक डिस्पेंसरी, पुस्तकालय और स्कूल चलाते हैं।
  • भारतीय सैन्य डाक सेवा ने 10 सितंबर, 1979 को उनके सम्मान में एक विशेष आवरण जारी किया है।
error: Content is protected !!