उत्तराखंड का चम्पावत जनपद
Champawat district of Uttarakhand
चम्पावत जनपद का इतिहास व भौगोलिक परिचय –
- चम्पावत का मूल नाम चम्पावती था।
- चम्पावत की स्थापना चंद वंश के संस्थापक सोम चंद ने की थी।
- सोमचंद इलाहाबाद के झूसी नामक स्थान से यहाँ आया व कत्यूरी शासक ब्रह्मदेव की पुत्री चम्पा से विवाह किया व उसके नाम पर अपनी राजधानी का नाम चंपावती रखा था।
- सोमचंद ने चंपावत में राजबुंगा किला का निर्माण कराया था।
- 1872 में चंपावत को तहसील का दर्जा दिया गया था।
- चंपावत जिले की स्थापना 15 सितम्बर 1997 में हुई थी।
- चंपावत चम्पावती नदी व गड़कीगाड़ के संगम पर बसा हुआ है।
जनसंख्या – 2,59,648
जनघनत्व – 147
लिंगानुपात – 980
साक्षरता-79.83%
पुरुष साक्षरता – 91.6%
महिला साक्षरता -68.05%
चम्पावत जनपद की भौगोलिक स्थित –
- पूर्व – नेपाल
- पश्चिम – नैनीताल
- उत्तर – पिथौरागढ़
- दक्षिण – उधम सिंह नगर
चम्पावत जनपद का क्षेत्रफल 1766 वर्ग km है।
चम्पावत राज्य के 4 जनपदों से सीमा बनाता है।
चम्पावत जनपद के राष्ट्रीय राजमार्ग –
- NH 09 – रामपुर(up)-रुद्रपुर- खटीमा-टनकपुर – चम्पावत – पिथोरागढ़
चम्पावत जनपद का नदी तंत्र –
लधिया नदी –
- उद्गम – अल्मोड़ा नैनीताल चम्पावत के मिलन बिंदु गजार नामक स्थान से इसका उद्गम होता है।
- लधिया नदी रीठा साहिब(चम्पावत) में रतिया नदी से मिलकर आगे बढ़ती है व चुका(चम्पावत) में काली नदी में मिल जाती है।
लोहावती नदी –
- यह काली नदी की सहायक नदी है।
- यह नदी तीन धाराओ से मिलकर बनती है इसी नदी के तट पर लोहाघाट स्थित है।
सरयु नदी-
- सरयु नदी का उद्गम बागेश्वर के सरमूल से होता है व रामेश्वर तीर्थ में रामगंगा से मिलती है।
- चम्पावत-पिथौरागढ़ की सीमा बनाते हुए पंचेश्वर के निकट काली नदी से मिल जाती है।
काली नदी –
- काली नदी पिथौरागढ़ से होते हुए चम्पावत प्रवेश करती है व बनबसा बैराज(चम्पावत) से दो धाराओं में बंट जाती है।
1.शारदा नहर – उधम सिंह नगर होते हुए उत्तर प्रदेश की और निकल जाती है।
2.महाकाली नदी- नेपाल की और निकल जाती है।
चम्पावत जनपद में स्थित ताल/झील-
1.श्यामताल-
- इस ताल के किनारे स्वामी विवेकानंद आश्रम स्थित है।
- श्यामताल का झूला मेला प्रसिद्ध है।
2.झिलमिल ताल-
- यह ताल टनकपुर से 5km दूर स्थित है।
चम्पावत जनपद में प्रमुख जल विद्युत परियोजना –
- पंचेश्वर बांध परियोजना – काली नदी
- टनकपुर बांध परियोजना – शारदा(काली नदी)
- बनबसा बैराज – शारदा(काली नदी)
चम्पावत जनपद के प्रमुख स्थल –
1.टनकपुर –
- टनकपुर का प्राचीन नाम ग्रास्टिगंज था।
- टनकपुर में प्रसिद्ध बरमदेव मंडी थी जिसका निर्माण कत्युरी शासकों ने कराया था। जो 1880 में शारदा नदी(काली नदी) में बाढ़ आने से बह गयी थी।
- 1890 में अंग्रेज सैलानी लार्ड टलक एवं मंजर हसी इस स्थान पर आये व यहाँ निवास के लिये बंगले बनवाये थे।
- इस स्थान का नाम लार्ड टलक के नाम पर पहले टलकपुर व बाद में टनकपुर पड़ा था।
2.लोहाघाट –
- लोहाघाट को पुराणों में लोहार्गल कहा गया है।
- लोहाघाट चम्पावत में लोहावती नदी के तट पर स्थित है।
- लोहाघाट में मानेश्ववर मंदिर स्थित है जिसका निर्माण राजा निर्भय चंद ने कराया था।
- लोहाघाट में महाभारतकालीन बाणासुर का किला व माँ वाराही देवी मंदिर स्थित है।
3.बनबसा –
- यह चम्पावत व नेपाल की सीमा पर स्थित है।
- बनबसा में शारदा नदी(काली नदी) पर बनबसा बैराज स्थित है।
- इस बैराज से शारदा नहर उधम सिंह नगर कीओर व महाकाली नदी नेपाल की ओर निकल जाती जाती है।
4.राजबुंगा किला –
- राजबुंगा किला का निर्माण चम्पावत में राजा सोमचंद ने कराया था।
- राजबुंगा किले के प्रवेश द्वार खंड में सिंह का अंकन है इसलिए इसे सिंह द्वार भी कहा जाता है।
- किले का प्रवेश द्वार दक्षिण में तथा निकासी द्वार उत्तर में है।
चंपावत जनपद के प्रमुख मंदिर –
1.पूर्णागिरि देवी मंदिर –
- यह मंदिर टनकपुर से 20 km दूर अनपूर्णा पहाड़ी की चोटी पर स्थित है।
- यहाँ माता सती की शरीर की नाभि अंग गिरी थी।
- चैत्र नवरात्र को यहाँ मेला लगता है।
2.बाराही देवी मंदिर –
- बाराही देवी मंदिर में हर साल रक्षाबंधन के दिन पाषाण युद्ध(पत्थरों का युद्ध) खेला जाता है।
3.बालेश्वर धाम मंदिर –
- यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
- बालेश्वर धाम मंदिरों का समूह है इसका निर्माण चंद शासकों ने 10वीं-12वीं सदी में कराया था।
- इस मंदिर का निर्माण जगन्नाथ मिस्त्री(वास्तुकार) ने किया ऐसा माना जाता है कि मंदिर निर्माण पूर्ण होने के बाद चंद शासकों ने जगन्नाथ मिस्त्री का एक हाथ काट दिया था।
- बालेश्वर मंदिर को 1952 में राष्ट्रीय धरोहर स्मारक घोषित किया गया।
एक हथिया नोला –
- इसका निर्माण चंपावत में जगन्नाथ मिस्त्री ने एक हाथ से अपनी बेटी की सहायता से किया था।
- इसे बावली के नाम से भी जाना जाता है।
4.घटोत्कच(घटकु)मंदिर –
- चम्पावत में स्थित यह मंदिर महाभारतकालीन भीम पुत्र घटोत्कच का है।
- माना जाता है कि इस स्थान पर घटोत्कच का सिर गिरा था।
5.खेतीखान सूर्य मंदिर –
- इस मंदिर में दीप महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
6.पंचेश्वर महादेव मंदिर –
- पंचेश्वर महादेव मंदिर लोहाघाट से 40km दूर काली एवं सरयू नदी के संगम पर स्थित है।
- यह स्थल चम्पावत-पिथौरागढ़-नेपाल सीमा पर स्थित है।
- यहाँ पर शिव भगवान की आराधना चामू(चैमु या चोमुँह) रूप में की जाती है।
- चोमुँह को पशु रक्षक के रूप में पूजा जाता है।
7.रीठा साहिब गुरुद्वारा –
- चम्पावत से 72km दूर यह ड्यूरी गांव में स्थित है।
- इस गुरुद्वारे का निर्माण 1960 में किया गया।
- माना जाता है कि इस स्थल की यात्रा गुरु नानक जी ने की थी।
- यहाँ पर एक खास तरह के मीठे रीठे का पेड़ है।
- यह रतिया व लधिया नदी के तट पर स्थित है।
8.अद्वैत आश्रम(मायावती आश्रम) –
- यह आश्रम लोहाघाट से 8km दूर स्थित है।
- अद्वैत आश्रम रामकृष्ण मठ की एक शाखा है जो कि चम्पावत जिले में स्थित है।
- स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा से उनके शिष्य स्वामी स्वरूपानंद व अंग्रेज शिष्य जे०एच०सोवियर एव उनकी पत्नी सी०ई० सोवियर ने इस आश्रम को 19 मार्च 1899 में स्थापित किया।
- 3 जनवरी 1901 को स्वामी विवेकानंद यहाँ पर आये व 15 दिन तक यहाँ रुके थे।
9.क्रान्तेश्वर महादेव मंदिर –
- यह मंदिर चम्पावत में कूर्म पर्वत शिखर पर स्थित है।
- यहाँ पर भगवान विष्णु ने कूर्मावतार लिया था।
- स्कंद पुराण के मानसखंड में कूर्म नाम के पर्वत का विवरण है।
10.मानेश्वर मन्दिर
11.हिंगला देवी मंदिर
चम्पावत जनपद के प्रमुख मेले –
1.पूर्णागिरि मेला-
- पूर्णागिरि मेला उत्तराखंड राज्य के चम्पावत के टनकपुर के पास पूर्णगिरि मन्दिर में लगता है।
- पूर्णगिरि मन्दिर अन्नपूर्णा शिखर पर स्थित है।
- श्री पूर्णगिरि मन्दिर की गणना माता सती के शक्तिपीठों में की जाती है।
- यह मेला चैत्र की नवरात्रि में लगता है।
2.बग्वाल मेला(आषाढ़ी मेला/ देवीधुरा मेला) –
- यह मेला चम्पावत जनपद के मां वाराहीदेवी मन्दिर(देवीधुरा) में प्रतिवर्ष श्रावण मास में आयोजित किया जाता है।
- इस मेले में रक्षाबंधन के दिन बग्वाल (पाषाण युद्ध) खेली जाती है।
- इस बग्वाल में दो गुटों के लोग एक दूसरे पर पत्थर फेंकते हैं।
3.लड़ी धुरा मेला –
- यह मेला चम्पावत जनपद के बाराकोट में कार्तिक पूर्णिमा में आयोजित होता है।
4.मानेश्वर मेला –
- यह मेला चम्पावत के मायावती आश्रम के पास आयोजित होता है।
- मायावती आश्रम रामकृष्ण मठ की एक शाखा है।
- मायावती आश्रम(अद्वैत आश्रम) की स्थापना स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा से 19 मार्च 1899 में जे एच सोवियर द्वारा किया गया।
5.गोरा अट्ठावली त्योहार –
- चम्पावत में राजी जनजाति का त्योहार है।
6.कड़ाई देवी मेला
7.झूला मेला
चम्पावत जनपद का प्रशासनिक ढांचा –
विधानसभा सीट –
- चम्पावत
- लोहाघाट
विकासखंड –
- चम्पावत
- लोहाघाट
- बाराकोट
- पाटी
तहसील –
- चम्पावत
- पूर्णागिरि
- लोहाघाट
- बाराकोट
- पाटी