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उत्तराखंड का चमोली जनपद (Chamoli district of Uttarakhand)

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उत्तराखंड का चमोली जनपद


Chamoli district of Uttarakhand


चमोली जनपद का इतिहास – 

  • ऋग्वेद के अनुसार जलप्रलय के बाद चमोली के माणा(प्राणा) गांव में सप्तऋषियों ने अपने प्राणों की रक्षा की व यहीं से पुनः सृष्टि का आरम्भ हुआ।
  • चमोली के माणा गांव में व्यासगुफा स्थित है मान्यता है कि इसी व्यास गुफा में वेदव्यास ने महाभारत कथा की रचना की थी।
  • चमोली का प्राचीन नाम लाल सांगा था।
  • चमोली में जोशीमठ नामक स्थान कत्यूरी राजाओं की प्रारम्भिक राजधानी थी।
  • पंवार वंश के संस्थापक कनकपाल ने चमोली के चाँदपुरगढ़ के शासक भानुप्रताप की पुत्री से विवाह कर चाँदपुरगढ़ में परमार वंश की नींव रखी थी।
चमोली जनपद की स्थापना  24 फरवरी 1960
चमोली जनपद का मुख्यालय – गोपेश्वर
चमोली जनपद की जनसंख्या- 3,91,605
चमोली जनपद का जनघनत्व- 49
चमोली जनपद का लिंगानुपात – 1019
चमोली जनपद की साक्षरता दर – 82.65%
चमोली जनपद की पुरुष साक्षरता – 93.40%
चमोली जनपद की महिला साक्षरता – 72.32%
चमोली जनपद की दशकीय वृद्धि – 5.74%

चमोली जनपद के पड़ोसी जिले/राज्य/देश- 

चमोली जनपद के पड़ोसी जिले- 
चमोला जनपद कुल 6 जनपदों के साथ सीमा बनाता है।
  • पूर्व – पिथौरागढ़, बागेश्वर
  • पश्चिम – उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग
  • दक्षिण- अल्मोड़ा, पोड़ी

चमोली जनपद के पड़ोसी देश – 

  • उत्तर – चीन

चमोली जनपद का क्षेत्रफल

  • चमोली जनपद का कुल क्षेत्रफल 8030 वर्ग km है।

National Highway (राष्ट्रीय राजमार्ग)-

  • NH 7 – दिल्ली-रुद्रप्रयाग-कर्णप्रयाग-बद्रीनाथ-माणा
  • NH 109 – कर्णप्रयाग-आदिबद्री-गैरसैण-रानीखेत(अल्मोड़ा)

चमोली जनपद के प्रमुख दर्रे – 

चमोली-तिब्बत(चीन) के बीच स्थित दर्रे- 
  1. बालचा
  2. म्युडार दर्रा
  3. नीति दर्रा
  4. शलशला दर्रा
  5. तन्जुन दर्रा
  6. लमलंग दर्रा
  7. चोरहोती दर्रा
चमोली-पिथौरागढ़ के बीच स्थित दर्रे-
  1. लातु धुरा
  2. बाराहोती दर्रा
  3. मार्च योक
  4. टोपी धुरा
चमोली- उत्तरकाशी के बीच स्थित दर्रे-
  1. कालिंदी दर्रा
चमोली-बागेश्वर के बीच स्थित दर्रे-
  1. सुन्दरढूंगा

चमोली जनपद में स्थित बुग्याल- 

1.ओली बुग्याल
2.गुरसो बुग्याल
3.वेदनी बुग्याल- यह बुग्याल रूपकुंड मार्ग पर स्थित है।
4.अली बुग्याल- अली बुग्याल वेदनी बुग्याल के पास में स्थित है।
5.संतोपथ बुग्याल – यह बुग्याल  माणा गांव के ऊपर स्थित है।
6.घसतोली बुग्याल- यह बुग्याल  माणा गांव के ऊपर स्थित है।
7.रताकोण बुग्याल- यह बुग्याल  माणा गांव के ऊपर स्थित है।
8.लक्ष्मीवन –    यह बुग्याल  माणा गांव के ऊपर स्थित है।
9.फूलों की घाटी
10.नंदकानन
11.पुंग बुग्याल- यह बुग्याल गोपेश्वर-रुद्रनाथ मार्ग में स्थित है।
12.ल्वीटी बुग्याल – यह बुग्याल गोपेश्वर-रुद्रनाथ मार्ग में स्थित है।
13.पनार बुग्याल – यह बुग्याल गोपेश्वर-रुद्रनाथ मार्ग में स्थित है।
14.बगजी बुग्याल
15.कैला बुग्याल – यह बुग्याल बद्रीनाथ के चारों और फैला हुआ है।

चमोली जनपद के प्रमुख पर्वत श्रेणी-

  1. नंदादेवी पश्चिमी – यह उत्तराखंड की सबसे ऊंची (7817 मीटर) चोटी है
  2. कामेट- यह उत्तराखंड की दूसरी सबसे ऊंची (7756 मीटर) चोटी है।
  3. नंदादेवी पूर्वी- 7434
  4. माणा – 7272 मीटर

चमोली जनपद का नदी तंत्र – 

अलकनन्दा नदी तंत्र– अलकनंदा नदी को पौराणिक ग्रंथों में देवनदी भी कहा जाता है। अलकनंदा का उदगम चमोलो जिले के उत्तरी भाग में स्थित संतोपथ हिमनद और संतोपथ ताल(क्षीर सागर) से होता है।
अलकनन्दा नदी की लंबाई अपने स्रोत से देवप्रयाग तक 195Km है।

अलकनंदा की प्रमुख सहायक नदियां-

1.सरस्वती नदी-
उद्गम स्थल – देवताल झील से
अलकनंदा सेसंगम – केशव प्रयाग में
सरस्वती नदी पर दो बड़े पत्थरों से बना हुआ भीम पुल है माना जाता है कि भीम ने स्वर्ग जाते समय इस पुल को दो विशाल शिलाओं द्वारा बनाया गया।

2.ऋषिगंगा-
उद्गम स्थल- नीलकंठ पर्वत
अलकनंदा से संगम- बद्रिनाथ
संतोपथ हिमनद से बद्रिनाथ धाम तक अलकनन्दा की लंबाई-20-22 Km

3.लक्ष्मण गंगा/हेमगंगा-
उद्गम स्थल:- हेमकुंड ग्लेशियर के निकट सेे
अलकनंदा से संगम:- गोविंद घाट
लक्ष्मण गंगा की प्रमुख सहायक नदी पुष्पावती है जो कि घांघरिया नामक स्थान पर लक्ष्मण गंगा से मिलती है।

4.पश्चिमी धौलीगंगा:-
उद्गम स्थल:- धोलोगिरी श्रेणी(नीति दर्रा)
अलकनंदा से संगम:- विष्णुप्रयाग
पश्चिमी धौलीगंगा की प्रमुख सहायक नदियां:- ऋषिगंगा, गणेश गंगा, गिरथी गंगा

ऋषिगंगा रैणी गांव में पश्चिमी धौलीगंगा से मिल जाती है
पंच प्रयागों मे विष्णुप्रयाग एकमात्र ऐसा प्रयाग है जो बिना आबादी वाले क्षेत्र में स्थित है।

5.विरही गंगा,पाताल गंगा व गरुड़ गंगा:– ये तीनों नदियां जोशीमठ में अलकनंदा में मिल जाती है।

6.बालखिल्य नदी-
उद्गम स्थल- तुंगनाथ, रुद्रनाथ श्रेणी से
संगम- अलकापुरी में अलकनन्दा से
बालखिल्य नदी की प्रमुख सहायक नदी- अमृत गंगा

7.नन्दाकिनी
उद्गम – नंदा घुँघटि हिमनद से
संगम:- नंदप्रयाग में अलकनंदा से
नन्दाकिनी की प्रमुख सहायक नदी- चुपलागाड
, गोरी नदी, मोलागाड़

8.पिंडर नदी:-
उद्गम स्थल- पिण्डारी ग्लेशियर(बागेश्वर)
संगम- कर्णप्रयाग में अलकनंदा से
पिण्डर नदी की प्रमुख सहायक नदियां:- अटागाड़,प्राणमती, ज्ञानगंगा,
पिण्डर नदी को कर्णगंगा के नाम से भी जाना जाता है।

चमोली में स्थित प्रमुख जल विद्युत परियोजनाएँ – 

  1. राजवक्ती जल विद्युत परियोजना – नंदाकिनी नदी
  2. विष्णुगाड़ पीपलकोटी परियोजना – अलकनंदा
  3. देवसारी बांध परियोजना – पिंडर नदी
  4. मेलखेत बांध परियोजना – पिंडर नदी
  5. मलेरी झेलम – तमक परियोजना – पश्चिमी धौलीगंगा
  6. उर्गम परियोजना – कल्पगंगा
  7. गोहना ताल परियोजना – विरही गंगा
  8. बनाला परियोजना – नंदाकिनी नदी
  9. बावला नन्द प्रयाग जल विद्युत परियोजना – अलकनंदा
  10. नंद प्रयाग लंगाशु जल विद्युत परियोजना – अलकनंदा
  11. ऋषिगंगा परियोजना – ऋषिगंगा

चमोली जनपद के प्रमुख झील व ताल – 

1.रूपकुंड-

  • यह ताल चमोली जनपद के थराली विकासखंड में स्थित है।
  • रूपकुंड ताल को कंकाली ताल या रहस्यमयी ताल भी कहा जाता है।
  • रूपकुंड ताल से आज के समय कंकाल प्राप्त होते हैं।
  • इस ताल के निकट त्रिशूल व नंदाघुँघटि पहाड़ी स्थित है।

2.होमकुंड-

  • यह ताल चमोली में रुपकुंड से 17km आगे है।
  • नंदा का डोला इसी ताल के निकट स्थित चबूतरे पर रखा जाता है व इसी स्थान से नंदा राजजात यात्रा में चार सिंह वाला खाडू अकेला आगे जाता है।

3.हेमकुंड(लोकपाल)-

  • चमोली में स्थित इस ताल के किनारे सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह ने तपस्या की थी।
  • इस ताल के निकट एक गुरुद्वारा(हेमकुंड साहिब) स्थित है।
  • इसी ताल के किनारे लक्ष्मण जी का प्राचीन मंदिर स्थित है।
  • इसी ताल से लक्ष्मण गंगा(अलकनंदा की सहायक नदी) का उद्गम होता है।
  • यह ताल 7 पर्वतों से घिरा है।

4.संतोपथ ताल-

  • यह चमोली में बद्रीनाथ से 21km दूर स्थित है।
  • इसी ताल से अलकनंदा नदी का उद्गम होता है।
  • इस ताल के तीन कोण हैं माना जाता है कि इन तीन कोणों पर ब्रह्मा विष्णु महेश ने तपस्या की थी।
  • इस ताल के निकट सूर्यकुंड व चंद्रकुण्ड नामक दो कुंड हैं।

चमोली जनपद के अन्य महत्वपूर्ण ताल – 

  1. होमकुण्ड
  2. संतोपथ ताल
  3. विरही ताल
  4. विष्णुताल
  5. लोकपाल(हेमकुंड)
  6. सिद्धताल
  7. लिंगताल
  8. मणिताल
  9. झलताल
  10. आछरिताल
  11. सूखाताल
  12. गोहनाताल
  13. मातृकाताल
  14. काकभुशांडिताल
  15. बेनिताल
  16. नरसिंह ताल
  17. गुडयार ताल

चमोली में स्थित प्रमुख ठंडे व गर्म कुंड – 

ठंडे कुंड
  1. बैराश कुंड
  2. वेदिनी कुंड
  3. बैतरणी कुंड(रति कुंड)
  4. ऋषिकुंड
  5. होमकुंड
  6. हेमकुंड(लोकपाल)
  7. सप्तकुण्ड
  8. नंदी कुंड
  9. गौरी कुंड
  10. रूप कुंड
  11. सूर्यकुंड
  12. चंद्रकुण्ड
  13. उवर्शी कुंड
  14. त्रिकोण कुंड
  15. मानुषी कुंड
  16. सत्यपथ कुंड
गर्म कुंड-
  1. तप्त कुंड
  2. भापकुंड
  3. नारदकुंड

चमोली जनपद के प्रमुख पर्यटक स्थल – 

1.गोपेश्वर –

  • गोपेश्वर 1970 में चमोली जिले का मुख्यालय बनाया गया।
  • गोपेश्वर में प्रसिद्ध गोपीनाथ मंदिर है।
  • मान्यताओं के अनुसार गोपेश्वर का नाम श्री कृष्ण के नाम पर पड़ा।
  • गोपेश्वर में वैतरणी कुंड(रति कुंड) स्थित है।
2.जोशीमठ- 
  • जोशीमठ कत्युरी राजाओं की प्राचीन राजधानी है।
  • जोशीमठ में आदिगुरु शंकराचार्य ने श्रीमठ की स्थापना की लेकिन यहाँ पर उन्हें आत्मज्योति की प्राप्ति हुई इसलिये इस मठ का नाम ज्योतिर्मठ पड़ा।
  • यहीं पर आदि गुरु शंकराचार्य ने पूर्णगिरी देवी पीठ व नरसिंह मन्दिर की स्थापना की।
3.गैरसैण
  • गैर सैण गढ़वाल एवं कुमाऊँ का केंद्र बिंदु है।
  • वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने सर्वप्रथम गैरसैंण को उत्तराखंड की राजधानी का प्रस्ताव रखा।
  • जुलाई 1992 में उत्तराखंड क्रांति दल ने गैरसैंण को उत्तराखंड की राजधानी घोषित किया।
  • 4 मार्च 2020 को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया।
  • मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने स्वंतत्रता दिवस पर 15 अगस्त 2020 को गैरसैंण में तिरंगा फहराया।
4.ग्वालदम- 
  • ग्वालदम चाय व सेब की खेती के लिए प्रसिद्ध है।
  • 1970 में ग्वालदम में SSB प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की गयी।
5.माणा गांव-
  • माणा गांव भारत का अंतिम समीवर्ती गांव है जो बद्रीनाथ से 3-4 KM दूर स्थित है।
  • माणा गांव में केशव प्रयाग में सरस्वती एवं अलकनंदा नदी का संगम होता है।
  • माणा गांव में सरस्वती नदी दो विशाल शिलाओं से निर्मित भीम पुल भी है।
  • माणा गाँव मे ब्यास गुफा व मुचकुंद गुफा स्थित है।
6.कर्णप्रयाग-
  • कर्णप्रयाग उत्तराखंड के पंच प्रयागों में से एक है।
  • यहाँ पर अलकनंदा एवं पिंडर नदी का संगम होता है।
  • कर्णप्रयाग कर्ण की तपस्थली है व यहाँ पर कर्ण मंदिर स्थित है।कर्णप्रयाग में उमा देवी मंदिर एक प्राचीन मंदिर है।

चमोली जनपद के प्रमुख मंदिर –

पंच बद्री
1.बद्रीनाथ(विशाल बद्री)-
  • बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड के चार धामों में से एक है।
  • बद्रीनाथ मंदिर अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है।
  • पुराणों में बद्रीनाथ को योगसिद्धा, मुक्ति प्रदा, बद्रिकाश्रम, व विशाल बद्री कहा गया है।
  • बद्रीनाथ मंदिर नर एवं नारायण पर्वतों के मध्य में स्थित है।
  • आदि गुरु शंकराचार्य ने नारद कुंड से बद्रीनाथ मंदिर की मुख्य प्रतिमा को निकालकर यहाँ पर स्थापित कर मंदिर की स्थापना की थी।
  • बद्रीनाथ मंदिर का पुनः निर्माण पंवार वंश के राजा अजयपाल ने कराया।
  • बद्रीनाथ मंदिर को पूर्ण भव्य मंदिर बनाने का श्रेय कत्युरी शासकों को जाता है।
  • बद्रीनाथ मंदिर के तीन भाग हैं- गर्भगृह, मंडप, सिंहद्वार।
  • गर्भगृह में भगवान विष्णु की शालिग्राम से निर्मित मूर्ति है।
  • बद्रीनाथ मंदिर के पुजारियों को रावल कहा जाता है।
  • बद्रीनाथ मंदिर शंकुधारी शैली से निर्मित है।
  • शीतकाल में बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने पर बद्रीनाथ की पूजा जोशीमठ स्थित नृसिंग मंदिर की जाती है।
बद्रीनाथ मंदिर के निकट प्रमुख स्थल-
पंच शिलाएँ – गरुड़ शिला, नारद शिला, नृसिंह शिला, मार्कण्डेय शिला, ब्रह्मकपाल शिला
पंच कुंड– नारद कुंड, तप्त कुंड, मानुषी कुंड, त्रिकोण कुंड, सत्यपथ कुंड
पंच धाराएँ– उर्वशी धारा, इंदु धारा, भृगु धारा, कुर्म धारा, प्रहलाद धारा
प्रमुख गुफाएँ– स्कन्द गुफा, गरुड़ व राम गुफा
2.आदि बद्री- 
  • यह मंदिर कर्णप्रयाग के निकट स्थित है।
  • यहाँ पर 16 छोटे मंदिरों का समूह था।
3.भविष्य बद्री- 
  • यह मंदिर जोशीमठ से 17-18 KM दूर तपोवन के आगे सुभई गांव में स्थित है।
  • यहाँ भगवान विष्णु की आधी आकृति की मूर्ति नजर आती है।
4.वृद्ध बद्री-
  • यह मंदिर जोशीमठ से 7 KM दूर अनीमठ नामक स्थान पर स्थित है।
  • मान्यता है कि भगवान विष्णु ने नारद मुनि को यहाँ पर वृद्ध रूप में दर्शन दिए।
5.योगध्यान बद्री-
  • यह मंदिर जोशीमठ से 24KM दूर पांडुकेश्वर में स्थित है।
  • यहाँ पर पांडवों के पिता महाराज पांडु ने तपस्या की थी।
 
पंच केदारों में से दो केदार चमोली जनपद में है – 
1.रुद्रनाथ-
  • चमोली में स्थित यह मंदिर पंच केदारों में से चौथा केदार है।
  • रुद्रनाथ मंदिर में भगवान शिव के रौद्र मुख की पूजा होती है।
  • शीतकाल में रुद्रनाथ मंदिर का पूजा स्थल गोपेश्वर का गोपीनाथ मंदिर है।
2.कल्पेश्वर –
  • चमोली की उर्गम घाटी में स्थित यह मंदिर पंच केदारों में से अंतिम केदार है।
  • इस मंदिर में भगवान शिव की जटाओं की पूजा होती है।
  • इस मंदिर के कपाट वर्षभर खुले रहते हैं।

चमोली जनपद के कुछ अन्य महत्वपूर्ण मंदिर –

1.अनुसूया देवी मंदिर- 
  • यह मंदिर गोपेश्वर से 13 KM दूर मंडल से कुछ दूरी पर स्थित है।
  • अनुसूया देवी मंदिर के निकट अत्रि मुनि का आश्रम भी है।
  • इस मंदिर में प्रतिवर्ष दत्तात्रेय जयंती सामारोह मनाया जाता है।
2.गोपीनाथ मंदिर- गोपेश्वर
3.पूर्णागिरि देवी मंदिर – जोशीमठ
4.नृसिंग मंदिर – जोशीमठ
5.कर्ण मंदिर – कर्णप्रयाग
6.उमा देवी मंदिर – कर्णप्रयाग
7.लव कुश मंदिर
8.कुलसारी का सूर्य मंदिर-
9.लाटू देवता मंदिर- 
  • यह मंदिर चमोली के देवाल ब्लॉक के वाण नामक स्थान पर स्थित है।
  • लाटू देवता की पूजा पुजारियों द्वारा आँखों में पट्टी बांधकर की जाती है।

चमोली के प्रसिद्ध मेले – 

1).गोचर मेला –

  • यह मेला चमोली जनपद के गोचर में लगता है।
  • यह उत्तराखंड का प्रसिद्ध ऐतिहासिक ब्यवसायिक मेला है।
  • इस मेले की शुरुआत 1943 में तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर बर्नेडी ने की।
  • इस मेले का आयोजन 14-20 नवम्बर  को होता है।

2).हरियाली पूड़ा मेला-

  • यह मेला चमोली जनपद के नोटी गांव में चैत्रमास के पहले दिन लगता है
  • यह मेला मुख्य रूप से ध्याणियों(विवाहित कन्याओं) का उत्सव होता है क्योंकि इस गांव के लोग नंदादेवी को ध्याणी मानते हैं।

3).तिमुण्डा मेला-

  • यह मेला प्रतिवर्ष चमोली जनपद के जोशीमठ में नर्सिंग मन्दिर में बद्री नाथ के कपाट खुलने से पूर्व आयोजित किया जाता है।
  • प्रसिद्धि- तिमुण्डा वीर का पश्वा बकरी का कच्चा मांस, कच्चा चावल, गुड़ व तीन घड़े पानी पी जाता है।

4).नोठा कौथिग-

  • यह कौथिग चमोली जनपद के नोठा में आदिबद्री मन्दिर में बैशाख व ज्येष्ठ में लगता है।
5.अठवाड़ का मेला
6.कुलसारी मेला– थराली ब्लॉक के कुलसारी में आयोजित
7.उमा कर्ण महोत्सव- चमोली के कर्णप्रयाग
 
9.रम्माण महोत्सव- 
  • रम्माण महोत्सव चमोली जिले के सलूड़ गाँव में प्रतिवर्ष अप्रैल माह में 11-13 दिन तक आयोजित किया जाता है
  • रम्माण महोत्सव में मुखोटा नृत्य किया जाता है
  • रम्माण उत्सव में रामायण पाठ किया जाता है
रम्माण महोत्सव में किए जाने वाले प्रमुख नृत्य-
1.माल-मल्ल
2.म्योर-मुरैण
3.कुरु जोगी
4.बण्या-बण्याण
रम्माण महोत्सव से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य- 
  • वर्ष 2008 में इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने दिल्ली में रम्माण उत्सव का आयोजन किया।
  • 2 अक्टूबर 2009 को यूनेस्को ने रम्माण को विश्व धरोहर घोषित किया।
  • 2016 में गणतंत्र दिवस के मौके पर उत्तराखंड राज्य की ओर से रम्माण की झांकी प्रदर्शित की गयी।

चमोली जनपद की प्रमुख यात्राएं-

1.नंदादेवी राजजात यात्रा- 
  • नंदा देवी यात्रा प्रत्येक 12 वर्षों में आयोजित की जाती है।
  • नंदा देवी राजजात यात्रा चमोली के कासुवा गाँव के पास स्थित नोटी से शुरू होती है व होमकुंड तक पहुँचती है।
  • यह यात्रा 280 KM की है जो 19-20 दिन में पूरी की जाती है।
  • नंदा देवी राजजात यात्रा में चार सींग वाला खाडू(चौसिंग्या खाडू) यात्रा में शामिल किया जाता है।
  • नंदा देवी राजजात यात्रा नोटी से प्रारम्भ होती है व अंतिम पड़ाव होमकुण्ड में समाप्त होती है यहाँ से चौसिंग्या खाडू अकेले हिमालय की और निकल जाता है व अन्य लोग दूसरे रास्ते से वापस आ जाते हैं।
  • होमकुंड त्रिशूल पर्वत की तलहटी में बसा हुआ है।
  • नंदादेवी राजजात यात्रा का नेतृत्व कासुआँ गाँव के राजकुँवर करते हैं जो कि अपने को गढ़वाल नरेश अजयपाल के छोटे भाई का वंशज मानते हैं।

चमोली जनपद का प्रशासनिक ढांचा – 

विधानसभा सीटें-
  1. बद्रीनाथ
  2. कर्णप्रयाग
  3. थराली – SC आरक्षित सीट

चमोली जनपद की तहसील-

 चमोली जनपद में कुल 12 तहसील हैं-
  1. चमोली
  2. जोशीमठ
  3. पोखरी
  4. कर्णप्रयाग
  5. गैरसैण
  6. थराली
  7. देवाल
  8. नारायणबगड़
  9. आदिबद्री
  10. जिलासू
  11. नंदप्रयाग
  12. घाट

चमोली जनपद विकासखण्ड- 

  1. कर्णप्रयाग
  2. जोशीमठ
  3. गैरसैंण
  4. थराली
  5. नारायणबगड़
  6. पोखरी
  7. देवाल
  8. घाट
  9. दशोली
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