उत्तराखंड का बागेश्वर जनपद
Bageshwar district of Uttarakhand
बागेश्वर जनपद का इतिहास व भोगोलिक परिचय –
- बागेश्वर को प्रारम्भ में वागेश्वर या ब्याघ्रेस्वर कहा जाता था।
- बागेश्वर सरयू व गोमती नदी के संगम पर स्थित है।
- बागेश्वर को उत्तर का वाराणसी कहा जाता है।।
- प्राचीनकाल में बागेश्वर के बैजनाथ नामक स्थान पर कार्तिकेयपुर वंश के शासकों की राजधानी थी जिसे बैजनाथ शिलालेखों में कार्तिकेयपुर भी कहा गया है
- 14 जनवरी 1921 को बागेश्वर में उत्तरायणी मेले के अवसर पर कुली बेगार प्रथा का अंत हुआ।
- 1968 में बागेश्वर नगर पालिका का गठन किया गया था।
- 1976 में बागेश्वर को परगना घोषित किया गया था।
- सितंबर 1997 में बागेश्वर जनपद का गठन हुआ था।
जनसंख्या- 2,59,8,98
जनघनत्व – 116
लिंगानुपात – 1090
शिशु लिंगानुपात – 904
साक्षरता – 80.01%
पुरूष साक्षरता – 92.33%
महिला साक्षरता – 69.03%
बागेश्वर जनपद की भौगोलिक स्थित-
पड़ोसी जिले-
पूर्व – पिथौरागढ़
पश्चिम – चमोली
उत्तर – पिथौरागढ़
दक्षिण – अल्मोड़ा
बागेश्वर जनपद राज्य का आंतरिक जिला है।
क्षेत्रफल – 2246 वर्ग Km
राष्ट्रीय राजमार्ग-
NH 309A- अल्मोड़ा – बागेश्वर – गंगोलीहाट(पिथौरागढ़)
बागेश्वर जनपद का नदी तंत्र –
कोसी नदी-
- उद्गम- कौसानी बागेश्वर
- कौसानी नदी बागेश्वर, अल्मोड़ा, नैनीताल उधम सिंह नगर से होकर सुल्तानपुर नामक स्थान पर राज्य से बाहर निकल जाती है व उत्तर प्रदेश में रामगंगा से मिल जाती है।
पिंडर नदी-
- उद्गम – पिंडारी ग्लेशियर(बागेश्वर)
- संगम- कर्णप्रयाग में अलकनंदा नदी से
सरयू नदी-
- सरयू नदी का उद्गम बागेश्वर के सरमूल नामक स्थान से होता है।
- पंचेश्वर(काली कुमाऊँ) के निकट यह काली नदी से मिल जाती है।
सरयू नदी की सहायक नदी-
1.गोमती नदी –
- गोमती नदी बागेश्वर में सरयू नदी से मिल जाती है।
बागेश्वर जनपद के प्रमुख ग्लेशियर –
- मैकतोली
- सुंदरढुंगी
- सुखराम
- कफनी ग्लेशियर
- पिण्डारी ग्लेशियर
बागेश्वर जनपद के प्रमुख कुंड –
- देवी कुंड
- सुकुण्ड
बागेश्वर जनपद के प्रमुख दर्रे-
सुन्दरढूंगा दर्रा –
- यह दर्रा बागेश्वर व चमोली के बीच स्थित है।
ट्रेलपास दर्रा-
- यह दर्रा बागेश्वर व पिथौरागढ़ के बीच स्थित है।
- इस दर्रे का नाम कुमाऊँ के दूसरे कमिश्नर ट्रेल के नाम पर पड़ा।
बागेश्वर जनपद के प्रमुख बुग्याल-
- कफनी बुग्याल
बागेश्वर जनपद के पर्यटक स्थल व प्रमुख मंदिर –
कौसानी-
- कौसानी को प्रारम्भ में बलना कहा जाता था।
- कौशिक मुनि की तपस्थली होने के कारण इसका नाम कौसानी पड़ा।
- कौसानी बागेश्वर में पिंगनाथ पहाड़ी पर स्थित है।
- 1929 में महात्मा गांधी ने कौसानी में यंग इंडिया नामक पुस्तक लिखी व कौसानी को भारत का स्विटजरलैंड कहा।
- कौसानी में अनाशक्ति आश्रम(गांधी आश्रम) स्थित है जहाँ महात्मा गांधी जी ने अनाशक्ति योग पुस्तक लिखी।
- हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म स्थल भी कौसानी है।
- कौसानी में पिनाकेश्वर महादेव मंदिर स्थित है।
पाण्डुस्थल-
- पाण्डुस्थल बागेश्वर में कुमाऊँ व गढ़वाल की सीमा पर स्थित पर्यटक स्थल है माना जाता है कि पांडवों ने यहाँ ओर वास किया था।
बागनाथ मंदिर-
- यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
- बागनाथ मंदिर सरयू व गोमती नदी के तट पर स्थित है।
- बागनाथ मंदिर का निर्माण कत्यूरी शासकों ने कराया था लेकिन वर्तमान मंदिर का निर्माण चंद शासक लक्ष्मी चंद ने 1450 ई० में कराया।
- बागनाथ मंदिर नागर शैली से निर्मित है।
बैजनाथ मंदिर-
- यह मंदिर बागेश्वर के गरूड़ तहसील में स्थित है।
- बैजनाथ मंदिर गोमती नदी व गरुड़ नदी के संगम पर स्थित है।
- बैजनाथ मंदिर समूह का निर्माण 1150 में कत्यूरी शासकों ने कराया था।
- बैजनाथ के मुख्य मंदिर में आदमकद पार्वती की पथर की बनी मूर्ति है।
कोट भ्रामरी मंदिर-
- यह मंदिर बैजनाथ मंदिर समूह से लगभग 3 km दूर स्थित है।
- इस मंदिर में भ्रामरी देवी तथा नंदा देवी की मूर्ति है।
श्री हरु मंदिर
चंडिका मंदिर भद्रकाली मंदिर
बागेश्वर जनपद के प्रसिद्ध मेले –
1.उत्तरायणी मेला-
- यह मेला बागेश्वर में सरयू व गोमती नदी के तट पर हर साल मकर संक्रांति के दिन लगता है।
- उत्तरायणी मेले को स्थानीय भाषा में घुघुतिया त्योहार भी कहा जाता है।
- 14 जनवरी 1921 को बद्रीदत्त पांडे जी के नेतृत्व में कुली बेगार प्रथा को समाप्त करने का संकल्प लिया गया।
- 1929 में गांधी जी ने यहाँ पर स्वराज भवन का शिलान्यास किया।
2.कोट की माई का मेला-
- यह मेला कोट भ्रामरी मंदिर में लगता है।
3.पिनाथ मेला-
- यह मेला बागेश्वर के कौसानी में पिनाकेश्वर महादेव मंदिर में लगता है।
बागेश्वर जनपद का प्रशासनिक ढांचा व जनसंख्या –
विधानसभा सीट-
- बागेश्वर(SC)
- कपकोट
विकासखंड –
- बागेश्वर
- गरुड़
- कपकोट
तहसील-
- बागेश्वर
- कपकोट
- गरुड़
- कांडा
- दुगनाकुरी
- काफलीगैर