आजाद हिन्द फ़ौज और महात्मा गाँधी
Azad Hind Fauj and Mahatma Gandhi
आजाद हिन्द फ़ौज और उत्तराखंड-
- उत्तराखंड का आजाद हिंद फौज (आईएनए) से गहरा नाता रहा है। नेताजी की निजी सुरक्षा में भी उत्तराखंड के वीर शामिल रहे। उत्तराखंड से लगभग 2500 सैनिक आजाद हिन्द फ़ौज में थे।सुभास चन्द्र बोस के निजी साहयक “बुद्धि सिंह रावत”थे।ले. कर्नल पितृशरण रतूड़ी आजाद हिन्द फ़ौज के फर्स्ट बटालियन के कमांडर थे। ले. कर्नल पिपरी शरण रतूड़ी को माउडॉक युद्ध में वीरता प्रदर्शित करने के लिए “सरदार-ए-जंग” की उपाधि से खुद सुभाष चंद बोस ने सम्मानित किया था। थर्ड बटालियन के कमांडर मेजर पद्म सिंह गुसांई थे।मेजर देव सिंह दानू नेता जी के अंगरक्षक थे तथा गढ़वाली बटालियन के कमांडर थे।आजाद हिन्द फ़ौज का आफीसर्स ट्रेनिंग सेंटर सिंगापुर में था।जिसके कमांडर ले. कर्नल चंद सिंह नेगी थे।कमांडर ले. कर्नल चंद सिंह नेगी के ऊपर अफसरों की ट्रेनिंग की जिम्मेदारी थी।
महात्मा गाँधी की उत्तराखंड यात्राएं-
- 5 अप्रैल 1915 को महात्मा गाँधी पहली बार उत्तराखंड आये थे। मार्च 1916 में देहरादून में डी ए वी कॉलेज तथा कुम्भ मेले में आये। 14 जून 1929 को हल्द्वानी से होते हुए कौसानी गये। अल्मोड़ा में ओकले ने महात्मा गाँधी के सम्मान में एक पत्र पढ़ा। इसी दौरान महात्मा गाँधी कौसानी में रहे। 18 मई 1931 को महात्मा गाँधी नैनीताल तथा 5 दिन वही रुके।इन पांच दिन के प्रवास में महात्मा गाँधी ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ विभिन्न स्थानों के जमींदारों से देश की समस्याओं पर चर्चा की तथा कई सार्वजनिक सभाओं में भी हिस्सा लिया। महात्मा गाँधी गवर्नर सर मालकम हेली से भी मिले। इसके बाद महात्मा गाँधी का मसूरी आगमन मई 1946 में हुआ। मसूरी में महात्मा गाँधी आठ दिन तक रहे थे। मसूरी में कई प्रार्थना सभाओं और सार्वजनिक सभाओं में शामिल होकर महात्मा गाँधी ने गरीबों के लिए चंदा एकत्रित करने का कार्य किया।1948 में महात्मा गाँधी की अस्तियो को चौरावाड़ी झील में विसर्जित किया गया।
उत्तराखंड-आजाद हिन्द फ़ौज और उत्तराखंड एवं महात्मा गाँधी की उत्तराखंड यात्राएं