पंवार शासक निरंकुश नहीं थे। वे अपने मंत्रिमंडल के परामर्श से शासन करते थे।
राजा के मंत्री मंडल में दीवान, दफ्तरी , वज़ीर , फ़ौजदार और नेगी होते थे।
कोठार हस्तलेख जानकारी की राजा के मंत्रीमंडल में धर्माधिकारी एक महत्वपूर्ण पद होता था और धर्म के काम करता था।
राजा का सर्वोच्च मंत्री मुख्तार (वज़ीर) होता था।
राजा का कार्यकाल का महानिदेशक दफ्तरी (राजस्व का अधिकारी) होता था।
राज्य में आय व्यय का प्रमुख अधिकारी दीवान होता था।
राजधानी के सुरक्षा अधिकारी को गोलदार कहते थे,ये गोलदार राजकोष, राज्यसभा व महत्वपूर्ण कार्य की सुरक्षा करते थे।
प्रत्येक परगने (जिले) में सैनिक शासक फ़ौजदार कहलाते थे, ये फ़ौजदार परगने की सुवस्था, सीमांत की रक्षा तथा राज्य में वसूली तथा युद्ध में राजा की सहायता करता था।
महत्वपूर्ण कार्य में पंवार शासक नेगी से परामर्श लिया करते थे।
युवराज को टिका कहा जाता था।
पंवार साम्राज्य में अन्य राज्यों से वार्ता हेतू वकील नियुक्त किया जाता था।
राज्य के विभिन्न परगनो में राजस्व की वसूली थोकदार के द्वारा की जाती थी जिसे स्याणा , कमीण ,गुठेरे कहते थे।
थोकदार प्रत्येक गांव से प्रधान नियुक्त करता था जो कर को वसूल कर थोकदार को सौंपता था।