एपीजे अब्दुल कलाम जी का पूरा नाम ‘अबुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम‘ था । उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 मे रामेश्वरम में हुआ। अब्दुल कलाम का जन्म एक तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम एक मस्जिद के इमाम और एक कसती के मालिक थे। कलाम की माँ आशियम्मा एक गृहिणी थी।उनके पिता के पास जो नौका थी ,उससे वो हिन्दू लोगो को रामेश्वरम से धनुष्कोडी और धनुष्कोडी से वापिस रामेश्वरम ले जाते थे। कलाम के 3 बड़े भेद और एक बहन थी। कलाम अपने बड़े भाइयो से बहुत जुड़े हुए थे, और वो अपनी पूरी ज़िंदगी उनको थोड़ा-थोड़ा रुपैया भेजते रहते थे। कलाम अपनी सरल ज़िन्दगी के लिए जाने जाते थे।
उन्होंने कभी टेलेविज़न नही खरीदा।उनकी आदत थी रोज़ सुबह 6:30 से 7:00 के बीच उठना और रात को 2 बजे तक सोने की। धर्म और आध्यात्मिकता उनके लिए बहुत मायने रखती थी। यहां तक कि उन्होंने एक किताब भी लिखी जिसका नाम था ट्रांसेन्डेन्स। कलाम के पूर्वज काफी अमीर थे, और उनके पास कई एकड़ जमीन थी। जब पंबन पुल का निर्माण हुआ तब उनके परिवार ने लोगों को लाने और लेजाने का व्यापार पूरी तरह से खो दिया क्योंकि अब पुल होने की वजह से कश्ती की लोगों को जरूरत नहीं रही। इस घटना के बाद उनका व्यापार तो तहस-नहस हुआ ही सही लेकिन साथ ही साथ उनके रुपए और जमीने भी धीरे धीरे खत्म हो गयी।
कलाम के जन्म होने तक उनका परिवार पूरी तरह से गरीब हो चुका था। और कलाम को छोटी उम्र मे ही अखबार बांटने जाना पड़ा। जब स्कूल गए तब उनके अंक काफी साधारण आते थे ,लेकिन शिक्षकों के द्वारा उनको हमेशा एक गजब और मेहनती छात्र बोला गया । कलाम की हमेशा एक चाहत थी पढ़ने की वह हमेशा गणित पर घंटों तब काम करते थे। स्चवर्तज़ हायर सेकेंडरी स्कूल में उनकी पढ़ाई होने के बाद वह तिरुच्चिरापल्ली चले गए। जहां पर उन्होंने सेंट जोसेफ कॉलेज में दाखिला लिया और वह 1954 में फिजिक्स के ग्रेजुएट बने।
1955 में मद्रास चले गए और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग मद्रास इंस्टीट्यूट टेक्नोलॉजी से की। जब वो प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे तब उनके कॉलेज के अध्यक्ष ने उनकी प्रगति देखी और वह उससे बिल्कुल भी प्रभावित नहीं हुए। और उन्होंने ने कलाम को बुलाया और बोला अगर तुम ने 3 दिन के अंदर प्रोजेक्ट को पूरा नहीं किया तो तुम्हारी स्कॉलरशिप वापस ले ली जाएगी। कलाम ने दिन रात मेहनत कर के अपना प्रोजेक्ट पूरा किया।
कलाम को इंडियन एयर फोर्स जॉइन करने की बहुत इच्छा थी। लेकिन वह सिर्फ एक पोजीशन से रहे गए। वो नौवें स्थान पर थे और सिर्फ 8 पोजिशन खाली थी।मद्रास इस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से 1960 में पढ़ाई खत्म करने के बाद कलाम एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट के साथ जुड़ गए। वहां पर वह एक साइंटिस्ट की तरह जुड़े ,उन्होंने अपना करियर एक छोटे होवरक्राफ्ट डिजाइन से शुरू किया। कलाम इन्कोस्पार कमेटी में भी शामिल थे। जहां उन्होंने विक्रम साराभाई के अधीन काम किया। विक्रम साराभाई एक बहुत ही जाने- माने स्पेस साइंटिस्ट थे। 1969 मे कलाम को इसरो( Indian space Research Organisation ) मे तबादला हो गया। इसरो में वह इंडिया के पहले सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल जोकि SLV-3 में प्रोजेक्ट डायरेक्टर थे। इस व्हीकल ने रोहिणी सैटेलाइट को धरती के ऑर्बिट में रखा । कलाम ने फिर एक्सपेंडेबल रॉकेट प्रोजेक्ट पर अकेले ही काम करना शुरू कर दिया।
1969 में भारत सरकार उनके प्रोजेक्ट को अनुमति दे दी। और कहा उनके प्रोजेक्ट पर एक टीम भी बनाई जाए। 1963 मे वह नासा रिसर्च सेंटर में भी गए। राजा रामन्ना ने कलाम को बुलाया भारत का पहला परमाणु परीक्षण स्माइलिंग बुद्धा को देखने के लिए। कलाम ने प्रोजेक्ट डेविल और प्रोजेक्ट वेलियंट पर भी काम किया।इन प्रोजेक्ट में उन्होंने बैलिस्टिक मिसाइल बनाई।
यूनियन कैबिनेट ने कलाम के प्रोजेक्ट अनुमति नहीं दी थी लेकिन फिर भी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने गुप्त रूप से उनको धन दिया ,ताकि उनके एयरोस्पेस के प्रोजेक्ट पूरे हो सके। फिर कलाम ने यूनियन केबिनेट को भी गुप्त प्रोजेक्ट के बारे में बताया और इनकी महत्वपूर्ण समझाई। इन सब चीजों ने कलाम का नाम बहुत ऊंचा कर दिया था। इसीलिए भारत सरकार ने उनको उच्च मिसाइल प्रोग्राम चालू करने के लिए बोला। काफी सारे मिसाइल प्रोग्राम में भागीदार रहने की वजह से उनको मिसाइल मैन ऑफ इंडिया भी कहा जाता है।
अग्नि मिसाइल और पृथ्वी मिसाइल को बनाने में कलाम का बहुत बड़ा योगदान था। पृथ्वी और अग्नि मिसाइल की बहुत आलोचना हुई क्योंकि उनको बनाने में काफी समय और रुपए लगा। और इसका मैनेजमेंट ठीक से नहीं हो पाया। 1992 से लेकर 1999 तक वो चीज साइंटिफिक एडवाइजर रहे। और इस दौरान पोखरण 2 न्यूक्लियर परीक्षण किया। इस न्यूक्लीयर परीक्षण मीडिया में कलाम का नाम काफी ऊंचा कर दिया था। लेकिन साइट के डायरेक्टर के शांतनम ने कहा की थर्मोन्यूक्लियर बम का परीक्षण अपेक्षित परीक्षा परिणाम नहीं दे पाया। और यह एक असफल घटना थी , और उन्होंने कलाम की आलोचना की और कहां जो उन्होंने रिपोर्ट दी है वह गलत है।
लेकिन फिर चिदंबरम और कलाम दोनों ने इस बात को खारिज कर दिया । फिर कलाम की जिंदगी में एक बहुत ही बड़ा मोड़ आया 10 जून 2002 को एन.डी.ए. (नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस) ने कलाम को राष्ट्रपति के लिए नॉमिनेट किया समाजवादी पार्टी और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी दोनों ने इस बात का समर्थन किया और फिर वह भारत के 11 राष्ट्रपति बने। 2002 में चुनाव हुआ और कलाम ने विशाल जीत अर्जित की। कलाम को 922884 वोट मिले और उनके प्रतिद्वंदी लक्ष्मी सहगल को करीबन 107366 वोट ही मिले। यह एक बहुत ही बड़ी जीत थी।
कलाम को भारत का सबसे बड़ा सिविलियन सम्मान भी दिया गया भारत रत्न। भारत रत्न के साथ साथ उनको पद्म विभूषण और पद्मभूषण से भी सम्मानित किया गया। जब तक वो राष्ट्रपति बने रहे तब तक वो लोगों के प्रेसिडेंट के नाम से प्रचलित हुए। जब उनके 5 साल राष्ट्रपति के तौर पर खत्म हो गए तब उन्होंने वापस राष्ट्रपति बनने की इच्छा प्रकट की लेकिन यह बोलने के दो ही दिन बाद उन्होंने फैसला लिया कि वह प्रेसीडेंशियल इलेक्शन खड़े नहीं होंगे।
इसके बाद वो शिलांग, इंदौर और अहमदाबाद के IIM के विजिटर प्रोफेसर बन गए। वह इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ स्पेस साइंस टेक्नोलॉजी तिरुअनंतपुरम के चांसलर बने और अन्ना यूनिवर्सिटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफ़ेसर भी बने। 2012 में भारत के जवान लोगों के लिए उन्होंने एक प्रोग्राम बनाया व्हाट कैन आई गिव मोमेंट यह प्रोग्राम भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए था। कलाम ने काफी सारी किताबें भी लिखी जैसे Wings of Fire, India 2020, Ignited Minds, और यह सारी बुक्स काफी आदि पॉपुलर हुई।
27 जुलाई 2015 को कलाम शिलांग चले गए। जहां पर उन्होंने क्रिएटिंग लिवेबल प्लांट अर्थ पर लेक्चर देना था यह लेक्चर उनको आया एम शिलांग में देना था। जब वह सीढ़ी चढ़े थे तो उनको कुछ बेचैनी सी हुई और ऑडिटोरियम में जाने के बाद उन्होंने थोड़ी देर आराम किया।
6:35 पर लेक्चर शुरू होने के सिर्फ 5 मिनट ही हुए थे और वह गिर गए ।उनको फिर बेथानी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। और वह 7:45 पर दुनिया छोड़कर चले गए। उन्होंने अपने आखिरी शब्द श्री जंग पाल सिंह से बोले उन्होंने कहा
Funny Guy…
Are you doing well?
एपीजे अब्दुल कलाम सबके लिए एक प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।
खासकर युवा उनको अपना आइडल मानता है।